South Korea's new president, Lee Jae-myung: साउथ कोरिया को आखिरकार 6 महीने की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद एक नया राष्ट्रपति बन गया है. मार्शल लॉ और दो-दो पूर्व राष्ट्रपति पर चले महाभियोग ने जिस देश को राजनीतिक संकट में झोंक दिया था, उसे अब नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग लीड करेंगे. लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार ली जे-म्युंग को लगभग 50% वोट के साथ चुना गया है. ली जे-म्युंग अपने कंजर्वेटिव पार्टी के प्रतिद्वंद्वी, किम मून-सू को हराने के बाद तीसरे प्रयास में देश के राष्ट्रपति बने हैं. उन्होंने साउथ कोरिया के सभी लोगों के लिए शासन करने का वादा किया है - और अच्छे कारण के लिए.
गहराती आर्थिक मंदी और वैश्विक व्यापार युद्ध से लेकर नॉर्थ कोरिया और रूस के बीच मजबूत होते सैन्य संबंधों पर बढ़ती चिंताओं तक, साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति के सामने चुनौतियां तमाम मौजूद हैं. उन्हें साउथ कोरिया की सुरक्षा के पारंपरिक गारंटर अमेरिका और अपने सबसे बड़े व्यापार भागीदार चीन के बीच बढ़ते टकराव से भी निपटना होगा.
साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग
चलिए देखते हैं कि साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति के सामने कौन-कौन सी चुनौतियां हैं:
1. व्यापार पर तनाव
राष्ट्रपति ली की प्राथमिकताओं में साउथ कोरिया की निर्यात-निर्भर अर्थव्यवस्था, जो एशिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, को संभालने का होगा. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने टैरिफ पॉलिसी से आर्थिक उथल-पुथल ला दी है और अपने व्यापारिक साझेदारों को टैरिफ की चोट दे रहे हैं.
वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में, साउथ कोरिया की अर्थव्यवस्था उम्मीद से कम बढ़ी. इसकी वजह थी कि यह निर्यात दिग्गज देश और चिप पावरहाउस वैश्विक आर्थिक तनाव से जूझ रहा था. दिसंबर में तत्कालीन राष्ट्रपति यूं सुक येओल ने थोड़े समय के लिए मार्शल लॉ लगा दिया था और उसके कारण देश में घरेलू स्तर पर अराजकता फैल गई थी. नए राष्ट्रपति ली को उनके समर्थक एक व्यावहारिक और प्रभावी वार्ताकार (नेगोशिएटर) के रूप में देखते हैं, जिनके पास शहर के मेयर और प्रांतीय गवर्नर के रूप में एक दशक से अधिक का अनुभव है.
साउथ कोरिया के नए राष्ट्रपति ली जे-म्युंग और उनकी पत्नी किम ह्ये-क्यूंग
2. आंख दिखाता पड़ोसी
राष्ट्रपति ली की डेमोक्रेटिक पार्टी ने अतीत में परमाणु हथियार से लैस नॉर्थ कोरिया के प्रति अपेक्षाकृत नरम रुख अपनाया है. इस पार्टी से आने वाले पूर्व राष्ट्रपति मून जे-इन ने प्योंगयांग के नेता किम जोंग उन और ट्रंप के साथ कई ऐतिहासिक शिखर सम्मेलन आयोजित किए हैं. लेकिन संबंधों को सामान्य बनाने के मून के प्रयास विफल रहे और प्योंगयांग ने तब से रूस के साथ संबंधों को मजबूत किया, यूक्रेन में मास्को के युद्ध में मदद करने के लिए कम से कम 14,000 सैनिक भेजे और साउथ को अपना दुश्मन देश घोषित कर दिया.
ली ने संकेत दिया है कि वह पिछले राष्ट्रपति यून की तुलना में एक अलग दृष्टिकोण अपनाएंगे. यून के शासन में दोनों कोरियाई देश के संबंध सालों में अपने सबसे खराब स्तर तक गिर गए थे. अपने चुनावी कैंपेन के दौरान, ली ने यून पर अपनी मार्शल लॉ के फैसले को सही ठहराने के लिए जानबूझकर नॉर्थ कोरिया को उकसाने का आरोप लगाया - जिससे रूढ़िवादियों की प्रतिक्रिया हुई.
