क्यों बदला मुइज्जू का रुख? PM मोदी की मालदीव यात्रा और रिश्ते की नई इबारत ; जानें 10 बड़ी बातें

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव की राजकीय यात्रा पर पहुंचेंगे, तो उनका स्वागत 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत होगा. यह महज एक औपचारिक उपस्थिति नहीं, बल्कि भारत और मालदीव के बीच संबंधों में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगी.

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फाइल फोटो

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मालदीव की राजकीय यात्रा पर पहुंचेंगे, तो उनका 60वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में स्वागत होगा. यह महज एक औपचारिक उपस्थिति नहीं, बल्कि भारत और मालदीव के बीच संबंधों में एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक होगी. डेढ़ साल पहले दोनों देशों के बीच जो कूटनीतिक तनाव पैदा हुआ था, उसकी तुलना में आज का वातावरण सहयोग और आपसी विश्वास पर आधारित एक मजबूत साझेदारी की ओर इशारा करता है.

  1. प्रधानमंत्री मोदी आज मालदीव की राजकीय यात्रा पर पहुंचेंगे. यह दौरा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू के आमंत्रण पर हो रहा है, और इसे भारत-मालदीव संबंधों को सामान्य करने की दिशा में अब तक का सबसे बड़ा और निर्णायक कदम माना जा रहा है.
  2. जनवरी 2024 में पीएम मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों की आपत्तिजनक टिप्पणियों ने द्विपक्षीय संबंधों में दरार डाल दी थी. भारतीय सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives ट्रेंड करने लगा, जिससे पर्यटन पर निर्भर मालदीव की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा. 
  3. इसके बाद राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत विरोधी रुख अपनाया. उन्होंने मार्च 2024 में घोषणा की कि 10 मई के बाद कोई भी भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में नहीं रहेगा. भारत ने इस मांग का सम्मान करते हुए अपने सैन्यकर्मी हटा लिए, लेकिन तकनीकी सहयोग जारी रखा गया. यह दर्शाता है कि रिश्ते पूरी तरह टूटे नहीं थे, बल्कि एक रणनीतिक संतुलन बन रहा था.
  4. PM मोदी ने कहा कि इस वर्ष भारत और मालदीव के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ भी है. मैं राष्ट्रपति मुइज्जू और अन्य नेताओं के साथ मुलाकात कर व्यापक आर्थिक और समुद्री सुरक्षा साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए उत्सुक हूं.
  5. भारत हमेशा से मालदीव के साथ रिश्तों को महत्व देता रहा है. उसने मुइज्जू सरकार को याद दिलाया है कि मालदीव के विकास में सहायता देने वाले देशों में वह प्रमुख रहा है. रिश्तों में दरार के बावजूद भारत मालदीव को चीनी, गेहूं, चावल, प्याज और अंडों जैसी जरूरी वस्तुओं का निर्यात लगातार कर रहा है. इनके अलावा भारत ने निर्माण सामग्री के रूप में इस्तेमाल होने वाले 10-10 लाख टन स्टोन एग्रीगेट और बालू का निर्यात भी किया है.
  6. भारत की 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के दृष्टिकोण में मालदीव की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग वर्षों पुराना है, जिसमें संयुक्त नौसेना अभ्यास और सैन्य प्रशिक्षण शामिल हैं. भारत और मालदीव के बीच लगभग 500 मिलियन डॉलर का वार्षिक व्यापार होता है. ऊर्जा, मत्स्य पालन और सतत विकास के क्षेत्रों में निवेश और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा जारी है.
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  8. ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना... इस द्विपक्षीय सहयोग की सबसे बड़ी मिसाल है यह चार द्वीपों को जोड़ने वाली मालदीव की अब तक की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना है. पीएम मोदी की यात्रा के दौरान कई द्विपक्षीय समझौतों पर हस्ताक्षर होंगे और  अधूरी परियोजनाओं का उद्घाटन किया जाएगा.
  9. पिछले कुछ वर्षों में चीन ने मालदीव में बंदरगाह, सड़क और पुल परियोजनाओं में भारी निवेश किया है. लेकिन भारत ने यह सिद्ध कर दिया है कि पड़ोसी देशों के साथ मजबूत रिश्ते केवल आर्थिक सौदों से नहीं, बल्कि आपसी विश्वास, ऐतिहासिक संबंधों और कूटनीतिक संवेदनशीलता से बनाए जाते हैं. 
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  11. राष्ट्रपति मुइज्जू की ओर से पीएम मोदी को स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रित करना यह दर्शाता है कि 'India Out' की नीति अब बीते कल की बात हो चुकी है. यह यात्रा न केवल बीते तनावों को पीछे छोड़ने का प्रतीक है, बल्कि भारत और मालदीव के रिश्तों में विश्वास, सहयोग और स्थिरता की नई नींव रखती है.
  12. मालदीव पहले से ही कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (सीएससी) का सदस्य है—जो समुद्री सुरक्षा, आतंकवाद, साइबर खतरों और आपदा राहत से निपटने के लिए भारत के नेतृत्व में एक क्षेत्रीय पहल है. सीएससी बहुपक्षीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में विकसित हुआ है, जिसके मुख्य सदस्य श्रीलंका, मॉरीशस और मालदीव हैं, और पर्यवेक्षक के रूप में सेशेल्स और बांग्लादेश हैं.
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