जापान की दिग्गज कंपनी सुज़ुकी मोटर ने अपनी मशहूर कार स्विफ्ट का प्रोडक्शन रोकने का फैसला किया है. इसकी वजह है चीन की ओर से रेयर अर्थ मैटेरियल्स के एक्सपोर्ट पर लगाई गई पाबंदियां. चीन की पाबंदी और सुजुकी के स्विफ्ट का प्रोडक्शन रोकने के बाद कई सवाल उठ रहे हैं. इनमें सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर क्यों चीन ने रेयर अर्थ मैटरियल्स पर पाबंदी लगाई है और क्या सुज़ुकी की स्विफ्ट बंद होने वाली है? आइए जानते हैं कि रेयर अर्थ मटेरियल्स क्या है, जिस पर चीन ने पांबदी लगाई है और इसके बिना ऑटो इंडस्ट्री क्यों रुक रही है.
चीन के रेयर अर्थ मैटेरियल के निर्यात पर पाबंदियां लगाने के फैसले ने ऑटो इंडस्ट्री की फिक्र को बढ़ा दिया है. चीन का यह कदम ऑटोमोबाइल, ईवी और ग्लोबल सप्लाई चेन को प्रभावित कर रहा है. जापानी ऑटोमेकर सुज़ुकी मोटर ने स्विफ्ट सबकॉम्पैक्ट कार का प्रोडक्शन रोकने का फैसला किया है. चीन के प्रतिबंध से ऑटो इंडस्ट्री परेशान है. चीन के इस फैसले से इलेक्ट्रिक गाड़ियां भी महंगी हो सकती हैं.
चीन के फैसले का होगा असर?
सुज़ुकी ने जापान में स्विफ्ट सबकॉम्पैक्ट कार प्रोडक्शन रोकने का फैसला किया है. हालांकि यह फैसला कुछ वक्त के लिए ही किया गया है. स्विफ्ट के प्रोडक्शन को 26 मई से 6 जून तक रोकने के फैसला किया गया है, जिसमें स्विफ्ट स्पोर्ट मॉडल शामिल नहीं है. इसकी वजह जरूरी कंपोनेंट्स की कमी बताई गई है. कंपोनेंट रेअर अर्थ मटेरियल से बनते हैं, जिनके एक्सपोर्ट पर चीन ने पाबंदियां लगा दी है. सुज़ुकी स्विफ्ट भारत और जापान जैसे बाजारों में बेहद पॉपुलर कार है.
सुज़ुकी स्विफ्ट की ग्लोबल डिमांड जबरदस्त है. भारत में यह कार मारुति सुज़ुकी की सबसे ज्यादा बिकने वाली कारों में शुमार है. भारत में इस कार की हर साल करीब 1.5 से 2 लाख यूनिट्स बिकती हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि स्विफ्ट कितनी पॉपुलर है. प्रोडक्शन रुकने से इसकी उपलब्धता पर असर पड़ सकता है.
चीन ने पबंदियां क्यों लगाई?
अब सवाल है कि चीन ने क्यों कीमती धातुओं के एक्सपोर्ट पर पाबंदियां लगा दी हैं. चीन ने रेयर अर्थ मेटेरियल जैसे सैमेरियम, गैडोलिनियम, टर्बियम, डायसप्रोसियम, ल्युटेशियम, स्कैंडियम और येट्रियम के एक्सपोर्ट पर पाबंदियां लगाई है. ये मैटरियल्स ना सिर्फ ऑटोमोबाइल बल्कि सेमीकंडक्टर और डिफेंस इंडस्ट्री के लिए भी जरूरी है. दुनिया के 70 प्रतिशत रेयर अर्थ मैटेरियल और करीब 90 प्रतिशत रेयर अर्थ मैग्नेट का प्रोडक्शन चीन में होता है. इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी ,स्मार्टफोन्स जैसी कई चीजों को बनाने में किया जाता है. चीन का यह फैसला अमेरिका के साथ चल रहे ट्रेड वॉर से जोड़कर देखा जा रहा है. जानकार इसे ग्लोबल सप्लाई चेन पर दबाव बनाने की रणनीति मान रहे हैं.
क्या महंगी हो जाएंगी ईवी?
अब सवाल है कि अगर चीन की पाबंदियां जारी रहीं तो क्या होगा. क्या इलेक्ट्रिक गाड़ियां भी महंगी हो जाएंगी? चीन की पाबंदियों का सप्लाई चेन पर असर पड़ रहा है. अगर यह रोक ज्यादा वक्त तक जारी रही तो इलेक्ट्रिक गाड़ियों की प्रोडक्शन लागत बढ़ सकती है. डिलीवरी में देरी हो सकती है. ईवी की कीमतें भी बढ़ सकती हैं और इससे ईवी की डिमांड कम होने का खतरा भी पैदा हो सकता है.
चीन के रेयर अर्थ मैटेरियल्स के निर्यात पर पाबंदियां लगाने के फैसले ने ऑटो इंडस्ट्री की फिक्र को बढ़ा दिया है. अगर चीन यह पाबंदियां जल्द नहीं हटाता है तो सिर्फ ऑटोमोबाइल ही नहीं कई सेक्टर में सप्लाई चेन पर इसका असर पड़ सकता है.