तबाह गाजा में रोटी के बदले महिलाओं के सामने सेक्‍स की ये कैसी शर्मनाक शर्तें! 

गाजा से पहले दक्षिण सूडान, बुर्किना फासो, कांगो, चाड और हैती में आपात स्थितियों के दौरान दुर्व्यवहार और शोषण की खबरें सामने आई थीं.

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  • गाजा में युद्ध के कारण महिलाओं को भोजन, पानी और पैसों की कमी के बीच यौन शोषण का सामना करना पड़ रहा है.
  • स्थानीय पुरुष और कुछ एड वर्कर्स महिलाओं को शादी का झांसा देकर यौन संबंध बनाने के लिए दबाव डाल रहे हैं.
  • कई महिलाओं ने अपने नाम छिपाकर यौन उत्पीड़न की घटनाओं और परेशानियों के बारे में खुलकर बताया है.
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नई दिल्‍ली:

गाजा, दुनिया का वह हिस्‍सा जो अपनी बर्बादी की कहानी खुद ब खुद अब बयां करने लगा है. पिछले दो सालों से यहां जारी युद्ध ने इसे पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है. यूं तो यहां से कई कहानियां दो सालों से लगातार सामने आ रही हैं लेकिन जो जानकारी अब आई है, उसके बाद तो एक पल को इंसानियत पर से भी भरोसा उठ सकता है. गाजा में भूख, पैसे और पानी से लेकर हर जरूरी चीज का संकट है और इसका फायदा स्‍थानीय पुरुष और एड वर्कर्स कैसे उठा रहे हैं. इसकी कहानी खुद यहां की महिलाओं ने बयां की है. 

शादी तक का झांसा देने की कोशिश 

गाजा में इस समय गंभीर मानवाधिकार संकट है. यहां की महिलाओं ने बताया है कि कैसे खाना, पानी, पैसे और यहां तक कि हर बुनियादी चीज का संकट बढ़ता ही जा रहा है. इस संकट के बीच ही यहां पर महिलाओं का यौन शोषण यहां के स्‍थानीय पुरुष और कुछ एड वर्कर्स कर रहे हैं. इन महिलाओं को दो वक्‍त की रोटी और पीने के पानी का लालच देकर उन पर यौन संबंधों का दबाव डाला जा रहा है. उन्‍हें अभद्र मैसेज किए जा रहे हैं और उन्‍हें देर रात तक उन्‍हें परेशान किया जा रहा है. रहे हैं. न्‍यूज एजेंसी एपी ने ऐसी ही छह महिलाओं से बात की है और उनके अनुभव जाने हैं. 

हर महिला ने अपने परिवारों या पुरुषों के डर से और यौन उत्पीड़न को एक टैबू माने जाने की वजह से अपना नाम न बताने की शर्त पर अपनी कहानी बयां की है. इन महिलाओं ने बताया कि कभी-कभी तो पुरुष उनके पास आते और साफ-साफ दो टूक शब्‍दों में कहते, ' मैं तुम्‍हें छूना चाहता हूं, मुझे ऐसा करने दो.' कभी-कभी यह सबकुछ शादी के नाम पर होता था. उनसे कहा जाता, 'मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं' या 'चलो कहीं साथ चलते हैं.' 

महिलाओं के लिए विकट स्थिति 

विशेषज्ञों के अनुसार यह पहली बार नहीं है जब ऐसी खबरें सामने आई हैं. अक्सर संघर्षों के काल में इस तरह की खबरें सामने आई हैं. गाजा से पहले दक्षिण सूडान, बुर्किना फासो, कांगो, चाड और हैती में आपात स्थितियों के दौरान दुर्व्यवहार और शोषण की खबरें सामने आई थीं. विशेषज्ञों की मानें तो जब लोग विस्थापित होते हैं और मदद पर निर्भर होते हैं तो महिलाओं को सबसे विकट स्थिति से गुजरना पड़ता है. 

ह्यूमन राइट्स वॉच में वीमेन राइट्स डिविजन की एसोसिएट डायरेक्टर हीथर बर्र ने कहा, 'यह एक खतरनाक सच्चाई है कि मानवीय संकट लोगों को कई तरह से कमजोर बना देते हैं, यौन हिंसा में इजाफा अक्सर इसका परिणाम होती है.' उन्होंने आगे कहा, 'गाजा में आज की स्थिति अकल्पनीय है खासकर महिलाओं और लड़कियों के लिए.' गाजा में महिलाओं के साथ काम करने वाली चार साइकोलॉजिस्‍ट्स ने मरीजों की आपबीती सुनाई. 

दर्जनों मामलों का निपटारा 

एक ने कहा कि उनके संगठन ने ऐसे दर्जनों मामलों का निपटारा किया है. इनमें पुरुषों ने कमजोर महिलाओं का यौन शोषण किया और यहां तक कि कुछ महिलाएं गर्भवती तक हो गईं. गाजा में स्थानीय संगठनों के लिए काम करने वाली सभी फिलिस्तीनी मनोवैज्ञानिकों ने, महिलाओं की गोपनीयता की चिंताओं और मामलों की संवेदनशील प्रकृति के कारण, नाम न छापने की शर्त पर बात की. गाजा में जहां एक रूढ़िवादी संस्कृति है, किसी भी संदर्भ में एक्‍स्‍ट्रा मैरिटल सेक्‍सुअल रिलेशंस एक गंभीर अपराध माने जाते हैं. उन्होंने कहा कि उनका कोई भी मरीज सीधे बात नहीं करना चाहता. 

