2024 से अब तक शेख हसीना केस... एक साल में आंदोलन, हिंसा और ट्रायल ने बदला बांग्लादेश का राजनीतिक चौसर!

इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने 'मानवता के खिलाफ अपराधों' के मामले में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया है. ट्रिब्यूनल ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है. यह फैसला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास का एक निर्णायक मोड़ है.

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बांग्लादेश की राजनीति में पिछले डेढ़ साल सबसे उथल-पुथल भरे रहे. 2024 के छात्र आंदोलनों से शुरू हुई हलचल 2025 में एक बड़े न्यायिक फैसले पर खत्म हुई. इंटरनेशनल क्राइम ट्रिब्यूनल (ICT) ने 'मानवता के खिलाफ अपराधों' के मामले में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को दोषी ठहराया है. ट्रिब्यूनल ने उन्हें फांसी की सजा सुनाई है. यह फैसला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि बांग्लादेश के राजनीतिक इतिहास का एक निर्णायक मोड़ है.

कैसे शुरू हुआ मामला- 2024 का छात्र आंदोलन

कोटा सुधार आंदोलन और देशव्यापी हिंसा

2024 में कोटा सुधार को लेकर शुरू हुआ छात्र आंदोलन अचानक देशभर में फैल गया. कई शहरों में सुरक्षाबलों और छात्रों के बीच टकराव हुए. सरकार पर आरोप लगा कि भीड़ को तितर-बितर करने के नाम पर सुरक्षाबलों ने अत्यधिक बल का प्रयोग किया.

हिंसा में बड़े पैमाने पर मौतें

इस आंदोलन को काबू करने के लिए हसीना सरकार को बल प्रयोग करना पड़ा. इस दौरान करीब 1400 लोगों की मौत हुई. इसी हिंसा की जवाबदेही को लेकर भविष्य में हसीना के खिलाफ केस बनने की नींव पड़ी.

2024-2025: सत्ता से बाहर और देश छोड़ना

हसीना को पद छोड़ना पड़ा

आंदोलन के दबाव, हिंसा और बढ़ते राजनीतिक संकट के बीच शेख हसीना की सरकार कमजोर पड़ती गई. 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट के बाद शेख हसीना और पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमान ने देश छोड़ दिया था. दोनों नेता पिछले 15 महीने से भारत में रह रहे हैं.

भारत में शरण 

भारतीय सुरक्षा एजेंसियों और MEA के स्तर पर यह मामला चर्चाओं में रहा. बांग्लादेश में नई अंतरिम सरकार ने हसीना के खिलाफ वॉरंट जारी कर दिए, लेकिन वे भारत में बनी रहीं.

शेख हसीना पर फैसले को लेकर बांग्लादेश में भारी फोर्स तैनात किया गया.
Photo Credit: AP

2025: विशेष ट्रिब्यूनल का गठन और केस शुरू

जनवरी 2025 में अंतरिम सरकार ने 2024 की हिंसा और दमन की जांच के लिए एक विशेष ट्रिब्यूनल बनाया. इसमें हसीना, उनके कई वरिष्ठ मंत्री और पुलिस-प्रशासन के अधिकारी आरोपी बनाए गए.

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चार्जशीट में कई गंभीर आरोप शामिल थे:

-उकसाने (Incitement)

-मौत का आदेश देना- ड्रोन, हेलिकॉप्टर और जानलेवा हथियारों के इस्तेमाल की मंजूरी देना

-रोकथाम में नाकामी- हिंसक दमन को रोकने में जानबूझकर विफल रहना

इन आरोपों को Crimes Against Humanity की श्रेणी में रखा गया.

ट्रायल कैसे चला- गवाह, डिजिटल सबूत और अनुपस्थिति में सुनवाई

हसीना नहीं लौटीं- ट्रायल In Absentia

नोटिस के बावजूद शेख़ हसीना अदालत में पेश नहीं हुईं. ट्रिब्यूनल ने जुलाई 2025 में इन्हें फरार घोषित किया और ट्रायल In Absentia चलाने की मंजूरी दी.ट्रायल में दर्जनों गवाह पेश हुए. जिनमें, घायल छात्र, आंदोलन से जुड़े आयोजक, पुलिस अधिकारी और मीडिया कर्मचारियों की गवाही शामिल थी.

कोर्ट में वीडियो, कॉल रिकॉर्ड, प्रशासनिक आदेशों की फाइलें और सुरक्षा एजेंसियों के कमांड-लॉग भी पेश किए गए.

