कोविड-19 से संबंधित रक्त थक्के की पहचान मामूली जांच से हो सकेगी : स्‍टडी

द अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन से पहले इनवेसिव प्रक्रिया जैसे कि तंत्रिका, किडनी या फेफड़े के लिए बायोप्सी की जरूरत पड़ती थी.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
वॉशिंगटन:

अनुसंधानकर्ताओं ने दावा किया है कि कोविड-19 से संबंधित रक्त थक्के की पहचान मामूली जांच से हो सकेगी. शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के गंभीर रोगियों की त्वचा की छोटी रक्त वाहिकाओं में बने उन खून के थक्कों की पहचान करने के लिए ‘न्यूनतम इनवेसिव जांच' का उपयोग किया, जो सामान्य लगते हैं. इसके तहत त्वचा बायोप्सी प्रक्रिया के जरिये प्रयोगशाला परीक्षण के लिए शरीर की कोशिकाओं या त्वचा के नमूने लिये जाते हैं. अनुसंधानकर्ताओं ने कहा कि कोविड-19 से संबंधित क्षतिग्रस्त ऊतकों के आकलन में त्वचा बायोप्सी मदद कर सकती है. इसके अलावा त्वचा बायोप्सी रक्त वाहिकाओं से जुड़ी बीमारी को अन्य श्वसन संबंधी गंभीर बीमारियों से अलग कर सकती है.

हाल ही में द अमेरिकन जर्नल ऑफ पैथोलॉजी में प्रकाशित इस अध्ययन से पहले इनवेसिव प्रक्रिया जैसे कि तंत्रिका, किडनी या फेफड़े के लिए बायोप्सी की जरूरत पड़ती थी.अध्ययन के अग्रणी अनुसंधानकर्ता और अमेरिका स्थित वील कॉर्नेल इंस्टीट्यूट के जेफरी लौरेंस ने कहा, ‘‘हम पहले समूह हैं जिसने यह पहचान की कि गंभीर कोविड-19 के कारण होने वाली फेफड़े की बीमारी श्वसन संक्रमण से संबंधित अन्य गंभीर बीमारियों से अलग होती है.'' अनुसंधानकर्ताओं ने कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार 15 मरीजों की सामान्य दिख रही त्वचा का बायोप्सी नमूना लिया, जो चार मिलीमीटर मोटा था. इसके अलावा खांसी-बुखार जैसे लक्षण वाले कोविड-19 के मामूली रूप से बीमार छह मरीजों के भी नमूने लिये गये. इसके अलावा अध्ययन में सांस और किडनी के नौ उन मरीजों के बायोप्सी नमूने शामिल किये गये, जिनकी मौत कोरोना महामारी से पहले ही हो चुकी थी.

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि माइक्रोथ्रोम्बी या खून के छोटे थक्के 15 में से उन 13 मरीजों में पाये गये, जो कोविड-19 के कारण गंभीर रूप से बीमार थे. लेकिन मामूली रूप से बीमार कोविड-19 के मरीजों और कोरोना महामारी के आने से पहले गंभीर श्वसन या किडनी संबंधी बीमारी से जूझने वाले लोगों में खून के थक्के नहीं पाये गये. यह संभव है कि वाहिकाओं में होने वाले ये सूक्ष्म परिवर्तन कोविड-19 संबंधी श्वसन बीमारी का एक खास लक्षण हों. लौरेंस ने पाया कि यह परिणाम चिकित्सा के लिहाज से अहम है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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