पाकिस्तान को चोट अंदर तक लगी है! राजनाथ के बयान पर सिंध विधानसभा ने 'कड़ी आलोचना' वाला प्रस्ताव किया पास

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने राजनाथ सिंह के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे यथा स्थिति (स्टेट्स को) का बदलाव करने की मंशा वाला एक खतरनाक बयान बताया है.

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  • भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा था कि सीमाएं बदल सकती हैं और सिंध क्षेत्र भारत में वापस आ सकता है
  • अब पाकिस्तान की सिंध विधानसभा ने राजनाथ सिंह के बयान की सर्वसम्मति से निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया
  • वहीं पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने राजनाथ सिंह के बयान को खतरनाक बताते हुए यथा स्थिति में बदलाव की मंशा बताया
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भारत के रक्षा मंत्री के एक बयान पर पाकिस्तान को बड़ी अंदर तक टीस लग गयी है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एक कार्यक्रम में कहा था कि पाकिस्तान का सिंध क्षेत्र भले ही आज भारत में नहीं है, लेकिन सीमाएं बदल सकती हैं और यह क्षेत्र भारत को वापस मिल सकता है. अब इसपर पाकिस्तान के सिंध की प्रांतीय विधानसभा ने गुरुवार, 27 नवंबर को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की इस टिप्पणी की आलोचना की.

दरअसल रविवार को नयी दिल्ली में सिंधी समुदाय द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, राजनाथ सिंह ने कहा था, ‘‘सीमाएं बदल सकती हैं और कल सिंध भारत में वापस आ सकता है.''

रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने बंटवारे के बावजूद सिंध के भारत के साथ सभ्यतागत संबंध को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के शब्दों को याद करते हुए कहा था कि ‘‘सीमाएं बदल सकती हैं'' और ‘‘ सिंध फिर भारत में शामिल हो सकता है". रक्षामंत्री ने कहा, ‘‘आडवाणी जी ने अपनी एक पुस्तक में लिखा है कि सिंधी हिंदू, विशेषकर उनकी पीढ़ी के लोग, अब भी सिंध को भारत से अलग करने की बात को स्वीकार नहीं कर पाए हैं.''

अब पाकिस्तान को लगी मिर्ची

पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने राजनाथ सिंह के बयान की कड़ी आलोचना करते हुए इसे यथा स्थिति (स्टेट्स को) का बदलाव करने की मंशा वाला एक खतरनाक बयान बताया. वहीं सिंध के आबकारी मंत्री मुकेश कुमार चावला द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया कि सिंध पाकिस्तान का ‘‘अविभाज्य और अभिन्न अंग है और हमेशा रहेगा.''

इसमें कहा गया कि सदन ‘‘भारत के रक्षा मंत्री के बयान की स्पष्ट रूप से निंदा करता है, क्योंकि यह बयान भ्रामक, भड़काऊ और जानबूझकर इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश करने वाला है, जो राजनयिक मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.''

प्रस्ताव में सरकार से ‘‘सिंधु नदी की रक्षा के लिए निर्णायक राजनयिक, कानूनी और बहुपक्षीय कार्रवाई करने, अंतरराष्ट्रीय संधियों के तहत पाकिस्तान के अधिकारों की रक्षा करने तथा जल, पर्यावरण या मानवीय मानदंडों के उल्लंघन के लिए भारत को जवाबदेह ठहराने'' का भी आह्वान किया गया.

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