पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने सोमवार को कहा कि देश में मौजूदा राजनीतिक हालात की वैधता पर एक ‘‘सुसंगत आदेश'' पारित किया जाएगा. उच्चतम न्यायालय प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) के खिलाफ नेशनल असेंबली में लाया गया अविश्वास प्रस्ताव खारिज किए जाने और खान की सिफारिश पर सदन भंग करने को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी दिए जाने के मामले पर सुनवाई कर रहा है. न्यायाधीश बंदियाल की टिप्पणियां तब आयी हैं जब उनके समेत न्यायमूर्ति इजाजुल अहसान, न्यायमूर्ति मजहर आलम खान मियांखैल, न्यायमूर्ति मुनीब अख्तर और न्यायमूर्ति जमाल खान मंडोखैल की वृहद पीठ ने मामले पर सुनवाई शुरू की.
‘डॉन' अखबार की खबर के अनुसार, सुनवाई के दौरान अदालत ने पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) और अन्य विपक्षी दलों की ओर से पेश वकील फारूक एच नाइक की यह याचिका खारिज कर दी कि मामले की सुनवाई के लिए पूर्ण पीठ का गठन किया जाए.
सीजेपी बंदियाल ने नाइक से पूछा कि क्या उन्हें पांच सदस्यीय पीठ में किसी न्यायाधीश पर आपत्ति है. इस पर नाइक ने कहा कि उन्हें पीठ के सभी न्यायाधीशों पर पूरा विश्वास है.
पूर्ण पीठ के गठन में क्या दिक्कतें?
न्यायाधीश बंदियाल ने कहा कि पूर्ण पीठ का गठन करने से अन्य मामलों की सुनवाई बाधित होगी.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने देश के प्रधानमंत्री इमरान खान की सिफारिश पर नेशनल असेंबली (NA) को भंग कर दिया है. कुछ समय पहले नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष कासिम सूरी ने प्रधानमंत्री के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. खान ने संसद के निचले सदन, 342 सदस्यीय नेशनल असेंबली में प्रभावी तौर पर बहुमत खो दिया था.
देश के प्रधान न्यायाधीश उमर अता बंदियाल ने पाकिस्तान की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रविवार को कहा था कि नेशनल असेंबली को भंग करने के संबंध में प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति द्वारा शुरू किए गए सभी आदेश और कदम अदालत के आदेश पर निर्भर होंगे. न्यायाधीश बंदियाल ने साथ ही इस हाई-प्रोफाइल मामले की सुनवाई एक दिन के लिए स्थगित कर दी थी.
उच्चतम न्यायालय की तीन सदस्यीय पीठ ने सप्ताहांत के बावजूद प्रारंभिक सुनवाई की तथा राष्ट्रपति अल्वी और नेशनल असेंबली के उपाध्यक्ष सूरी सहित सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए.
शीर्ष अदालत ने सभी पक्षों को कोई भी असंवैधानिक कदम उठाने से बचने का आदेश दिया और मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी थी.
विपक्ष ने दी थी बड़ी चुनौती
इससे पहले, विपक्ष ने शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था और सदन में विपक्ष के नेता शहबाज शरीफ ने नेशनल असेंबली को भंग किए जाने को चुनौती देने की अपनी पार्टी के फैसले की घोषणा की थी. उन्होंने कहा, ‘‘हम उपाध्यक्ष के फैसले और प्रधानमंत्री की सलाह को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने जा रहे हैं.''
सुप्रीम कोर्ट बार के अध्यक्ष अहसान भून ने कहा कि प्रधानमंत्री और नेशनल एसेंबली के उपाध्यक्ष की कार्रवाई संविधान के खिलाफ है और ‘‘संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए.''
पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) ने भी एक याचिका दायर कर अदालत से नेशनल असेंबली भंग करने के साथ-साथ उपाध्यक्ष के फैसले को असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है.
सूरी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिए जाने के बाद यह संकट उत्पन्न हुआ. इससे प्रधानमंत्री खान को संसद को भंग करने के लिए देश के राष्ट्रपति को एक सिफारिश करने का मौका मिल गया, जो वह अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान का कोई परिणाम आने तक नहीं कर सकते थे.
संयुक्त विपक्ष आठ मार्च को अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया था. देश की राजनीतिक स्थिति तब तक विपक्ष के पक्ष में थी जब तक कि खान यूक्रेन पर एक स्वतंत्र विदेश नीति का अनुपालन करने को लेकर अमेरिका द्वारा उन्हें सत्ता से बेदखल करने की साजिश की बात लेकर नहीं आए थे.