- विदेश मंत्री जयशंकर ने जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस से तेल आयात को लेकर दोहरे मानदंडों की आलोचना की.
- जयशंकर ने आतंकवाद को सबसे बड़ी बाधा बताया और उसके खिलाफ वैश्विक सहिष्णुता रोकने की जरूरत पर जोर दिया.
- उन्होंने ग्लोबल साउथ के आर्थिक दबाव और ऊर्जा संकट पर ध्यान केंद्रित करते हुए सुरक्षा के महत्व को बताया.
गुरुवार को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने न्यूयॉर्क में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की एक मीटिंग को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने अमेरिका समेत हर उस देश को एक कड़ा संदेश दिया जो पिछले कुछ महीनों से रूस से तेल आयात को लेकर भारत को निशाना बनाते आ रहे हैं. विदेश मंत्री ने साफ कहा कि दोहरे मानदंड साफ नजर आ रहे हैं. विदेश मंत्री एस जयशंकर इस साल भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जगह संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र को संबोधित करने वाले हैं.
आतंकवाद एक बड़ी रुकावट
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, 'विकास के लिए एक सतत खतरा शांति में बाधा डालने वाला स्थायी कारक है, आतंकवाद. यह जरूरी है कि दुनिया आतंकवादी गतिविधियों के लिए न तो सहिष्णुता दिखाए और न ही उन्हें कोई मदद दे.' विदेश मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे दुनिया संघर्ष, आर्थिक दबाव और आतंकवाद का सामना कर रही है, बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र की सीमाएं साफ नजर आ रही हैं. उन्होंने कहा, 'बहुपक्षवाद में सुधार की जरूरत पहले कभी इतनी ज्यादा नहीं थी.' उन्होंने आगे कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय स्थिति राजनीतिक और आर्थिक दोनों रूप से अस्थिर है.
ग्लोबल साउथ का जिक्र
जयशंकर ने कहा, 'जी-20 के सदस्य होने के नाते, इसकी स्थिरता को मजबूत करने और इसे और ज्यादा सकारात्मक दिशा देने की हमारी विशेष जिम्मेदारी है, जो बातचीत और कूटनीति के जरिए, आतंकवाद का दृढ़ता से मुकाबला करके और मजबूत ऊर्जा एवं आर्थिक सुरक्षा की जरूरत को समझकर सबसे बेहतर ढंग से किया जा सकता है.' शांति और अंतरराष्ट्रीय विकास पर बोलते हुए, उन्होंने कहा कि दुनिया में जारी संघर्षों, खास तौर पर यूक्रेन और गाजा में, ने ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक सुरक्षा के मामले में, ग्लोबल साउथ के लिए, इसकी कीमतों को साफ तौर पर प्रदर्शित किया है. जयशंकर ने कहा, 'आपूर्ति और रसद को खतरे में डालने के अलावा, पहुंच और लागत भी देशों पर दबाव का कारण बन गए हैं.'
अमेरिका पर हमला
इसके बाद उन्होंने कहा, 'दोहरे मानदंड साफतौर पर नजर आ रहे हैं.' जयशंकर ने जोर देकर कहा कि शांति विकास को संभव बनाती है, लेकिन विकास को खतरे में डालने से शांति संभव नहीं हो सकती.' जयशंकर ने दो टूक शब्दों में कहा कि आर्थिक तौर पर नाजुक हालात में ऊर्जा और बाकी जरूरी चीजों को और अनिश्चित बनाने से किसी को कोई फायदा नहीं होता. इसके साथ ही उन्होंने बातचीत और कूटनीति की ओर बढ़ने की अपील की 'न कि विपरीत दिशा में और जटिलताओं की ओर.' विशेषज्ञों का कहना है कि विदेश मंत्री की यह टिप्पणी साफतौर पर अमेरिका की तरफ थी क्योंकि पिछले कुछ दिनों में हर बार अमेरिका ने भारत को यूक्रेन युद्ध के लिए दोष दिया है.
रूस यूक्रेन पर क्या बोले
रूस और यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में उन्होंने साफ-साफ कहा कि किसी भी संघर्ष की स्थिति में, कुछ ऐसे देश होंगे जो दोनों पक्षों को शामिल करने की क्षमता रखते हैं और ऐसे देशों का प्रयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय की तरफ से शांति स्थापित करने और उसके बाद उसे बनाए रखने, दोनों के लिए किया जा सकता है. विदेश मंत्री के अनुसार, 'इसलिए जब हम शांति के लिए जटिल खतरों से निपटने का प्रयास कर रहे हैं, तो ऐसे लक्ष्यों का समर्थन करने वालों को प्रोत्साहित करने के महत्व को भी समझा जाना चाहिए.'