रूस यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के दो महीने से अधिक समय से डॉ फराद अली शख ने अपने दिन का अधिकतर समय यूक्रेनी सैनिकों (Ukrainian soldiers) और नागरिकों के ज़ख्मों का इलाज करने में निकलता है. वो साथ ही घायल रूसी सैनिकों ( Russians soldiers) का भी इलाज करते हैं, लेकिन बिना इच्छा के. लेकिन इन रूसी सैनिकों का इस्तेमाल भविष्य में कैदियों की अदला-बदली में हो सकता है. इस युवा डॉक्टर (Young Doctor) ने कहा,"वो दक्षिणी यूक्रेन के बड़े शहर ज़ापोरिझिझिया के सैन्य अस्पताल में लगभग रहते हैं. जो युद्ध के मैदान से कुछ किलोमीटर दूर है." रात को यहां गोलाबारी की आवाज सुनी जा सकती है. क्योंकि रूस ने मोटे तौर पर उत्तरी यूक्रेन से पैर पीछे हटा लिए हैं ताकि वो पूर्व के डोनबास क्षेत्र और दक्षिणी यूक्रेन पर अपनी ताकत लगा सके. यह औद्योगिक शहर ज़ापोरिझिझिया उन लोगों का एक ठिकाना बन गया है जो जो हिंसा से भागना चाहते हैं या युद्ध में घायल हैं.
अली-शख का कहना है कि वो हर दिन लगभग 20 घंटे काम करते हैं, जिसका मतलब एक के बाद एक लगभग 20 मरीजों का ऑपरेशन करना शामिल है. 24 फरवरी जब से रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण किया है, तब से हॉस्पिटल की खिड़की पर मोटा तिरपाल बिछा दिया गया है, ताकि रात को आसमान से यह आसानी से ना दिखे जिससे इसके रूसी सेना के निशाना बनने का खतरा बढ़ जाता है.
अस्पताल को बचा रहा तिरपाल
लेकिन तिरपाल लोगों को बमबारी के समय उड़ने वाले शीशों से बचाने के भी काम आते हैं. पिछले हफ्ते ज़ापोरिझझिया पर एक रूसी हमला हुआ था. इसका मतलब यह है कि अस्पताल दिन में अधिकतर समय अंधेरे में रहता है. डेस्क लैंप के बीच बातचीत होती है और मरीजों के एक्सरे इस जगह से भूतिया जगह जैसा बना देते हैं.
इस धीमी रोशनी में डॉक्टरों में मोबाइल पर फोटो भी साफ नजर नहीं आते. एक फोटो में एक पूरी तरह से फटे हुए पैर का फोटो है जो केवल खाल के एक टुकड़े से चिपका हुआ है.
अली -शख कहते हैं, " यह कुछ ऐसा है जो यहां पर बहुत-बार दिखाई पड़ता है. अली-शख ने कहा, " पहले हमने खून की धमनियों को जोड़ा और फिर खाल दोबारा चिपकाई."
एक दूसरी तस्वीर में, मरीज का हाथ दो भागों में लगभग कट गया था, डॉक्टर ने कहा, इसे भी बचाया गया.
इस तरह की भयानक चोटों से लगातार निपटने के भावनात्मक असर के बारे में पूछने पर वो कहते हैं, " हमने ऐसी चोटों से निपटना सीख लिया है, हम यहां एक मुश्किल काम कर रहे हैं लेकिन हम अपने देश की मदद कर रहे हैं."
रूसी सैनिकों का इलाज
इसके बाद उन्होंने चौंकाने वाली जानकारी दी, " हम रूसी सैनिकों का इलाज भी करते हैं. लेकिन शायद हमें नहीं करना चाहिए. शायद हमें उन्हें ऐसे ही छोड़ देना चाहिए."
युवा डॉक्टर ने माना कि जब बात आती है कि दुश्मनों के सैनिकों का इलाज करने की, तब अधिक प्रेरणा नहीं मिलती."
लेकिन वो आगे कहते हैं, "लेकिन अगर आप उन्हें ठीक होने में मदद करेंगे, तो आप उन यूक्रेनी सैनिकों से बदल सकते हैं जो रूसी सैनिकों की कैद में हैं."
पूरे अस्पताल में कपड़े के बॉक्स और मेडिकल सप्लाई अस्पताल में इमरजेंसी का पता लगते हैं.
इस अस्पताल को चलाने वाले मेजर विक्टर सायंको (Major Viktor Pyssanko)कहते हैं, यह सीमित संसाधन इस ओर भी इशारा करते हैं, कि डॉक्टरों को इन "जानवरों" का भी इलाज करना होगा.
वह कहते हैं, रूसी सैनिक, विचारहीन युवा हैं, जो प्रोपेगेंडा का शिकार हुए हैं. वो कहते हैं कि वो यूक्रेन को आजाद करना चाहते हैं लेकिन वो जितना हो सके उतने यूक्रेनियों को मारना भी चाहते हैं. "
सायंको ने कहा, इसके बावजूद अस्पताल जितना हो सके उतने सैनिकों को बचाने की कोशिश कर रहा है, ताकि उनके बदले में अपने सैनिकों को बचाया जा सके.
हाल ही में शुक्रवार को कैदियों की अदला-बदली हुई थी, जब 41 यूक्रेनी....28 सैनिक और 13 नागरिकों को रिहा किया गया था. इनमें 11 महिलाएं और एक धर्मगुरु भी शामिल है. यूक्रेन ने जबकि नहीं बताया कि कितने रूसी सैनिकों को रूस को वापस दिया गया.