यून के शासन में, नॉर्थ कोरिया ने साउथ कोरिया से जोड़ने वाली सड़कों और रेलवे को उड़ा दिया और सीमा पर दीवारें खड़ी कर दीं. ली ने कहा था कि नॉर्थ कोरिया ने ऐसा इस डर से किया कि साउथ कोरिया अपने टैंकों के साथ उसकी ओर आगे बढ़ा सकता है. यहां तक की चुनाव जीतने के बाद भी ली ने नॉर्थ कोरिया के साथ बेहतर संबंधों का वादा किया और कहा कि 'युद्ध से शांति बेहतर है.'
3. अमेरिका-चीन के बीच गतिरोध
ली का कार्यकाल तब शुरू हुआ है जब साउथ कोरिया की सुरक्षा के पारंपरिक गारंटर अमेरिका और उसके सबसे बड़े व्यापार भागीदार चीन के बीच टकराव बढ़ गया है. अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हेगसेथ ने मई में चेतावनी दी थी कि बीजिंग "भारत-प्रशांत में शक्ति संतुलन को बदलने के लिए संभावित रूप से सैन्य बल का उपयोग करने की तैयारी कर रहा है". उन्होंने सियोल जैसे एशिया में अमेरिकी सहयोगियों से बढ़ते खतरों के मद्देनजर अपनी सुरक्षा बढ़ाने का आह्वान किया था. हालांकि, ली ने सुझाव दिया है कि साउथ कोरिया को नॉर्थ कोरिया के लंबे समय के समर्थक बीजिंग के साथ मित्रतापूर्ण संबंध बनाने चाहिए.
4. निचले स्तर पर गए जन्म दर का संकट
ली की सरकार को दुनिया की सबसे कम जन्म दर, जीवनयापन की बढ़ती लागत और बढ़ती असमानता से भी निपटना होगा. चुनावी कैंपेन के दौरान, ली ने कहा कि युवा पीढ़ी की "निराशा की भावना" और बढ़ती असमानता साउथ कोरिया की घटती प्रजनन दर का मुख्य कारण है.
कई युवा कोरियाई लोगों को भरोसा नहीं है कि "उनके बच्चों का जीवन उनसे बेहतर होगा". ली ने हफ्ते में काम के दिन कम करने, रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने, बच्चों, विकलांगों और बुजुर्गों के लिए सरकारी देखभाल सेवाओं का विस्तार करने, अधिक आवास विकल्प प्रदान करने और छोटे व्यवसायों और युवा कोरियाई लोगों के लिए आर्थिक समर्थन बढ़ाने का वादा किया है.
5. साउथ कोरिया की ध्रुवीकृत होती राजनीति
ली को ऐसे देश का भी नेतृत्व करना होगा जो अभी भी दिसंबर में यून के मार्शल लॉ लगाने की कोशिश से पैदा हुए राजनीतिक उथल-पुथल से जूझ रहा है और गहराई से विभाजित है. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्र के प्रोफेसर गि-वूक शिन ने न्यूज एजेंसी एएफपी को बताया, अगर नयी सरकार बहुत आक्रामक तरीके से रूढ़िवादियों के पीछे जाती है, तो यह "केवल कट्टर-दक्षिणपंथियों को प्रेरित करेगा, अंततः राजनीतिक ध्रुवीकरण को कम करने के प्रयासों को कमजोर करेगा."
चुनावी कैंपेन के दौरान, ली ने कहा था कि वह मार्शल लॉ लागू करना कठिन बनाने के लिए संविधान में संशोधन करने पर जोर देंगे. उन्होंने यह भी है कहा कि उन लोगों की पहचान करने के लिए एक विशेष जांच शुरू करना आवश्यक है जो नागरिक शासन को समाप्त करने के यून के प्रयास में शामिल हो सकते हैं.
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