रूस घूमने गए 7 भारतीयों को धोखे से आर्मी में किया भर्ती, यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने की दी ट्रेनिंग

पंजाब के होशियारपुर के 7 लोगों ने सरकार से मदद की अपील की है. उन्होंने दावा किया है कि पहले धोखे से उन्हें आर्मी में शामिल किया गया. फिर जंग लड़ने की ट्रेनिंग दी गई और अब उन्हें यूक्रेन के खिलाफ रूस के लिए युद्ध लड़ने को मजबूर किया जा रहा है.

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पंजाब के होशियारपुर के 7 लोगों ने सरकार से मदद की अपील की है.
नई दिल्ली:

रूस में कई भारतीयों को धोखा देकर जबरदस्ती यूक्रेन के खिलाफ (Ukraine War) जंग लड़ाने के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. पंजाब के होशियारपुर के रहने वाले 7 लोग रूस के टूर पर गए थे. लेकिन वहां उन्हें जबरन रूस की प्राइवेट आर्मी कहे जाने वाले वैगनर ग्रुप (Wagner Group) में भर्ती कर लिया गया. फिर इन सभी को यूक्रेन के खिलाफ जंग लड़ने की ट्रेनिंग दी गई. इन लोगों ने वीडियो जारी कर इसका दावा किया है. रिपोर्ट के मुताबिक, रूस में फंसे इन भारतीयों ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर (S. Jaishankar) से भारत लौटने में मदद करने की अपील की है.

पंजाब के होशियारपुर के 7 लोगों ने सरकार से मदद की अपील की है. उन्होंने दावा किया है कि पहले धोखे से उन्हें आर्मी में शामिल किया गया. फिर जंग लड़ने की ट्रेनिंग दी गई और अब उन्हें यूक्रेन के खिलाफ रूस के लिए युद्ध लड़ने को मजबूर किया जा रहा है.

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105 सेकेंड का वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर वायरल हो रहा है. इसमें 7 लोग एक गंदे कमरे में खड़े दिखाई देते हैं. उनमें से गगनदीप सिंह नाम का शख्स आपबीती सुनाता है. बाकी 6 लोग कोने में एक साथ खड़े हैं. गगनदीप बताता है कि वे नए साल में रूस घूमने आए थे. एक एजेंट ने उन्हें कई जगहों में घुमाया. फिर एजेंट ने कहा कि वो बेलारूस ले जाएगा. उन लोगों को नहीं पता था कि बेलारूस घूमने के लिए वीजा लगता है. इसके बाद एजेंट पैसा मांगने लगा. सभी लोगों ने जितने पैसे थे, एजेंट को दे दिए. इसके बाद पैसे न देने पर एजेंट ने उन भारतीयों को हाईवे पर छोड़ दिया, जहां उन्हें पुलिस ने पकड़कर रूस की आर्मी को सौंप दिया.

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27 दिसंबर को रूस के लिए हुए थे रवाना 
गगनदीप सिंह के मुताबिक, वे 27 दिसंबर को न्यू ईयर मनाने के लिए रूस के लिए रवाना हुए. इन लोगों के पास रूस का ट्रैवेल वीज़ा था, जो 90 दिनों के लिए वैलिड था. फिर इन्होंने एजेंट के कहने पर रूस के पड़ोसी देश बेलारूस की यात्रा की.

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गगनदीप सिंह बताते हैं, "जब हम बेलारूस गए (बिना वीजा के) तो एजेंट ने हमसे और पैसे मांगे और फिर हमें हाईवे पर छोड़ दिया. बाद में पुलिस ने हमें पकड़ लिया और रूसी आर्मी ऑफिसर को सौंप दिया. उन ऑफिसर्स ने हमसे कुछ डॉक्युमेंट्स पर साइन करा लिए." गगनदीप आगे बताते हैं, "अब वे (रूस) हमें यूक्रेन के खिलाफ युद्ध लड़ने के लिए मजबूर कर रहे हैं.

विदेश मंत्रालय पहुंचा गगनदीप सिंह का परिवार
गगनदीप सिंह का परिवार विदेश मंत्रालय तक पहुंच गया है. उनके भाई अमृत सिंह ने NDTV को बताया, "वे लोग मजबूर थे, उन्हें वहां सेना में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया. क्योंकि बेलारूस में जिन दस्तावेजों पर उन्होंने साइन किए, वो रूसी भाषा में थे. इसमें कहा गया था कि या तो वे 10 साल की कैद स्वीकार करें या रूसी सेना में शामिल हों." कथित तौर पर इन लोगों को 15 दिनों की मिलिट्री ट्रेनिंग दी गई और फिर एक्टिव वॉर ज़ोन में भेज दिया गया.

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आर्थिक रूप से रूस पर निर्भर है बेलारूस
बेलारूस राजनीतिक और आर्थिक मदद के लिए रूस पर निर्भर है. इसे रूस के सबसे करीबी सहयोगियों में शामिल किया जाता है. रूसी राष्ट्रपति कार्यालय क्रेमलिन ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए बेलारूस को एक प्लेटफॉर्म के तौर पर इस्तेमाल किया. तब से बेलारूस पहले से और ज्यादा एक्टिव रोल के लिए तैयार हो गया है.

इस वीडियो में दिख रहे 7 लोग उन दो दर्जन लोगों में से हैं, जो कथित तौर पर रूस में फंसे हुए हैं या जंग के फ्रंटलाइन में हैं. इन सभी का कहना है कि उन्हें एक्टिव मिलिस्ट्री सर्विस में धोखे से शामिल किया गया था. सभी ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

पिछले हफ्ते विदेश मंत्रालय ने कहा था कि वह रूस में फंसे भारतीय लोगों के संपर्क में है. इनमें जम्मू-कश्मीर का 31 वर्षीय व्यक्ति आज़ाद यूसुफ कुमार भी शामिल है. रूसी सेना में भर्ती के कुछ दिनों बाद कुमार को कथित तौर पर पैर में गोली मार दी गई थी.

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नौकरी का धोखा देकर आर्मी में किया शामिल
ऐसी भी खबरें हैं कि कर्नाटक, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश से कम से कम 10 भारतीयों को भी नौकरी का धोखा देकर रूस बुलाया गया और उन्हें आर्मी में शामिल करके जंग लड़ने को मजबूर किया गया. उन्हें बरगलाने वाले एजेंट ने हर भारतीय से 3-3 लाख रुपये भी वसूले.

रिपोर्ट के मुताबिक, 60 अन्य भारतीयों को भी झांसा देकर वैगनर आर्मी में शामिल किया गया है. महाराष्ट्र के एक व्यक्ति ने इन लोगों से रूसी भाषा में लिखा कॉन्ट्रैक्ट साइन कराया था. इन्हें बताया गया कि यह हेल्पर की नौकरी के लिए है.

पिछले महीने भारत सरकार ने कहा था कि उसे जानकारी है कि कुछ भारतीय रूस में फंसे हुए हैं. उनकी रिहाई के लिए भारत सरकार रूस की अथॉरिटी से बात कर रही है. एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, "हम जानते हैं... भारतीय दूतावास ने संबंधित रूसी अधिकारियों के साथ उनकी जल्द रिहाई का मामला उठाया है. हम सभी भारतीयों से यूक्रेन संघर्ष से दूर रहने का आग्रह करते हैं."


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