पाकिस्तान में सियासत गरमाई हुई है. इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव खारिज करने और संसद भंग करने के बाद वहां के विपक्षी दल लगातार इसे असंवैधानिक कदम बता रहे हैं. वहीं अब इस मामले में पूर्व पीएम इमरान खान के बेहद करीबी माने जाने वाले मंत्री फवाद चौधरी की प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने तर्क दिया है कि नेशनल असेंबली को भंग करने का कदम असंवैधानिक नहीं था. विपक्ष जबरदस्ती यह आरोप लगा रहा है. उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 58 में कहा गया है कि अगर सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव हो तो नेशनल असेंबली को भंग नहीं किया जा सकता है.
एनडीटीवी को दिए एक विशेष इंटरव्यू में चौधरी ने बताया कि इमरान खान द्वारा राष्ट्रपति को विधानसभा भंग करने का सुझाव देने और चुनावों की घोषणा करने से पहले ही अविश्वास प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया था. उन्होंने कहा कि जिस समय संसद भंग किया गया था, उस समय अविश्वास प्रस्ताव था ही नहीं. स्पीकर ने यह फैसला लिया कि प्रस्ताव अवैध और असंवैधानिक है, इसलिए उन्होंने प्रस्ताव को खारिज कर दिया. वहीं प्रधानमंत्री के पास राष्ट्रपति को (संसद) भंग करने के लिए सलाह देने का अधिकार था.
यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार करेगी, उनकी प्रतिक्रिया सकारात्मक थी. हालांकि, उन्होंने कहा कि दुनिया भर में "अदालतें कभी भी स्पीकर के फैसले में हस्तक्षेप या उसे नकारती नहीं है.
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उन्होंने कहा कि हमारा मानना है कि राजनीतिक सवालों का फैसला अदालतों से नहीं बल्कि राजनीतिक प्रक्रिया से होता है. किसी भी संकट में प्रक्रिया यह है कि आप लोगों के पास वापस जाएं और चुनाव के लिए कहें. उन्होंने इमरान खान के फैसले का भी बचाव किया.
गौरतलब है कि इमरान खान के खिलाफ विपक्ष की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को रविवार को नेशनल असेंबली के डिप्टी स्पीकर कासिम सूरी ने खारिज कर दिया. प्रस्ताव के खारिज होने के बाद इमरान खान ने राष्ट्र को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने बताया कि उन्होंने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी से नेशनल असेंबली भंग करने की सिफारिश की, जिसे मंजूर कर लिया गया. पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने देश में ताजा चुनाव कराने की सलाह दी है. 90 दिनों के भीतर फिर से चुनाव कराए जाने की चर्चा तेज है.