अमेरिका में सिखों के खिलाफ बढ़े भेदभाव को खत्म करने के लिए उठाए जाए कदम : मानवाधिकार विशेषज्ञ

मानवाधिकार विशेषज्ञ अमृत कौर आकरे सिख वकालत समूह ‘सिख कोएलिशन’ की कानून संबंधी मामलों की निदेशक हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ हमने देखा है कि सिखों को कई बार काम से संबंधित जांच के लिए अपने बाल काटने का आदेश दिया जाता है, भले ही इसका विकल्प आसानी से उपलब्ध हो.’’

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आकरे सिख वकालत समूह ‘सिख कोएलिशन’ की कानून संबंधी मामलों की निदेशक हैं.
वॉशिगंटन:

प्रसिद्ध मानवाधिकार विशेषज्ञ अमृत कौर आकरे ने अमेरिकी सांसदों से कहा कि अमेरिका में सिख समुदाय के खिलाफ धार्मिक भेदभाव और घृणा अपराध में वृद्धि हुई है. इसके साथ ही, उन्होंने प्रशासन और अमेरिकी कांग्रेस से इसे समाप्त करने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया. आकरे ने हाल में भेदभाव और नागरिक अधिकार पर कांग्रेस की सुनवाई के दौरान संविधान, नागरिक अधिकार तथा नागरिक स्वतंत्रता पर सदन की न्यायिक उपसमिति के सदस्यों को यह जानकारी दी.

आकरे सिख वकालत समूह ‘सिख कोएलिशन' की कानून संबंधी मामलों की निदेशक हैं. उन्होंने कहा, ‘‘सरकारी नीतियों और कानूनों की पक्षपातपूर्ण व्याख्या से परिवहन, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, सैन्य और कानून प्रवर्तन सहित सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र की नौकरियों में सिखों को नुकसान होता है. ''उन्होंने कहा, ‘‘ हमने देखा है कि सिखों को कई बार काम से संबंधित जांच के लिए अपने बाल काटने का आदेश दिया जाता है, भले ही इसका विकल्प आसानी से उपलब्ध हो.''

आकरे ने कहा कि समय-समय पर कई नीतियों की व्याख्या इस तरह से की जाती है, जो अल्पसंख्यक समुदायों को असमान रूप से प्रभावित करती हैं और देश की प्रणाली इसे होने देती है. वहीं, सांसद शीला जैक्सन ली ने कहा, ‘‘ पगड़ी पहनने वाले सिख लड़कों को आतंकवादी कहा जाता है और लड़कियों को लंबे बाल रखने के लिए परेशान किया जाता है। ऐसे कई बच्चे हिंसा के शिकार भी होते हैं. हमारे एक अध्ययन में पता चला है कि 50 प्रतिशत से अधिक सिख बच्चों ने स्कूल में दूसरे छात्रों द्वारा उत्पीड़न का सामना किया है.''

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सांसद प्रमिला जयपाल ने कहा कि 9/11 हमले ने अमेरिका में मुस्लिम, अरब या दक्षिण एशियाई अमेरिकी होने का अर्थ हमेशा के लिए बदल दिया. उन्होंने कहा कि वह उम्मीद करती हैं कि इस सुनवाई के बाद कई लोग 9/11 के युग की उन नीतियों की जांच करने और अंततः उन्हें समाप्त करने के लिए कदम उठाएंगे, जिन्होंने इस समुदायों के खिलाफ भेदभाव को कायम रखा है और काफी बढ़ा दिया है.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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