17 नवंबर 2025: फैसला जिसने बांग्लादेश को हिला दिया

तीन आरोप साबित

ट्रिब्यूनल ने शेख हसीना को तीन प्रमुख आरोपों में दोषी करार दिया-

1. हिंसा के लिए उकसाना

2. हत्या/घातक कार्रवाई का आदेश देना

3. रोकथाम में विफलता (command failure)

इन आरोपों पर कोर्ट ने कहा, 'अपराध मानवता के दायरे में आते हैं, इसलिए अधिकतम दंड दिया जाता है.' इस मामले में शेख हसीना और उनके सहयोगियों खासकर पूर्व गृह मंत्री को सजा-ए-मौत और उम्रकैद तक की सजा सुनाई गई. वहीं पूर्व पुलिस प्रमुख को 5 साल की सजा सुनाई गई है. क्योंकि वे सरकारी गवाह बन गए थे. 

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शेख हसीना ने कहा कि यह फैसला राजनीतिक बदले की कार्रवाई है और ट्रिब्यूनल निष्पक्ष नहीं था.

किन आरोपों में हुई सजा?

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ ट्रिब्यूनल ने जिन मामलों में सज़ा-ए-मौत सुनाई है, वे सभी आरोप बेहद गंभीर हिंसा, साजिश और राज्य शक्ति के दुरुपयोग से जुड़े हैं. कुल पांच आरोपों में से शेख हसीना आरोप 1, आरोप 2 और आरोप 3 में दोषी पाई गईं हैं. उन्हें पहले और दूसरे आरोपों में मौत की सजा मिली है. आइए जानते हैं कि शेख हसीना के खिलाफ वो पांच आरोप कौन से थे...

1. नागरिकों पर हमला कराने का आदेश

हसीना पर आरोप है कि उन्होंने पुलिस और अवामी लीग से जुड़े हथियारबंद लोगों को आम नागरिकों पर हमला करने के लिए उकसाया. इन हमलों में हत्या, हत्या की कोशिश और यातना शामिल थी. अदालत ने माना कि यह हिंसा हसीना के निर्देश और संरक्षण में हुई.

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2. छात्रों पर घातक हथियारों से हमला करवाना

अदालत के अनुसार हसीना ने छात्र विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए घातक हथियार, हेलिकॉप्टर, और ड्रोन इस्तेमाल करने का आदेश दिया. इस आदेश के चलते बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान हुआ, जिसे अदालत ने 'राज्य शक्ति का घोर दुरुपयोग' माना.

3. छात्र अबू सैयद की हत्या की साजिश

16 जुलाई को बेगम रौकेया यूनिवर्सिटी के छात्र अबू सैयद की हत्या में शेख हसीना को साजिश रचने, हत्या का आदेश देने और अपराध में प्रत्यक्ष भूमिका निभाने का दोषी पाया गया. इस केस को अदालत ने 'प्राणदंड योग्य अपराध' करार दिया.

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4. छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या का आदेश

5 अगस्त को ढाका के चांखारपुल में हुए मुठभेड़ में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की हत्या को अदालत ने 'सीधे हसीना के आदेश का परिणाम' बताया. अदालत ने पाया कि हसीना ने सुरक्षा बलों को कार्रवाई के लिए उकसाया, सहयोग दिया और योजना बनाई, जिसके कारण छह लोगों की जान गई.

5. पांच प्रदर्शनकारियों की हत्या, लाशें जलाना और एक को जिंदा जलाना

सबसे भयावह आरोप में कोर्ट ने माना कि हसीना के निर्देश पर सुरक्षाबलों ने 5 प्रदर्शनकारियों को गोली मारकर हत्या की, उनकी लाशें जलाईं, और एक प्रदर्शनकारी को जिंदा जला दिया. ट्रिब्यूनल के मुताबिक यह अपराध क्रूरता की पराकाष्ठा था, जिसे मौत की सजा से कम दंड नहीं दिया जा सकता.

गृह मंत्री को भी मौत की सजा, सरकारी गवाह बने अफसर को मात्र 5 साल की कैद 

अपने फैसले में अदालत ने माना है कि शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किए हैं. शेख हसीना के साथ-साथ उनकी सरकार में गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल-मामून को दोषी पाया गया है. अब्दुल्ला अल-मामून सरकारी गवाह बन गए थे तो उन्हें कम सजा दी गई.

इस अदालत ने पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मृत्युदंड की सजा सुनाई है, जबकि पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामुन जो सरकारी गवाह बन गए थे, को मामले में पांच साल की कैद की सजा सुनाई गई है. अदालत ने शेख हसीना और असदुज्जमां की संपत्ति को भी जब्त करने का भी आदेश दिया है.

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