विमान दुर्घटना में बचे यात्रियों ने ज़िंदा रहने को खाए शव...बंद हो चुकी थी उनकी खोज, लेकिन फिर...

एंडीज़ के ग्लेशिर पर (Andean glacier ) पर एक विमान ने गोता खाया था. हार्ली और अन्य लोग -30 के तापमान में अंधेरे में कुछ 3500 मीटर की ऊंचाई पर आ गिरे थे...

विज्ञापन
Read Time: 24 mins
जीने का एक ही तरीका था कि मरे हुए लोगों का मांस खाया जाए....

विमान दुर्घटना (Plane Crash) के बाद की पहली रात बेहद खौफनाक थी. रॉय हार्ले (Roy Harley) याद करते हैं कि कैसे 50 साल पहले एक एंजीज़ ग्लेशियर (Andean glacier ) पर हुई विमान दुर्घटना में वो और उनके साथ बचे हुए लोग 10 हफ्ते तक ज़िंदा रह पाए. विमान में कुल 45 लोग सवार थे. कुछ 72 दिन बाद केवल 16 लोग ज़िंदा बच पाए. बिना खाने, बिना शरण के उस विमान दुर्घटना से बचे लोगों का ज़िंदा बचना मुश्किल था.लेकिन अब 70 साल के हो चुके एक रिटायर्ड इंजीनियर हार्ली के लिए, बचने का एक ही तरीका था कि मरे हुए लोगों का मांस खाया जाए.  इस पूरी दुर्घटना पर 1993 में अलाइव (Alive) नाम से एक फिल्म भी बनी थी. 13 अक्टूबर 1972 को एंडीज़ के पहाड़ पर उनके विमान ने गोता खाया था. हार्ली और 31 अन्य लोग -30 के तापमान में अंधेरे में कुछ 3500 मीटर की ऊंचाई पर थे.  

इस विमान में उरुग्वे की एक रग्बी टीम के लोग और उनके परिवार के सदस्य चिली में एक मैच के लिए जा रहे थे. इनमें से कोई भी ठंड के कपड़े नहीं पहना था. इस  दुर्घटना में कई लोग गंभीर तौर से घायल हुए.  हार्ली ने एएफपी से कहा, "उस रात मैंने नरक देखा". 

वह याद करते हैं, 'मेरे पैर के पास एक लड़का था, जिसके चेहरे का एक हिस्सा गायब था....और खून बहने के कारण उसका गला बंद हो रहा था. सुबह तक चार और मर चुके थे,..इसके बाद एक तूफान आया...फिर बचने वालों की संख्या केवल 16 बची." वहां बहुत ठंड थी... 10वें दिन उन्होंने विमान के रेडियो पर सुना कि उन्हें खोजने की कोशिशें बंद कर दी गईं हैं. इसके बाद उन्होंने ग्लेशियर से निकलने का रास्ता खुद खोजना शुरू किया.  लेकिन वहां खाने के लिए कुछ नहीं था... पूरा इलाका बर्फ से ढंका था. भूख से लोगों की हालत बेहाल थी. बचे हुए लोगों ने मृत लोगों को खाने पर सहमति दी. 

Advertisement

हार्ले याद करते हुए कहते हैं, "हमने चमड़ा खाने की कोशिश की, सिगरेट खाने की कोशिश की. हमने टूथपेस्ट भी खाने की कोशिश की."

Advertisement

आगे वह कहते हैं, हम मर रहे थे, और जब आपके सामने दो ही चीज़ें हों कि या तो आप मर जाओ या जीने के लिए जो ज़रूरी हो वो करो, तो आप जीवन को चुनते हैं."

Advertisement

इसके बाद उन्होंने विमान और सामान को प्रयोग करना शुरू किया. उन्होंने पानी पीने के लिए बर्फ पिघलाना सीखा. और चलते रहे, आखिरकार वो एक नदी के किनारे पहुंचे, जहां वह इंसानों के बीच पहुंचे.  

Advertisement

जब यह लोग उरुग्वे के एयरफोर्स विमान से चिली के लिए निकले थे तब हार्ले 84 किलो के थे, लेकिन जब वह बचाए गए तो उनका वजन केवल 37 किलो रह गया था.  एंडीज़ 1972 म्यूज़ियम रिकॉर्ड के अनुसार  औसतन हर बचे हुए व्यक्ति क 29 किलो वजन कम हुआ था.  

Featured Video Of The Day
Chandigarh Mayor Politics: पिता कर्नल, पति थे पक्के कांग्रेसी..कौन हैं BJP की नई मेयर Harpreet Kaur?