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अपनी कहानियां शेयर करने वाली पांच महिलाओं ने कहा कि उन्होंने पुरुषों के साथ यौन संबंध नहीं बनाए. मनोवैज्ञानिकों ने कहा कि उनके पास आने वाली कुछ महिलाओं ने पुरुषों की मांगों पर सहमति जताई, जबकि बाकियों ने इनकार कर दिया. छह मानवाधिकार और राहत संगठनों का कहना है कि उन्हें मदद मुहैया कराने के नाम पर जुड़े यौन दुर्व्यवहार और शोषण की रिपोर्ट्स की जानकारी है.  

एड वर्कर्स ग्रुप्‍स का कहना है कि गाजा की परिस्थिति, करीब दो साल के युद्ध, कम से कम 90 फीसदी का विस्थापन, और सहायता तक पहुंच को लेकर उथल-पुथल - ने कमजोर लोगों के लिए मानवीय कार्य को विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण बना दिया है. जैसे-जैसे इस क्षेत्र में भूख और हताशा बढ़ती जा रही है, विशेष रूप से महिलाओं का कहना है कि उन्हें असंभव निर्णय लेने के लिए मजबूर किया जा रहा है.  

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ब्‍लॉक करना पड़ा नंबर 

एक महिला ने युद्ध के एक साल बाद, अक्टूबर में शुरू हुई फोन कॉल्‍स के बार में बताया. उन्‍होंने बताया कि शुरुआत में उस शख्‍स के सवाल सीधे-सादे थे. उसने महिला से पूछा था कि उसके पति का क्या हुआ? उनके कितने बच्चे हैं? लेकिन कुछ ही समय के बाद उसका लहजा बदल गया. अब वह शख्‍स उससे पूछता कि उसने कौन सा अंडरवियर पहना हुआ था? उसका पति उसे कैसे खुश करता था?

उसने बताया कि वह उस व्‍यक्ति से मुवासी में मिली थी, जो इजरायल की तरफ से घोषित एक मानवीय क्षेत्र है. जिस समय जब वह मदद पाने के लिए लाइन में खड़ी थी तभी वह एक एड वर्कर ने उन्‍हें अपना फोन नंबर दे दिया. वह एक फिलिस्तीनी था जिसने UNRWA यानी संयुक्त राष्‍ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी की यूनिफॉर्म पहनी थी. नंबर लेने के कुछ ही देर बाद, देर रात फोन कॉल्स शुरू हो गए. उसने बताया कि वह सेक्‍सुअल रिलेशंस के लिए उससे सवाल करता था और वह चुप रहती थी. उसने बताया कि एक बार तो उसने सेक्स के लिए उसके पास आने को कहा. उसने मना कर दिया. करीब एक दर्जन कॉल्स के बाद भी कोई मदद न मिलने पर उसने उसका नंबर ब्लॉक कर दिया।

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क्‍या किया एजेंसियों ने 

महिला ने बताया कि उसने गाजा में UNRWA को मौखिक शिकायत दर्ज कराई थी. उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि सबूत के तौर पर उन्हें बातचीत की रिकॉर्डिंग की जरूरत है, लेकिन उनके पास पुराना फोन था, जो कॉल रिकॉर्ड नहीं कर सकता था. UNRWA की कम्‍युनिकेशंस डायरेक्‍टर जूलियट तौमा का कहना है कि एजेंसी यौन शोषण के प्रति जीरो-टॉलरेंस की पॉलिसी अपनाती है. उनकी मानें तो इससे ऐसे मामलों से जुड़ी हर रिपोर्ट को गंभीरता से लिया जाता है. उनका  दावा है कि एजेंसी को किसी भी तरह के सबूत की जरूरत नहीं है. उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या कर्मचारियों को इस घटना की जानकारी थी? 

रजिस्‍ट्रेशन के समय नंबर का फायदा 

चार महिलाओं ने बताया कि जिन पुरुषों ने उनसे मदद मांगी थी, उन्होंने खुद को एड वर्कर बताया था. एक मामले में मदद का वादा करने वाले एक समुदाय के नेता के तौर पर. कई महिलाओं ने बताया कि यह सब रजिस्‍ट्रेशन करते या मदद के लिए रजिस्‍ट्रेशन की कोशिश करते समय हुआ, पुरुषों ने उनके नंबर लिए, जो अक्सर सहायता प्रक्रिया का एक चरण होता है, और बाद में फोन किया. महिलाओं ने बताया कि सभी पुरुष फ़िलिस्तीनी थे। कई महिलाओं ने कहा कि वे यह नहीं पहचान पाईं कि वे पुरुष किस सहायता समूह से जुड़े थे. 

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सेक्‍सुअल फेवर की मांग 

संयुक्त राष्‍ट्र और हेल्‍प ग्रुप्‍स आम तौर पर स्थानीय समुदायों के साथ काम करते हैं. ये लोगों को ठेकेदार के तौर पर भुगतान करते हैं, स्वयंसेवकों का प्रयोग करते हैं, या समुदाय की तरफ से नियुक्त नेताओं को प्‍वाइंट ऑफ कॉन्‍टैक्‍ट के तौर पर नियुक्‍त करते हैं. छह बच्चों की मां ने बताया कि जिस व्यक्ति ने उसे नौकरी का वादा किया था, वह संयुक्त राष्ट्र के प्रतीकों वाली कार चलाता था. उन्होंने बताया कि बातचीत के बाद, मैसेज आते रहे जिनमें उनके लेट नाइट सेक्‍सुअल रिलेशंस बनाने वाले कॉल और तस्वीरों के लिए रिक्वेस्‍ट्स की गई थीं. उन्होंने बहाने बनाकर उन्हें टालने की कोशिशें कीं. वह अक्‍सर उसे कहती कि वह बिजी हैं या फिर उनका फोन खराब है या बात नहीं कर सकती हैं.

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