ओमिक्रॉन वैरिएंट समेत गंभीर बीमारियों से बचाएगी फाइजर की गोली : अध्ययन

Pfizer Pill : कंपनी ने कहा है कि यह गोली अगर लक्षण दिखने के तीन दिन के भीतर दी जाती है तो अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे को 89 फीसदी तक कम कर देगी. अमेरिका में वैक्सीनेशन का एक साल पूरा होने के बीच यह सुखद खबर आई है. 

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फाइजर की कोविड पिल कई गंभीर बीमारियों से बचाने में कारगर
नई दिल्ली:

अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर ने ऐसी गोली (Pfizer Pill) तैयार करने का दावा किया है, जो कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन (Omicron variant)  वैरिएंट समेत कई तरह की गंभीर बीमारियों से बचाएगी. कंपनी ने कहा है कि यह गोली अगर लक्षण दिखने के तीन दिन के भीतर दी जाती है तो अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे को 89 फीसदी तक कम कर देगी. अमेरिका में वैक्सीनेशन अभियान का एक साल पूरा होने के बीच यह सुखद खबर आई है. फाइजर कोविड पिल पर हुई स्टडी में कहा गया है कि यह गंभीर बीमारियों से जान बचाने का काम करती है.

दूसरी कंपनियों को अपनी कोविड दवा को बनाने की इजाजत देगी Pfizer

कंपनी ने एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि उसकी एंटीवायरल पिल (Antiviral Pill) लैब में हुए परीक्षणों में ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ भी खरी उतरी है. यूरोप, साउथ अफ्रीका और अमेरिका में इस वैरिएंट के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं. फाइजर के सीईओ अल्बर्ट बोर्ला ने कहा कि हमें यकीन है कि अगर इसे मंजूरी मिलती है तो यह कोरोना महामारी के खिलाफ सेहत को सुरक्षा कवच प्रदान करने में अहम साबित होगी. पिछले महीने फाइजर ने फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) से इस पिल के लिए मंजूरी मांगी थी. 

फाइजर ने मंगलवार को कहा कि पैक्सलोविड (Paxlovid) अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे को 89 फीसदी तक कम कर देती है, अगर इसे तीन दिन के भीतर दिया जाए. अगर इसे संक्रमण के पांच दिनों के भीतर दिया जाता है तो खतरा 88 फीसदी तक कम हो जाता है. यह दावा 2246 वैक्सीन न लेने वाले वालंटियर (जिन्हें गंभीर बीमारियों का खतरा) पर हुए परीक्षणों के आधार पर किया गया है. यह कंपनी के प्रारंभिक व छोटे स्तर पर किए गए क्लीनिकल ट्रायल के अनुरूप ही है. 

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फाइजर ने कहा है कि पैक्सलोविड लेने वाले 0.7 फीसदी मरीजों को ट्रायल के 28 दिनों के भीतर अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत महसूस हुई. लेकिन किसी की भी मौत की घटना नहीं हुई. जबकि इसके उलट 6.5 जिन मरीजों को प्लेसबो दी गई, उनमें से 6.5 फीसदी मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी या उनकी मौत हो गई.

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फाइजर ने अलग से हुए ट्रायल का प्रारंभिक डेटा भी जारी किया है, जिनमें कम जोखिम वाले लोगों पर ध्यान दिया गया है. इनमें वैक्सीन न लेने वाले लेकिन गंभीर बीमारियों के जोखिम वाले और टीका न लेने के बावजूद किसी भी जोखिम से बाहर रहने वाले लोग भी शामिल हैं. इस समूह में 662 वालंटियर शामिल थे. इनमें पैक्सलोविड ने अस्पताल में भर्ती होने और मौत के खतरे को 70 फीसदी तक कम किया. 

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