साउथ सूडान: दुनिया का सबसे नया देश हिंसा की लपटों में क्यों घिरा? कुर्सी की लड़ाई में नेता-सेना सब बंटें

साउथ सूडान के 73 साल के राष्ट्रपति साल्वा कीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे में वो अपने उत्तराधिकार को सुनिश्चित करने और उपराष्ट्रपति मचार को राजनीतिक रूप से किनारे करने की कोशिश कर रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins
साउथ सूडान: दुनिया का सबसे नया देश हिंसा की लपटों में क्यों घिरा? कुर्सी की लड़ाई में नेता-सेना सब बंटें
साउथ सूडान में हिंसा शुरू, क्या है वजह

दुनिया का सबसे नया या कहें जवान देश हिंसा के एक नए दौर की दहलीज पर खड़ा है. हम बात कर रहे हैं पूर्वी अफ्रीका में बसे देश साउथ सूडान की जिसको बने बमुश्किल से डेढ़ दशक भी नहीं हुए हैं. वहां के राष्ट्रपति साल्वा कीर और प्रथम-उपराष्ट्रपति रीक मचार के बीच 2018 में जब सत्ता शेयर करने को लेकर समझौता हुआ था तो उसने पांच साल की लड़ाई को समाप्त कर दिया था. 2013 और 2018 के बीच के पांच सालों में हुई हिंसा में लगभग 400,000 लोग मारे गए थे. फिर इस समझौते ने शांति स्थापित की. लेकिन पिछले हफ्ते जब रीक मचर को सरकार ने गिरफ्तार करवाया तो वह समझौता प्रभावी रूप से खत्म हो गया.

राष्ट्रपति साल्वा कीर और प्रथम उपराष्ट्रपति रीक मचार के अलग-अलग वफादार सेना है और वो आपस में के बीच लड़ रही हैं. इसकी वजह से साउथ सूडान नए सिरे से युद्ध के कगार पर है.

7 साल साथ चलने के बाद साल्वा कीर और रीक मचार क्यों उलझे हैं?

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार एक्सपर्ट्स का कहना है कि 73 साल के राष्ट्रपति साल्वा कीर स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं. ऐसे में वो अपने उत्तराधिकार को सुनिश्चित करने और मचार को राजनीतिक रूप से किनारे करने की कोशिश कर रहे हैं.

जुबा स्थित एक मानवतावादी ने नाम न छापने का अनुरोध करते हुए एएफपी को बताया, "उत्तराधिकार साउथ सूडान में प्रमुख मुद्दा है. राष्ट्रपति कीर अच्छे स्वास्थ्य में नहीं हैं और उनकी पार्टी और सरकार के लोग सत्ता संभालने की कोशिश कर रहे हैं."

Advertisement
फरवरी के बाद से, मचार के 20 से अधिक राजनीतिक और सैन्य सहयोगियों को गिरफ्तार किया गया है, कुछ को संपर्क से दूर रखा गया है. कम से कम तीन राज्यों में, मचार के प्रति वफादार राज्यपालों को हटाकर कीर के सहयोगियों को राज्यपाल बना दिया गया है. यह एक ऐसा कदम है जो 2018 के सत्ता शेयर करने के समझौते का उल्लंघन करता है.

इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के एक रिसर्चर डैनियल अकेच ने एएफपी को बताया, "राष्ट्रपति ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कि कोई समझौता ही नहीं हुआ था." उन्होंने कहा कि 2018 में सरकार में शामिल होने के बाद से मचार ने जनता का समर्थन खो दिया है.

Advertisement

कीर की अपनी पार्टी के भीतर कई लोग इस बात से नाराज हैं कि वह अपने पूर्व वित्तीय सलाहकार, बेंजामिन बोल मेल को अपने चुने हुए उत्तराधिकारी के रूप में पेश कर रहे हैं, जिन्होंने उन्हें इस साल की शुरुआत में उपराष्ट्रपति बनाया था. द डिप्लोमेट की रिपोर्ट के अनुसार, बोल मेल को अधिकतर लोग नापसंद करते हैं, उनसे "नफरत" की जाती है. यदि कीर अपने इलाज के लिए देश छोड़ते हैं - जैसा कि अत्यधिक संभव है - तो हिंसा का विस्फोट हो सकता है. कई लोगों का मानना ​​है कि यदि राष्ट्रपति बोल मेल को सत्ता की बागडोर सौंपते हैं तो "तत्काल तख्तापलट होगा".

