- पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में नागरिक विरोध प्रदर्शन जारी हैं, जहां सेना ने कई लोगों पर गोलीबारी की है
- अवामी एक्शन कमेटी के नेता शौकत नवाज मीर ने पाक सरकार और सेना को कश्मीरियों के शोषण और दमन का दोषी बताया है
- विरोध ने PoK में ऐतिहासिक बदलाव दिखाया है, जहां लोग खुलकर सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान को चुनौती दे रहे हैं
पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर यानी PoK इस समय उबल रहा है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर की सेना PoK के लोगों पर गोलियां चला रही हैं लेकिन इसके बावजूद विरोध-प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा. इस नागरिक विद्रोह के बीच एक उग्र भाषण में, अवामी एक्शन कमेटी (AAC) के एक वरिष्ठ नेता शौकत नवाज मीर ने पाकिस्तानी सेना और सरकार की तुलना "लोगों को मारने पर आमादा डायन" से की है. उन्होंने सरकार और सेना पर उसी आबादी को कुचलने का आरोप लगाया है, जिसका प्रतिनिधित्व करने का वो दावा करते हैं. उन्होंने घोषणा की कि तथाकथित 'आजाद कश्मीर' बिल्कुल भी स्वतंत्र नहीं है बल्कि दशकों के शोषण और दमन से जकड़ा हुआ है.
इस्लामाबाद और रावलपिंडी पर मीर का तीखा हमला तब हुआ है जब PoK में विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है. यहां के लोग नागरिक न्याय, बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे हैं, प्रणालीगत उत्पीड़न को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं. शौकत नवाज मीर ने हजारों प्रदर्शनकारियों से कहा, "हमारा संघर्ष किसी व्यक्ति के खिलाफ नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था के खिलाफ है… ये जनता का संघर्ष है, ये आपका संघर्ष है, ये हम सबका संघर्ष है. हम सब मिलकर इस व्यवस्था के खिलाफ आवाज उठाएंगे."
क्रूरता और पाखंड का आरोप
ACC नेता ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान के शासक उन्हीं अत्याचारों के दोषी हैं जिनका वे दूसरों पर आरोप लगाते हैं. पहलगाम हमले से पहले हिंदुओं को 'काफिर' बताने वाली पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल असीम मुनीर की विवादास्पद टिप्पणी का जिक्र करते हुए मीर ने कहा, "वे भारत के हिंदुओं पर अत्याचार का आरोप लगाते हैं जबकि उनके अपने हाथ कश्मीरियों के खून से रंगे हुए हैं.”
शौकत नवाज मीर के अनुसार, असहमति की आवाजों को बेरहमी से दबाया जा रहा है, स्थानीय मीडिया को चुप कराया जा रहा है और प्रदर्शनकारियों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. मीर ने जोर देकर कहा, "हमारी मांग स्पष्ट है - न्याय और लोगों के अधिकार… जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, हम पीछे नहीं हटेंगे."
नागरिकों का गुस्सा उबल पड़ा
वैसे तो प्रदर्शनों की शुरुआत आसमान छूते बिजली बिलों और भोजन की कमी के खिलाफ हुई थी. लेकिन अब यह पाकिस्तान की सरकार और सेना से सीधे तौर पर भिड़ने वाले एक पूर्ण आंदोलन में बदल गई है. प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर दशकों की उपेक्षा, भ्रष्टाचार और राजनीतिक अधिकारों से इनकार करने का आरोप लगाया है.
एनडीटीवी ने पहले रिपोर्ट की थी कि हाल के वर्षों में सबसे घातक कार्रवाई करते हुए मुजफ्फराबाद, बाग, पुंछ और पीओके के अन्य इलाकों में पाकिस्तानी बलों द्वारा भीड़ पर की गई गोलीबारी में कम से कम एक दर्जन लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए. लेकिन यह कार्रवाई बैकफायर कर गई है. असहमति को दबाने के बजाय, रक्तपात ने जनता के गुस्से को और गहरा कर दिया है और जवाबदेही की मांग को बढ़ावा दिया है.
PoK में एक टर्निंग प्वाइंट
PoK पर नजर रखने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि यहां विरोध का पैमाना और स्वर एक ऐतिहासिक बदलाव का प्रतीक है. दशकों में पहली बार, PoK में नारे सीधे तौर पर इस्लामाबाद में बैठी सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बना रहे हैं, जिससे 'आजाद कश्मीर' का मुखौटा टूट गया है. मीर ने कसम खाई, "यह संघर्ष हमारी आखिरी सांस तक चलेगा… हम चुप नहीं रहेंगे. PoK के लोग अब जुल्म के आगे नहीं झुकेंगे."
अवामी एक्शन कमेटी द्वारा पहले घोषित 'लॉन्ग मार्च' गुरुवार को भी जारी रहेगा, जबकि पाक सेनाएं आगे की कार्रवाई पर विचार कर रही हैं. पूरे क्षेत्र में इंटरनेट और संचार (फोन कॉल) पर बैन जारी है. पाकिस्तानी मीडिया में इस मुद्दे पर बहुत कम कवरेज हुई है.
जैसे-जैसे यहां विरोध फैल रहा है, पाकिस्तान की सरकार और सेना को अब उस PoK के भीतर से एक अभूतपूर्व चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जिसकी वे रक्षा करने का दावा करते हैं. लेकिन सच्चाई तो यह है कि यहां के लोग तेजी से खुलेआम सरकार और सेना पर उत्पीड़क होने का आरोप लगा रहे हैं.