यूक्रेन में जंग बाद सेना उतारने को तैयार यूरोप के 26 देश, ‘सुरक्षा गारंटी’ पर पुतिन की चेतावनी जान लीजिए

यूक्रेन में शांति समझौता होने पर उसकी सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने के लिए पश्चिमी देशों का एक शिखर सम्मेलन हुआ. इस गठबंधन का नाम कीव “कोएलिशन ऑफ विलिंग्स” है.

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यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने के लिए पश्चिमी देशों का एक शिखर सम्मेलन हुआ.
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  • रूस- यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के बाद यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी के लिए 26 देशों ने सेना भेजने की पेशकश की है.
  • फ्रांस के राष्ट्रपति ने कहा कि जल्द ही पता चलेगा कि अमेरिका भी इस सुरक्षा पहल में अपना समर्थन देगा या नहीं
  • रूस ने साफ कहा है कि पश्चिमी देशों द्वारा यूक्रेन को सुरक्षा गारंटी देना अस्वीकार्य है.
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रूस और यूक्रेन के बीच पिछले साढ़े तीन साल से जारी जंग कब रुकेगी? यह वह सवाल है जिसका जवाब किसी के पास नहीं लेकिन उसके जवाब पर पूरी दुनिया की नजर टिकी है. अब रूस के साथ किसी भी सीजफयार समझौते के बाद 26 देशों ने यूक्रेन की सुरक्षा गारंटी के लिए अपनी सेना भेजने की पेशकश की है. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो ने गुरुवार को एक शिखर सम्मेलन के बाद यह जानकारी दी और कहा कि आने वाले दिनों में यह पता चलेगा कि अमेरिका इसमें अपना समर्थन देगा या नहीं.

यूक्रेन में शांति समझौता होने पर उसकी सुरक्षा गारंटी सुनिश्चित करने के लिए एक शिखर सम्मेलन हुआ. इस गठबंधन का नाम कीव “कोएलिशन ऑफ विलिंग्स” है. इस शिखर सम्मेलन के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस भी किया गया.

मैंक्रो ने शिखर सम्मेलन के बाद मीडिया से कहा, "आज हमारे पास 26 देश हैं जिन्होंने औपचारिक रूप से प्रतिबद्धता जताई है कि यूक्रेन में ‘रिएश्योरेंस फोर्स' के रूप में सैनिकों को जमीन पर, समुद्र में या हवा में मौजूद रहने के लिए तैनात किया जाएगा. कुछ अन्य देशों ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है."

उन्होंने कहा कि "यह फोर्स रूस के खिलाफ कोई युद्ध छेड़ना नहीं चाहती है". मैंक्रो ने कहा कि यूरोप की इस सुरक्षा गारंटी को अमेरिका अपना समर्थन देगा या नहीं, इसे "आने वाले दिनों में" अंतिम रूप दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि सुरक्षा प्रयासों में भाग लेने के लिए अमेरिका तत्पर है या नहीं, इसके संबंध में "कोई संदेह नहीं" है.

यूक्रेन ने कहा शुक्रिया तो रूस ने दिया यह साफ जवाब

यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोडिमिर जेलेंस्की ने युद्ध के बाद यूक्रेन में सेना भेजने पर सहमति जताने के लिए यूरोपीय सहयोगियों को धन्यवाद दिया और इस कदम को पहला "ठोस कदम" बताया. जेलेंस्की ने रिपोर्टरों से कहा, "मुझे लगता है कि आज, लंबे समय में पहली बार, यह पहला इतना गंभीर ठोस कदम है."

हालांकि दूसरी तरफ रूस ने साफ कर दिया है कि उसे यह कतई स्वीकार नहीं होगा. रूस की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, क्रेमलिन (रूसी सरकार) के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा कि पश्चिमी देश यूक्रेन के लिए सुरक्षा गारंटी "नहीं" दे सकते हैं.

रूसी सरकार के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने सरकारी न्यूज एजेंसी RIA नोवोस्ती को बताया, "क्या विदेशी, विशेष रूप से यूरोपीय और अमेरिकी सैन्य दल, यूक्रेन के लिए सुरक्षा प्रदान और गारंटी दे सकते हैं? निश्चित रूप से नहीं, वे नहीं कर सकते… यूक्रेन के लिए ऐसी कोई सुरक्षा गारंटी नहीं हो सकती जो हमारे देश के अनुकूल हो."

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