एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मंगलवार, 13 मई को एक रिपोर्ट में कहा कि सऊदी अरब में आने वाले केन्याई घरेलू कामगारों को कारावास, नस्लवाद और कभी-कभी बलात्कार का सामना करना पड़ता है. उनकी कामकाजी परिस्थितियां इतनी अपमानजनक होती हैं कि वे अक्सर "जबरन श्रम और मानव तस्करी" के समान हो जाती हैं. यह रिपोर्ट तब जारी की गई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप आधिकारिक यात्रा के लिए रियाद पहुंचने वाले हैं.
मानवाधिकार से जुड़े इस NGO ने सऊदी अरब में घरेलू कामगारों के रूप में काम करने वाली 70 से अधिक महिलाओं द्वारा सामना की जाने वाली क्रूर स्थितियों के डिटेल्स दिए हैं. रिपोर्ट में कहा गया है, "उन्हें भयानक जीवन स्थितियों और यौन, मौखिक और शारीरिक हमले सहित अमानवीय व्यवहार का सामना करना पड़ा. नियोक्ता (मालिक) आमतौर पर उनके पासपोर्ट और फोन जब्त कर लेते हैं और कभी-कभी उनका वेतन भी रोक लेते हैं."
एमनेस्टी ने कहा कि केन्याई सरकार भी शोषण में शामिल थी. एमनेस्टी इंटरनेशनल केन्या के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर इरुंगु हॉटन ने कहा, "केन्याई सरकार सक्रिय रूप से श्रम प्रवास (लेबर काम के लिए विदेश जाना) को प्रोत्साहित कर रही है, और सऊदी अरब के अधिकारियों का दावा है कि उन्होंने श्रम अधिकार सुधार पेश किए हैं.. फिर भी बंद दरवाजों के पीछे घरेलू कामगारों को चौंकाने वाले स्तर के नस्लवाद, दुर्व्यवहार और शोषण का सामना करना पड़ रहा है."
कई महिलाओं ने यौन हिंसा की घटनाओं की सूचना दी. इनमें एक ऐसी महिला भी शामिल है जिससे पति ने पांच बार बलात्कार किया है. एमनेस्टी ने केन्याई लोगों के प्रति व्यवहार में "प्रणालीगत नस्लवाद" का वर्णन किया, जिन्हें अक्सर घर के सदस्यों द्वारा "जानवर" और "बंदर" कहा जाता है. एमनेस्टी ने जो डाटा दिया है, उसके अनुसार सऊदी अरब में लगभग चार मिलियन घरेलू कामगार हैं, जिनमें से सभी विदेशी देशों से हैं, जिनमें केन्या से 150,000 भी शामिल हैं. एमनेस्टी ने कहा, हाल के वर्षों में इसके सिस्टम में कुछ सुधार हुए हैं, लेकिन "कड़े प्रतिबंध" बने हुए हैं. NGO ने कहा कि उसे सऊदी और केन्याई अधिकारियों को भेजे गए प्रश्नों का कोई जवाब नहीं मिला है.