सलमान रुश्दी को अपने लेखन के कारण ईरान का गुस्सा झेलना पड़ा था, जारी हुआ था मौत का फतवा

Salman Rushdie: सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि चौटाउक्वा काउंटी में एक कार्यक्रम में हमला होने के बाद लोग मदद के लिए दौड़े, पुलिस ने पीड़ित की तुरंत पहचान करने से इनकार किया, छुरे से हमला किए जाने की पुष्टि की

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
सलमान रुश्दी की किताब 'सैटेनिक वर्सेज' को लेकर ईरान ने मौत का फतवा जारी किया था.
न्यूयार्क:

ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी (Salman Rushdie) के लेखन ने उन्हें ईरान (Iranian) के निशाने पर ला खड़ा किया और उन्हें हत्या की धमकियां (Death Threats) मिलीं. इन हालात में उन्हें छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा. लेकिन शुक्रवार को पश्चिमी न्यूयॉर्क स्टेट में उन पर मंच पर हमला किया गया. सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो फुटेज में दिख रहा है कि चौटाउक्वा काउंटी में एक कार्यक्रम में हमला होने के बाद लोग मदद के लिए दौड़े, पुलिस ने पीड़ित की तुरंत पहचान करने से इनकार किया, छुरे से हमला किए जाने की पुष्टि की.

एक चश्मदीद ने सोशल मीडिया पर कहा, चौटाउक्वा इंस्टीट्यूट में एक सबसे भयानक घटना हुई, सलमान रुश्दी पर मंच पर हमला किया गया. एम्फीथिएटर को खाली करा लिया गया है."

चौटाउक्वा काउंटी के शेरिफ के आफिस ने और अधिक विवरण दिए बिना कहा, "हम पुष्टि कर सकते हैं कि छुरा घोंपा गया था." रुश्दी की स्थिति के बारे में तत्काल पता नहीं चल सका है. 

Advertisement

अब 75 वर्ष के हो चुके लेखक सलमान रुश्दी सन 1981 में अपने दूसरे उपन्यास "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" के साथ सुर्खियों में आए थे. इस किताब में स्वतंत्रता के बाद के भारत के चित्रण के लिए उन्हें अंतरराष्ट्रीय प्रशंसा और ब्रिटेन के प्रतिष्ठित बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

Advertisement

लेकिन इसके बाद साल 1988 में आई उनकी पुस्तक "द सैटेनिक वर्सेज" ने कल्पना से परे दुनिया का ध्यान आकर्षित किया क्योंकि इस लेखन को लेकर ईरानी क्रांतिकारी नेता अयातुल्ला रूहोल्लाह खुमैनी ने उनकी मौत का फतवा जारी किया था.

Advertisement

इस उपन्यास को कुछ मुसलमानों ने पैगंबर मोहम्मद का अपमान माना था.

रुश्दी भारत में पैदा हुए मुसलमान हैं और नास्तिक हैं. उनके खिलाफ मौत का फरमान जारी होने पर और हत्या के लिए इनाम घोषित होने पर उनको भूमिगत होने के लिए मजबूर होना पड़ा. 

Advertisement

एक दशक छिपकर जीवन गुजारा

सलमान रुश्दी के अनुवादकों और प्रकाशकों की हत्या या हत्या के प्रयास के बाद उन्हें ब्रिटेन में सरकार ने पुलिस सुरक्षा प्रदान की. ब्रिटेन में ही उन्होंने अपना घर बनाया. 

लगभग एक दशक तक छिपे रहने, बार-बार घर बदलने और अपने बच्चों को यह बताने में असमर्थ रहे कि वे कहां रहते हैं.

रुश्दी 1990 के अंत से छिपे रहे. सन 1998 में जब ईरान ने कहा कि वह उनकी हत्या का समर्थन नहीं करेगा, तो उन्होंने उभरना शुरू किया.

रुश्दी अब न्यूयॉर्क में रहते हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पैरोकार हैं. विशेष रूप से 2015 में पेरिस में इस्लामवादियों द्वारा फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका चार्ली हेब्दो के कर्मचारियों को गोली मारने के बाद से वे पत्रिका के बचाव में मजबूती से खड़े हैं.

उक्त पत्रिका ने मोहम्मद के चित्र प्रकाशित किए थे जिन पर दुनिया भर के मुसलमानों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी. 

रुश्दी की शिरकत वाले साहित्यिक कार्यक्रमों के खिलाफ धमकी और बहिष्कार जारी है. सन 2007 में उनको नाइटहुड मिलने पर ईरान और पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन हुए थे. वहां एक सरकार के एक मंत्री ने कहा कि यह सम्मान आत्मघाती बम विस्फोटों को उचित ठहराता है.

मौत का फतवा रुश्दी के लेखन को दबाने में विफल रहा, और इसने उन्हें संस्मरण "जोसेफ एंटोन" लिखने को प्रेरित किया. एक अन्य उपनाम से यह उन्होंने तब लिखा जब वे छिपे हुए थे. 

उपन्यास "मिडनाइट्स चिल्ड्रन" 600 से अधिक पेजों का है. यह रंगमंच और सिल्वर स्क्रीन ने भी अपनाया. उनकी पुस्तकों का 40 से अधिक भाषाओं में अनुवाद किया गया है.

सलमान रुश्‍दी के गले पर चाकू से हमला, हेलीकॉप्‍टर से पहुंचाया अस्‍पताल

Featured Video Of The Day
UP Techie Mohit Death News: होटल में 33 साल के इंजीनियर ने की ख़ुदकुशी, पीछे छोड़ गए कई सवाल
Topics mentioned in this article