इमरान खान ने इस्तीफे की चर्चा के बीच टाला देश के नाम संबोधन, प्वाइंट्स में समझें पाक का सियासी घमासान

पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव रखा जा चुका है जिस पर गुरुवार यानी 31 मार्च से बहस शुरू होनी है.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान.
नई दिल्ली:

पाकिस्तान की इमरान ख़ान सरकार बस अब कुछ ही दिनों की मेहमान है. इमरान सरकार के कई गठबंधन सहयोगी उसे छोड़कर विपक्ष से मिल गए हैं और ख़ुद इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ़ के 20 से 30 सांसदों के बागी होने की ख़बरें आ रही हैं. अपने राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करने जा रहे इमरान ख़ान ने इस बीच बुधवार शाम राष्ट्र के नाम एक संबोधन का एलान किया था, जिसे लेकर अटकलें चलने लगी थीं कि क्या इमरान ख़ान आज इस्तीफ़ा देने जा रहे हैं. लेकिन शाम होते-होते नाटकीय बदलाव आने लगा और इमरान ख़ान ने राष्ट्र के नाम ये संबोधन टाल दिया. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा और ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अंजुम बुधवार को इमरान ख़ान से मिले और इस मुलाक़ात के बाद ही इमरान ने राष्ट्र के नाम संबोधन टाल दिया. पाकिस्तान के राजनीतिक हलकों में अटकलें लगाई जा रही हैं कि इस बैठक में आख़िर क्या हुआ जो इमरान ख़ान ने अपनी योजना बदल दी.

पाकिस्तान में सियासी संकट
  1. पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में इमरान ख़ान सरकार के ख़िलाफ़ 28 मार्च को अविश्वास प्रस्ताव रखा जा चुका है जिस पर गुरुवार यानी 31 मार्च से बहस शुरू होनी है. माना जा रहा है कि 3 अप्रैल तक इस पर मतदान हो जाएगा. जिस तरह की स्थितियां हैं उनमें साफ़ दिख रहा है इमरान काफ़ी कमज़ोर विकेट पर हैं और उनका विकेट गिरना तय है.
  2. विपक्षी दल अपनी साझा रणनीति बना चुके हैं. पाकिस्तान की 342 सदस्यों की नेशनल एसेंबली में अविश्वास प्रस्ताव पास कराने के लिए 172 वोट चाहिए. अब ये अविश्वास प्रस्ताव रखने वाले विपक्ष का ज़िम्मा बनता है कि वो 172 वोट जुटाए. इसीलिए इमरान ख़ान ने अपनी पार्टी के सांसदों से कहा है कि वो सदन में न आएं.
  3. तहरीक़-ए-इंसाफ़ के पास 155 सांसद हैं लेकिन उनमे से भी 20 से 30 बाग़ी तेवर अपनाए हुए हैं. इसी के मद्देनज़र इमरान ख़ान ने पाकिस्तान की कोर्ट में याचिका डाली है कि जो भी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करे उसके ताज़िंदगी चुनाव लड़ने पर पाबंदी लग जाए. ये याचिका इसलिए डाली गई है, ताकि उनकी पार्टी के सांसद व्हिप का उल्लंघन न कर पाएं.
  4. लेकिन इमरान की इन कोशिशों को अब काफ़ी देर हो गई लगती है और नेशनल एसेंबली का अंकगणित विपक्ष के साथ में दिख रहा है. माना जा रहा है कि इमरान ख़ान सरकार के गिरने के बाद संयुक्त विपक्ष सरकार बनाने के लिए आगे आएगा और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज़) के अध्यक्ष शाहबाज़ शरीफ़ नए प्रधानमंत्री होंगे. पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो ने ये बात बुधवार को कह भी दी. उधर शाहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि इमरान ख़ान को इस्तीफ़ा दे देना चाहिए क्योंकि वो सदन का विश्वास खो चुके हैं.
  5. पाकिस्तान के इतिहास में कोई भी प्रधानमंत्री पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. इमरान ख़ान की सरकार को साढ़े तीन साल हो चुके हैं लेकिन अब उसके भी गिनती के ही दिन बाकी रह गए हैं. माना जा रहा है कि इमरान ख़ान सरकार सेना का भी विश्वास खो चुकी है जो पाकिस्तान की सत्ता में सबसे अहम पहलू है. जिस प्रधानमंत्री को सेना का साथ नहीं मिला वो वहां की सत्ता में ज़्यादा देर टिक नहीं सका. वैसे इमरान क्रिकेट के दिग्गज खिलाड़ी रहे हैं. पिछले ही दिनों उन्होंने कहा कि जब खिलाड़ी मैदान में उतरता है तो ये मान कर उतरता है कि मैच वही जीतेगा. 
  6. इमरान के इस्तीफ़े से इनकार करते हुए आज पाकिस्तान के मंत्री फवाद चौधरी ने भी ट्वीट किया कि 'इमरान ख़ान एक खिलाड़ी हैं जो आख़िरी गेंद तक लड़ता है. कोई इस्तीफ़ा नहीं होगा. मुक़ाबला होगा. दोस्त और दुश्मन दोनों मैच देखेंगे.' पाकिस्तान के एकमात्र वर्ल्ड कप जिताने वाले करिश्माई क्रिकेट कप्तान इमरान ख़ान राजनीति की पिच पर उतरे तो ज़रूर लेकिन पहली ही पारी पूरी खेलने से पहले वो आउट होते दिख रहे हैं.
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