गाजा युद्ध में अमेरिका शुरुआत इजरायल के साथ खड़ा नजर आया है. राष्ट्रपति जो बाइडेन इस युद्ध में इजरायल की हर संभव मदद करते आए हैं. लेकिन पहली बार बाइडेन ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के खिलाफ बोला है. एएफपी की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडेन ने शनिवार को एमएसएनबीसी प्रसारण के साथ एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि गाजा में युद्ध के लिए इजरायली नेता बेंजामिन नेतन्याहू का नजरिया "इजरायल की मदद करने से ज्यादा इजरायल को नुकसान" पहुंचा रहा है.
नेतन्याहू के एक्शन से बाइडेन भी खफा
बाइडेन इस समय अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले चुनाव में जुटे हुए हैं. इस दौरान उन्होंने कहा, "नेतन्याहू को इजरायल की रक्षा करने का अधिकार है... हमास लड़ाकों का पीछा करना जारी रखने का अधिकार है, लेकिन उन्हें अपने द्वारा उठाए जा रहे कदमों के परिणामस्वरूप खोई जा रही निर्दोष जिंदगियों पर अधिक ध्यान देना चाहिए." 81 वर्षीय डेमोक्रेट ने कहा, " एक रेड लाइन होना बेहद जरूरी है," हालांकि, उन्होंने तुरंत कहा, "मैं कभी भी इजराइल नहीं छोड़ने वाला हूं. इज़राइल की रक्षा अब भी महत्वपूर्ण है. वहां कोई लाल रेखा नहीं है... (जिसमें) मैं सभी हथियारों को काट देना चाहता हूं, ताकि उनकी सुरक्षा के लिए उनके पास आयरन डोम (वायु रक्षा प्रणाली) न हो."
हमास के हमले के बाद शुरू हुई थी जंग
हमास ने पिछले साल 7 अक्टूबर को अचानक इजरायल पर हमला कर दिया था. इजरायल पर पहले हजारों रॉकेट लॉन्चर दागे गए, इसके बाद हमास के लड़ाकों ने इजरायल की सीमा में घुसकर कत्लेआम किया. इस दौरान हमास के लड़ाके 150 से ज्यादा लोगों को बंधक बनाकर भी अपने साथ ले गए. इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग छेड़ दी, जो अब तक जारी है.
बाइडेन की अनौपचारिक बातचीत का वीडियो...!
इंटरव्यू के अलावा बाइडेन का एक और वीडियो सामने आया है, जिसमें वे वाशिंगटन में हाउस चेंबर में सीनेटरों से अनौपचारिक बात कर रहे हैं. कोलारैडो के डेमोक्रेटिक सीनेटर माइकल बेन्नेट ने जब उनको उनके भाषण के लिए मुबारक़बाद दी और ग़ाज़ा में मानवीय त्रासदी की स्थिति से निपटने के लिए नेतन्याहू पर दबाव बनाने की गुज़ारिश की, तो बाइडन ने बताया कि उन्होंने कहा है कि मैं और आप कम-टू-जीसस मीटिंग करने जा रहे हैं. उन्होंने इतना कहा, तो उसके बाद उनके एक सहयोगी ने उनके अलर्ट किया कि माइक ऑन है. इसके बाद बाइडन ने कहा कि अच्छा मैं हॉट माइक पर हूं... अच्छा है... ये अच्छा है.
कम-टू-जीसस मीटिंग टर्म
कम-टू-जीसस मीटिंग एक अमेरिकी टर्म है, जिसका मतलब है कि आमने-सामने सीधी और बिना लाग लपेट के बात करना, जिसमें ईमानदारी से बातों को क़बूल किया जाए. हालांकि बाद में जब पत्रकारों ने इस बाबत बाइडेन से पूछा तो वे मुकर गए कि उन्होंने ऐसा कहा है. ज़ोर डालने पर उन्होंने पत्रकारों से ये कह कर बात टालने की कोशिश की कि आप लोगों ने मेरी बात चोरी छुपे सुनी है.
बाइडेन, नेतन्याहू से नाराज
ख़ैर–चाहे इंटरव्यू हो या फिर हाउस चेंबर में कही गई बात, दोनों बातों से एक बात फिर ज़ाहिर होती है कि बाइडेन, नेतन्याहू से ख़ासे नाराज़ हैं. वे पहले भी नेतन्याहू से उन मंत्रियों को बदलने की सलाह दे चुके हैं जिन्होंने ग़ाज़ा से फिलिस्तियों को बाहर निकालने, ग़ाज़ा पर पूरी तरह से कब्ज़ा करने जैसे बयान दिए. दरअसल, बाइडेन को नेतन्याहू और उनकी सरकार का धुर दक्षिणपंथी रवैय्या पसंद नहीं है. दोनों नेताओं के बीच पहले भी विचारधारा के स्तर पर अनबन रही है. बाइडेन की कोशिश ये दिखाने की रही है कि अमेरिका इज़राइल के समर्थन में तो है, लेकिन वह फिलिस्तियों के अधिकारों की भी रक्षा चाहता है. इसलिए वे बार-बार दो राष्ट्र समाधान की भी बात पर ज़ोर डालते रहे हैं.
इजरायल की जवाबी कार्रवाई में 30 हजार लोगों की मौत
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कसम खाई है कि जब तक हमास को पूरी तरह से नष्ट नहीं कर देंगे, तब तक नहीं रुकेंगे. इजरायली सेना के हमले में अभी तक गाजा पट्टी में 30 हजार से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है. युद्ध के कारण गाजा में भुखमरी के हालात हैं. लाखों लोग राहत शिवरों में रहने को मजबूर हैं. लगातार हो रहे हमलों के कारण, गाजा के आम लोगों तक अंतरराष्ट्रीय मदद भी नहीं पहुंच पा रही है. ऐसे में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेतन्याहू की आलोचना हो रही है. पहले मुस्लिम देश ही नेतन्याहू की आलोचना कर रहे थे, अब अमेरिकी राष्ट्रपति ने भी इजरायल के प्रधानमंत्री की नीतियों पर सवाल उठा दिये हैं.
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