अनुरा कुमारा दिसानायके को विरासत में मिली हैं ये चुनौतियां, श्रीलंका को किस ओर ले जाएंगे नए राष्ट्रपति

श्रीलंका में अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति पद की शपथ ले ली है. वो इस द्विपीय देश के नौवें राष्ट्रपति बने हैं. वह ऐसे समय राष्ट्रपति बने हैं, जब उनका देश कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. आइए देखते हैं कि उनके सामने बड़ी चुनौतियां कौन सी हैं.

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नई दिल्ली:

वामपंथी नेता अनुरा कुमारा दिसानायके श्रीलंका के नए राष्ट्रपति चुने गए हैं.दिसानायके श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति हैं.वो नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन के प्रमुख हैं.उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी)इस गठबंधन का हिस्सा है. अपनी जीत के बाद 56 साल के दिसानायके ने कहा कि यह किसी एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं है,बल्कि हजारों लोगों के सामूहिक प्रयास का नतीजा है. दिसानायके ऐसे समय श्रीलंका के राष्ट्रपति की कुर्सी संभालने जा रहे हैं, जब यह द्विपीय देश कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. 

राष्ट्रपति दिसानायके न क्या वादे किए हैं

श्रीलंका के प्रधान न्यायाधीश जयंत जयसूर्या ने सोमवार को राष्ट्रपति सचिवालय में श्रीलंका के नौवें राष्ट्रपति के रूप में दिसानायके को पद और गोपनियता की शपथ दिलाई.दिसानायके श्रीलंका का राष्ट्रपति बनने वाले देश के पहले मार्क्सवादी नेता हैं.दिसानायके का राष्ट्रपति बनना करीब 50 साल पुरानी उनकी पार्टी जनता विमुक्ति पेरामुना (जेवीपी) के लिए भी बड़ा बदलाव है,जो काफी लंबे समय से हाशिए पर पड़ी थी.  

अनुरा कुमारा दिसानायके की जीत का जश्न मनाते

दिसानायके की पहचान भ्रष्टाचार विरोधी नेता की है.चुनाव के दौरान उन्होंने राजनीतिक संस्कृति में बदलाव और भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई का भरोसा दिया. उनके इन वादों ने युवा मतदाताओं और कामकाजी वर्ग में विश्वास पैदा किया. श्रीलंका के मतदाताओं यह वर्ग 2022 में आई भयानक आर्थिक संकट के बाद से व्यवस्था में बदलाव की मांग कर रहा था. राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद दिसानायके ने कहा है कि वो लोकतंत्र बचाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ  प्रयास करेंगे. उन्होंने कहा है वो कि राजनेताओं के सम्मान को बहाल करने की दिशा में काम करेंगे क्योंकि लोगों को उनके आचरण के बारे में गलतफहमी है.इससे पहले चुनाव प्रचार के दौरान दिसानायके ने कहा था कि भ्रष्टाचारी कभी भी भ्रष्टाचारियों को सजा नहीं देगा.भ्रष्टाचारी हमेशा भ्रष्टाचारियों की रक्षा करते हैं.भ्रष्टाचार खत्म करना एनपीपी की प्राथमिकता है.

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श्रीलंका की आर्थिक चुनौतियां कितनी बड़ी हैं

श्रीलंका पिछले तीन साल से भयंकर आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है.ऐसे में उनका रास्ता आसान नहीं होने वाला है.उन्हें आर्थिक मोर्चे की चुनौतियों से निपटने के साथ-साथ भारत और चीन के बीच संतुलन भी बैठाना होगा.भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 'एक्स'पर दिसानायके को बधाई दी तो उन्होंने लिखा,''प्रधानमंत्री मोदी आपके समर्थन और सहयोग के लिए बहुत धन्यवाद.दोनों देशों में सहयोग को और मजबूत करने के लिए हम आपकी प्रतिबद्धता के साथ हैं. हमारा साथ दोनों देशों के नागरिकों और इस पूरे इलाके के हित में है.'' दिसानायके मार्क्सवादी विचारधारा के हैं. वहीं भारत में सरकार चला रही भारतीय जनता पार्टी दक्षिणपंथी विचारधारा की मानी जाती है.वहीं चीन कम्युनिस्ट शासन वाला देश में ऐसे में लोगों का मानना है कि दिसानायके का झुकाव चीन की तरफ हो सकता है, लेकिन कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी जनता विमुक्ति पेरामुना पार्टी की कट्टरता में कमी आई है और अब वह उस तरह की भारत विरोधी नहीं है, जैसा कि एक दशक पहले तक हुआ करती थी. दिसानायके ने इस साल फरवरी में सरकार के निमंत्रण पर भारत की यात्रा की थी. उनकी मुलाकात कई नेताओं से हुई थी. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि वो चीन की तरफ उस तरह से नहीं झुकेंगे, जैसा कि महिंदा राजपक्षे के शासनकाल में हुआ था.

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अनुरा कुमारा दिसानायके ने इस साल भारत की यात्रा पर आए थे. इस दौरान उन्हें कई नेताओं से मुलाकात की थी.

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साल 2022 में पैदा हुआ आर्थिक अस्थिरा से श्रीलंका अभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाया है.वह अभी भी भारी-भरकम विदेशी कर्ज में डूबा हुआ है. उसका राजकोषीय घाटा बढ़ता जा रहा है.वहां बेरोजगारीऔर महंगाई चरम पर है.उद्यगों का बुरा है.बहुत से उद्योगों पर ताला लटक चुका है.पर्यटन उद्योग पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं.श्रीलंका का भविष्य उज्जवल बनाने के लिए दिसानायके को इन सबसे पार पाना होगा.

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विदेशी कर्ज में डूबा हुआ है श्रीलंका

श्रीलंका पर इस समय 50 अरब डॉलर से अधिक का विदेशी कर्ज लदा हुआ है.उसका कर्ज उसके सकल घरेलू उत्पाद से अधिक है.उसे कर्ज देने वालों में भारत, चीन, जापान के अलावा विश्‍व बैंक और आईएमएफ जैसे संस्थान हैं. वह इन कर्जों की कई किश्ते चुकाने में चुक चुका है.इस मोर्चे पर दिसानायके को जूझना होगा.उन्हें कर्जों को रीस्‍ट्रक्‍चर कराना होगा. उनके ऊपर सबसे बड़ी जिम्मेदारी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की होगी. 

राष्ट्रपति चुनाव में अनुरा कुमारा दिसानायके को युवाओं और कामकाजी वर्ग का समर्थन अधिक मिला है.

नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) गठबंधन को सबसे अधिक समर्थन युवाओं से मिला है.उसकी वजह है कि श्रीलंका में इस समय बेरोजगारी की दर करीब 10 फीसदी है.इसे देखते हुए दिसानायके ने चुनाव में बेरोजगारी को मुद्दा बनाया था.ऐसे में बेरोजगार कम करना उनके सामने बड़ी चुनौती होगी.इसी तरह से महंगाई भी उनके सामने चुनौती बनकर खड़ी है.हालांकि 2022 में महंगाई की दर 70 फीसदी तक चली गई थी, वह अब साढ़े छह फीसदी के आसपास है. इसके लिए उन्हें आयात पर निर्भरता को कम करना होगा और घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के मोर्चे पर काम करना होगा. छोटे और मंझोले उद्योगों की हालत सुधार कर वो इस दिशा में अच्छा काम कर सकते हैं.

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