Advertisement

साउथ सूडान में बढ़ती हिंसा

राजनीतिक तनाव कई क्षेत्रों में संघर्ष में बदल गया है और यह अपनी प्रकृति में अक्सर जातीय होता है. साउथ सूडान के पूर्वोत्तर में बसे अपर नील राज्य में मुख्य रूप से नुएर समुदाय के युवाओं की एक मिलिशिया ने मार्च की शुरुआत में एक सैन्य अड्डे पर कब्जा कर लिया. इस मिलिशिया ग्रूप को व्हाइट आर्मी के नाम से जाना जाता है.

Advertisement
वहीं नासिर काउंटी के एक प्रशासनिक कमिश्नर के अनुसार, सेना ने आस-पास के इलाकों में गोलाबारी करके जवाब दिया, जिसमें 20 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे.

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, लड़ाई में पहले ही 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हो चुके हैं. अन्य क्षेत्रों में झड़पें हुई हैं, जिनमें राजधानी जुबा के पास मचर की सेना को निशाना बनाकर किए गए हवाई हमले भी शामिल हैं.

आर्थिक संकट और आर्मी के भीतर बढ़ता रोष

साउथ सूडान पहले से ही दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. उपर से उसे पिछले साल वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा है क्योंकि पड़ोसी देश सूडान में युद्ध के कारण इसकी एक पाइपलाइन के माध्यम से होने वाला तेल निर्यात समाप्त हो गया है.

यहां की सरकार की कमाई तेल की हिस्सेदारी लगभग 90 प्रतिशत है. द डिप्लोमेट की रिपोर्ट के अनुसार अब उत्पादन प्रतिदिन 140,000 से गिरकर 20,000 बैरल हो गया है.

सरकार के पास पैसा नहीं आ रहा. इसका मतलब है कि सैनिकों को हाल ही में कुछ महीनों के वेतन को छोड़कर एक वर्ष से अधिक समय से पेमेंट नहीं मिला है. द डिप्लोमेट ने कहा कि राष्ट्रपति कीर के समर्थन में मार्च की शुरुआत में युगांडा की सेनाओं आई थी. फिर अफवाह फैली की उन बाहर से आई सेना को डॉलर में पेमेंट दिया जा रहा और इसने साउथ सूडान की सेना में असंतोष को और बढ़ा दिया.

2018 के शांति समझौते ने यह अनिवार्य किया था कि कीर और मचार की सेनाओं को एकजुट करने की दिशा में काम किया जाएगा. लेकिन इस मोर्चे में सीमित प्रगति हुई है. 

संयुक्त राष्ट्र ने शांति प्रक्रिया को बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों से बार-बार अपील की है. वहीं राजधानी जुबा में मौजूद पश्चिमी देशों के दूतावासों ने मध्यस्थता की पेशकश की है. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के इस सबसे युवा देश पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम ध्यान दिया जा रहा है. बढ़ते तनाव के कारण जर्मनी और नॉर्वे को पहले ही अपने दूतावास बंद करने पड़े हैं.

केन्या के पूर्व प्रधान मंत्री रैला ओडिंगा तनाव को "कम करने" में मदद करने के लिए शुक्रवार को जुबा गए थे और उन्होंने कीर से मुलाकात की. लेकिन उन्हें मचार से मिलने से रोक दिया गया.

इस तनाव उस समय सामने आया है जब देश पिछले 20 वर्षों में सबसे खराब हैजा महामारी का सामना कर रहा है. पिछले छह महीने में साउथ सूडान के अंदर हैजा के 40,000 से अधिक मामले सामने आए हैंऔर लगभग 700 मौतें हुई हैं.

इनपुट- एएफपी

Featured Video Of The Day
Canada Election 2025: कनाडा के चुनावों में ख़ालिस्तानी समर्थकों की करारी हार | NDTV Duniya
Topics mentioned in this article