मिशन पायलट हैं शुभांशु, कमांड कर रहीं पैगी व्हिटसन… Axiom-4 मिशन पर जा रहे 4 जाबांजों की कहानी

Shubhanshu Shukla's Space Axiom-4 Mission: शुभांशु शुक्ला के साथ अन्य 3 अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर Axiom- 4 स्पेस मिशन बुधवार, 25 जून को दोपहर 12.01 बजे उड़ान भरेगा.

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Shubhanshu Shukla's Space Axiom-4 Mission: मिशन पर जा रहे 4 जाबांजों की कहानी

भारत इतिहास बना रहा है, अपनी अंतरिक्ष यात्रा में लंबी और ऐतिहासिक छलांग लगा रहा है. पहली बार इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर एक भारतीय कदम रखेगा. भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला चार दशकों में अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री होंगे. शुभांशु शुक्ला को इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) ले जाने वाले Axiom-4 मिशन का लॉन्च बुधवार, 25 जून को भारतीय समयानुसार दोपहर के 12.01 बजे होगा. फ्लोरिडा में नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर में लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से 4 क्रू मेंबर को लेकर SpaceX का फाक्लन 9 रॉकेट उड़ान भरेगा.

शुभांशु शुक्ला के साथ इस मिशन पर तीन और अंतरिक्ष यात्री जाने वाले हैं. NASA की पूर्व अंतरिक्ष यात्री और Axiom Space में मानव अंतरिक्ष उड़ान की डायरेक्टर पैगी व्हिटसन इस मिशन की कमान संभालेंगी. ISRO के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला पायलट के रूप में काम करेंगे. दो मिशन विशेषज्ञ यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के परियोजना अंतरिक्ष यात्री पोलैंड के स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की और हंगरी के टिबोर कापू हैं.

चलिए आपको इन चारों अंतरिक्ष यात्री के बारे में यहां सबकुछ बताते हैं.

पैगी व्हिटसन (मिशन कमांडर)

पैगी व्हिटसन अमेरिका की सबसे अनुभवी अंतरिक्ष यात्री हैं और उन्होंने Axiom-2 मिशन में भी कमांडर के रूप में काम किया था. NASA में अपने रिकॉर्ड तोड़ने वाले करियर के दौरान, उन्होंने तीन लंबी अवधि की अंतरिक्ष उड़ानें भरीं और अंतरिक्ष में 665 दिन बिताए (अब एक्स -2 मिशन के बाद यह 675 दिनों का हो गया है). यह दुनिया में किसी भी अन्य अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री या महिला अंतरिक्ष यात्री से अधिक का अनुभव है.

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व्हिटसन ने आयोवावेस्लेयन से बायोलॉजी और केमिस्ट्री में डिग्री और राइस यूनिवर्सिटी से बायो-केमिस्ट्री में डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त की है. उनके माता-पिता किसान थे. वो उनके साथ और अपने भाई-बहनों के साथ अमेरिका के आयोवा के बीकन्सफील्ड शहर के बाहर एक फार्म में पली-बढ़ीं.

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1969 में एक बच्ची के रूप में टेलीविजन पर पहली इंसानों को उन्होंने चंद्रमा पर उतरते हुए देखा और उसके बाद उन्होंने अंतरिक्ष यात्री बनने का फैसला किया.

शुभांशु शुक्ला (मिशन पायलट)

इंडियन एयर फोर्स के एक प्रतिष्ठित पायलट, ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को ISRO के ऐतिहासिक गगनयान मिशन के लिए चुना गया है. यह देश का पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें एक इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा. शुभांशु इस मिशन के लिए चुने गए चार अंतरिक्ष यात्रियों में से एक हैं.

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शुभांशु शुक्ला 10 अक्टूबर, 1985 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे थे. उन्हें जून 2006 में भारतीय वायुसेना के फाइटर विंग में नियुक्त किया गया. एक फाइटर पायलट और अनुभवी परीक्षण पायलट के रूप में, उनके पास Su-30 MKI, MiG-21, MiG-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर और An-32 सहित विभिन्न विमानों में 2,000 घंटे की उड़ान का प्रभावशाली अनुभव है. मार्च 2024 में  वो ग्रुप कैप्टन बने.

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2019 में, शुक्ला को इसरो से एक महत्वपूर्ण कॉल आया. उन्होंने रूस के यूरी गगारिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में कठोर ट्रेनिंग शुरू की. यह एक साल की लंबी तैयारी थी जो उनके भाग्य को आकार देगी. 27 फरवरी, 2024 को, भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2025 में लॉन्च होने वाले भारत के पहले मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान के लिए ट्रेनिंग से गुजरने वाले 4 अंतरिक्ष यात्रियों में से एक के रूप में शुभांशु शुक्ला से देश को मिलाया.

स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की (मिशन स्पेशलिस्ट)

पोलैंड के स्लावोस्ज उज़्नान्स्की-विल्निविस्की एक वैज्ञानिक और इंजीनियर हैं जो विज्ञान और अंतरिक्ष अन्वेषण (स्पेस एक्सप्लोरेशन) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं. यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के एस्ट्रोनॉट रिजर्व क्लास ऑफ 2022 के सदस्य के रूप में, वह 22,500 से अधिक उम्मीदवारों में से चुने गए, और इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) और उससे आगे के भविष्य के मिशनों के लिए अपना स्थान सुरक्षित किया. 

टिबोर कापू (मिशन स्पेशलिस्ट)

टिबोर कापू हंगरी के एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं और Axiom- 4 मिशन के मिशन स्पेशलिस्ट हैं. 5 नवंबर, 1991 को हंगरी के न्यिरेगीहाज़ा में जन्मे कापू की यहां तक की यात्रा कमाल की है. उन्होंने बुडापेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी एंड इकोनॉमिक्स से ग्रेजुएशन किया, मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की, उसके बाद पॉलिमर टेक्नोलॉजी में मास्टर डिग्री हासिल की. उन्होंने फार्मास्युटिकल और लॉजिस्टिक उद्योगों में योगदान दिया है, और अपने करियर के दौरान ऑटोमोटिव उद्योग में हाइब्रिड कार बैटरी के विकास पर काम किया है. उनकी पेशेवर यात्रा उन्हें बेल्जियम और अमेरिका भी ले गई, जहां उन्होंने एडवांस टेक्नोलॉजी में अपने कौशल को और निखारा.
 

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