इजरायल और हमास का युद्ध (Israel Hamas War) पिछले 15 दिनों से जारी है. गाजा पट्टी इस युद्ध से बुरी तरह प्रभावित है. दुनिया के कई देश मध्यस्थता करने के लिए आगे आए हैं. वहीं सवाल यह है कि क्या इजरायल और गाजा के युद्ध से भारत प्रभावित होगा? इस मामले पर पॉलिटिकल साइंटिस्ट इयान ब्रेमर ने एनडीटीवी को दिए खास इंटरव्यू में कहा कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध से भारत पर ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है.उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाला देश है, इसीलिए लोग भारत के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. भारत की जनसंख्या हर साल 6% से अधिक की दर से बढ़ रही है, और तेजी से नई प्रौद्योगिकियों का विकास कर रही है.
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'फिलिस्तीन में जल्द होगा जमीनी हमला'
यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष ने कहा, "अगर आप ईरान, सऊदी अरब या इज़राइल हैं, तो आपके पास भारत के साथ काम करने के कई कारण हैं और फिलहाल यह बदलने वाला नहीं है." उन्होंने ये भी साफ किया कि दोनों देशों के युद्ध का भरत पर कोई प्रभाव पड़ने वाला नहीं है. वहीं ब्रेमर ने कहा कि "एक जमीनी युद्ध होने जा रहा है. यह कई कारणों से एक बुरा है. इस युद्ध में बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी नागरिक मारे जाएंगे. फिलिस्तीनी नागरिकों को वहां से निकालने में मदद से पहले ही और बहुत ही कम समय में यह हमला किया जाएगा. इस हमले के बाद चौतरफा प्रतिक्रिया देखने को मिलेगी."
'भारत पर रणनीतिक फैसला लेने का दबाव नहीं'
ब्रेमर ने कहा कि इज़राइल और हमास के बीच जमीनी युद्ध तीसरे विश्व युद्ध का कारण नहीं बन सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि भारत रणनीतिक फैसला लेने के लिए बहुत ज्यादा दबाव में नहीं है, लेकिन ऐसा लगता है कि वह अमेरिका की तरह ही रुख अपना रहा है. उन्होंने कहा कि भारत ने भारत ने ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीन को मान्यता दी है, लेकिन हमास के हमले के बाद पीएम मोदी तुरंत नेतन्याहू के प्रति सहानुभूति जताने लगे. वैश्विक दक्षिण और मध्य पूर्व के देशों सेभारत का बहुत अलग दृष्टिकोण है." पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत एक नई दिशा में कैसे आगे बढ़ रहा है, इस पर विस्तार से बता करते हुए ब्रेमर ने कहा कि पीएम मोदी को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है जो भूराजनीतिक मुद्दों पर पश्चिम के साथ गठबंधन करना चाहते हैं, बल्कि चीनियों के साथ और रूस के साथ नहीं.
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