पाकिस्तान के सिंध में क्यों मच रहा बवाल...
एक प्रोजेक्ट… और पूरा सिंध जल उठा! हाईवे बंद… पेट्रोल पंप लूटा गया… गृहमंत्री का घर जलाया गया… और दो लोग मारे गए. ये कोई आम विरोध नहीं था. ये खुली बगावत थी पाकिस्तान की स्टेट पॉलिसी के खिलाफ, लेकिन सवाल ये है – आखिर ऐसा क्या हुआ कि सिंध सुलग उठा? और क्या ये झगड़ा अब सिर्फ पाकिस्तान तक सीमित रहेगा? पाकिस्तान के सिंध सूबे में वो हुआ जो शायद कराची तक को हिला दे. बात शुरू हुई थी सिर्फ एक नहर और कॉरपोरेट फार्मिंग प्रोजेक्ट पर विरोध से, लेकिन खत्म हुई है आगज़नी, लूटपाट और मौत के साथ. गृह राज्यमंत्री का घर फूंक दिया गया, हाईवे ब्लॉक हो गया, पुलिस से टकराव हुआ और अब इस बवाल के धुएं ने पूरे पाकिस्तान की सियासत को घेर लिया है. मोरो तालुका में गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने सिंध के होम मिनिस्टर ज़ियाउल हसन लांजार के घर को घेर लिया, कमरे जलाए, फर्नीचर फूंका, यहां तक कि एसी के पार्ट्स तक छत से नीचे फेंक दिए गए. जब हालात बेकाबू हुए तो गृहमंत्री की प्राइवेट सिक्योरिटी को गोलियां हवा में चलानी पड़ीं ताकि भीड़ को तितर-बितर किया जा सके. धुएं के गुबार दूर-दूर तक दिख रहे थे, जैसे कोई जंग का मैदान हो.
दरअसल, माजरा है सिंध में बनाए जा रहे 6 नए नहर और कॉरपोरेट फार्मिंग प्रोजेक्ट्स का. स्थानीय लोगों को डर है कि इससे उनके जल स्रोत खत्म हो जाएंगे. जमीनें छिन जाएंगी और बाहर की कंपनियां उनकी जमीनों पर कब्जा कर लेंगी. जब उन्होंने नेशनल हाईवे पर धरना देने की कोशिश की तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. बस फिर क्या था, माहौल भड़क गया. गाड़ियों को आग लगा दी गई, एक ऑयल टैंकर जला दिया गया, ट्रकों को लूटा गया. एक वायरल वीडियो में देखा गया कि प्रदर्शनकारी एक ट्रक पर चढ़कर यूरिया की बोरियां नीचे फेंक रहे हैं. कुछ लोग मोटरसाइकिल पर लूट का सामान ले जाते दिखे और इसी हिंसा में दो प्रदर्शनकारी पुलिस की फायरिंग में मारे गए. वहीं तीन पुलिसकर्मी भी घायल हुए. अब आप सोचिए, एक घायल अफ़सर जब सरकारी अस्पताल पहुंचा, तो वहां से उसे धक्का मारकर बाहर निकाल दिया गया. मतलब… कोई भी किसी की सुन नहीं रहा. प्रदर्शनकारी डंडों के साथ पेट्रोल पंप में घुसे. ऑफिस से कैश लेकर चले गए. पुलिस पर लाठियों से हमला किया गया और बदले में पुलिस ने आंसू गैस और हवाई फायरिंग की. इस झड़प ने सिंध को दो हिस्सों में बांट दिया- एक तरफ गुस्से से भरे लोग और दूसरी तरफ लाठियां और गोलियां चलाती पुलिस. हाईवे कई घंटों तक जाम रहा. हालात को संभालने के लिए नवाबशाह और सुक्कुर से भारी पुलिस बल बुलाया गया, लेकिन इस सब के पीछे एक और बहुत बड़ी कहानी छिपी है, सिर्फ नहर नहीं, पानी की जंग शुरू हो चुकी है. अब सवाल ये है—आखिर लोग इतने गुस्से में क्यों हैं? चलिए इसकी जड़ तक जाते हैं.
गुस्से की वजह: चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट
तो इस आग की चिंगारी है चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट. सिंधु नदी, जिसे पाकिस्तान की लाइफलाइन कहते हैं, उसका पानी पंजाब के चोलिस्तान रेगिस्तान में ले जाने के लिए पाकिस्तान की केंद्र सरकार और सेना ने 176 किलोमीटर लंबी छह नहरें बनाने की योजना बनाई, लेकिन सिंध के लोग इसे अपने लिए खतरा मानते हैं, क्योंकि सिंध की खेती, वहां के किसान, और लाखों लोगों की रोजी-रोटी इसी सिंधु नदी पर टिकी है. अगर ये पानी पंजाब की ओर डायवर्ट हुआ तो सिंध में सूखा पड़ सकता है, फसलें बर्बाद हो सकती हैं और पूरा इलाका रेगिस्तान बन सकता है. सिंध के लोगों ने सड़कों पर उतरकर इसी प्रोजेक्ट का विरोध किया. सिंध के किसानों को डर है कि उनकी फसलें मर जाएंगी, उनके बच्चे भूखे रह जाएंगे. और ये सिर्फ किसानों की बात नहीं है—राजनीतिक दल, धार्मिक संगठन, वकील, और एक्टिविस्ट, सब इस विरोध में शामिल हैं.
नतीजा: हिंसा और राजनीतिक अराजकता
चोलिस्तान नहर प्रोजेक्ट के खिलाफ सिंध में महीनों से प्रदर्शन चल रहे थे. पिछले महीने पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ कॉमन इंटरेस्ट्स ने इस प्रोजेक्ट को रद्द कर दिया था, लेकिन सिंध के लोग कहते हैं, ‘हमें भरोसा नहीं, हमें लिखित में चाहिए कि ये प्रोजेक्ट पूरी तरह बंद हो.' और जब शहबाज़ सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी तो गुस्सा फूट पड़ा. बुधवार को प्रदर्शनकारियों ने गृह राज्यमंत्री का घर तक फूंक डाला. देखा जाए तो ये जल संग्राम सिर्फ पानी की लड़ाई नहीं है. सिंध में आजादी की आवाजें भी बुलंद हो रही हैं. जय सिंध फ्रीडम मूवमेंट (JSFM) ने 17 मई को बड़े प्रदर्शन किए, जिसमें लोग सिंध की स्वायत्तता और पाकिस्तानी सेना के खिलाफ नारे लगा रहे थे. बलूचिस्तान में पहले से आजादी का आंदोलन चल रहा है और अब सिंध भी उसी रास्ते पर है.