रूस ने अमेरिका के साथ बची इकलौती परमाणु संधि को सस्पेंड किया

नई START संधि पर प्राग में वर्ष 2010 में दस्‍तखत किए गए थे और यह इसके अगले वर्ष लागू हुई थी.

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नई संधि पर प्राग में वर्ष 2010 में दस्‍तखत किए गए थे
मॉस्‍को:

रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन ने मंगलवार को कहा कि रूस, अमेरिका के साथ बची इकलौती परमाणु संधि को भी सस्पेंड कर रहा है जो दोनों पक्षों के सामरिक परमाणु हथियारों (Nuclear arsenals) को सीमित करने को लेकर है. न्‍यूज एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार,पुतिन ने यूक्रेन में युद्ध के करीब एक वर्ष बाद रूसी संसद में अपने अहम भाषण के बाद सांसदों से कहा, " मुझे आज यह घोषणा करने के लिए मजबूर होना कि सामरिक हथियार संधि में रूस अपनी भागीदारी को निलंबित कर रहा है." नई START संधि पर प्राग में वर्ष 2010 में दस्‍तखत किए गए थे और यह इसके अगले वर्ष लागू हुई थी.

अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के पदभार संभालने के बाद से पांच वर्ष के लिए 2021 तक आगे बढ़ाया गया था. यह संधि, अमेरिका और रूस की ओर से तैनात किए जाने वाले सामरिक परमाणु हथियारों की संख्‍या और उन्हें जमीन और पनडुब्बी आधारित मिसाइलों और बमवर्षकों की तैनाती को सीमित करती है.विशेषज्ञों के अनुसार, रूस के पास दुनिया में परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा भंडार है, एक अनुमान के अनुसार इसमें करीब 6,000 हथियार हैं. रूस और अमेरिका के पास, कुल मिलाकर दुनिया के लगभग 90% परमाणु हथियार हैं जो दुनिया को कई बार नष्ट करने के लिए पर्याप्त हैं.

गौरतलब है कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने अपने संबोधन में पश्चिमी देशों पर युद्ध को भड़काने का आरोप लगाया है. उन्‍होंने कहा कि पूरी स्थिति को बेहद सावधानीपूर्वक और व्‍यवस्थित ढंग से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं. अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन के यूक्रेन दौरे से ठीक बाद दिए अपने भाषण में पुतिन ने कहा, "मेरे लिए देश की सुरक्षा अहम है और हम इसके लिए पूरी तरह से तैयार हैं. यूक्रेन युद्ध के लिए पूरी तरह से पश्चिमी देश जिम्‍मेदार हैं." रूस के राष्‍ट्रपति ने कहा कि अमेरिका ने दुनियाभर में अपने सैनिक तैनात किए हुए हैं. हमारी लड़ाई यूक्रेन के लोगों के साथ नहीं, बल्कि पश्चिमी ताकत के खिलाफ है. उन्‍होंने कहा कि पश्चिमी देशों ने इस युद्ध को शुरू किया है. पश्चिमी देश रूस की सीमा के पास सैन्‍य दस्‍ते तैनात कर रहे हैं. पुतिन ने कहा कि  2001 से संयुक्त राज्य अमेरिका ने जो युद्ध छेड़े हैं, उसके परिणामस्वरूप लगभग 900,000 लोग मारे गए हैं और 38 मिलियन से अधिक शरणार्थी बन गए हैं.

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