पाकिस्तान का पाखंड बेनकाब! घर में कट्टरपंथी इस्लाम पर बैन, लेकिन बांग्लादेश में सांपों को दूध पिला रही ISI

एक तरफ पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान जैसे समूहों पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जब बांग्लादेश की बात आती है, तो इस्लामाबाद इस्लामिक देश स्थापित करने और लोगों को शरिया कानून का पालन करने पर जोर दे रहा है.

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  • पाकिस्तान ने अपने यहां तहरीक-ए-लब्बैक पर बैन लगाया है लेकिन कट्टरपंथी तत्वों को बांग्लादेश में समर्थन दे रहा
  • पाकिस्तान में तहरीक-ए-लब्बैक और तहरीक-ए-तालिबान जैसे समूह सरकार और सेना पर हावी हो रहे
  • पाकिस्तान की ISI बांग्लादेश में शरिया कानून लागू कराने और कट्टरपंथी एजेंडे को बढ़ावा दे रही
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पाकिस्तान का पाखंड एक बार फिर दुनिया के सामने आ गया है. एक तरफ तो उसने अपने घर के अंदर कट्टरपंथी इस्लामिक पार्टी, तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) पर बैन लगा दिया है लेकिन दूसरी तरफ इसी तरह के कट्टरपंथी तत्वों को वो बांग्लादेश में शह दे रहा, उसे पाल-पोसकर और जहरिला बना रहा है. TLP पर बैन लगाने का यह यह फैसला इस बात का एक स्पष्ट संकेतक है कि पाकिस्तान को अपनी धरती पर धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ाने वाले कट्टरपंथी तत्वों से निपटने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

TLP के सदस्यों द्वारा निकाला जा रहा गाजा सॉलिडेरिटी मार्च बेहद हिंसक हो गया था. विशेषकर मुरीदके में सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हिंसक हो गईं और कई लोगों की मौत हो गई. TLP पाकिस्तान राज्य की रचना है, लेकिन हाल के वर्षों में अपने धार्मिक एजेंडे को आगे बढ़ाने की कोशिश में यह हिंसक हो गया है. पाकिस्तान में TLP और तहरीक-ए-तालिबान, पाकिस्तान (TTP) जैसे कई समूह सरकार और सेना के खिलाफ हो गए हैं क्योंकि उनका मानना ​​है कि इस्लामाबाद देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने की नीति नहीं अपनाता है.

हाल के महीनों में, हिज़्ब-उत-तहरीर (एचयूटी) सहित ऐसे समूह गाजा मुद्दे पर पाकिस्तान के रुख के बारे में मुखर रहे हैं. गाजा मुद्दे पर इस्लामाबाद वाशिंगटन के रुख का समर्थन करता रहा है और यह बात इन समूहों को रास नहीं आई है. अब पाकिस्तानी सरकार इन कट्टरपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है.

पाकिस्तान का पाखंड

एक तरफ पाकिस्तान में ऐसे समूहों पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन जब बांग्लादेश की बात आती है, तो इस्लामाबाद इस्लामिक देश स्थापित करने और लोगों को शरिया कानून का पालन करने पर जोर दे रहा है. जमात-ए-इस्लामी और उसके कठपुतली मुहम्मद यूनुस के माध्यम से, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI सख्त कानून लागू करने की कोशिश कर रही है जिसके लिए इस्लाम का अधिक कठोरता से पालन करने की आवश्यकता है.

इसके अलावा ISI का एजेंडा महिलाओं से उनके अधिकारों को छीनना और उन्हें जीवन जीने के लिए प्रेरित करना है, जैसा कि ईरान में महिलाएं करती हैं. जब शेख हसीना को अपदस्थ कर दिया गया और मुहम्मद यूनुस को अंतरिम सरकार का कार्यवाहक बनाया गया, तो यह स्पष्ट हो गया कि जमात फैसले लेगी.

जमात ने यूनुस को निर्देश दिया कि वह पाकिस्तान का खुलकर अपने यहां स्वागत करे. ऐसा करने से ISI को बांग्लादेश तक आसान पहुंच मिल गई. बांग्लादेश में ISI और जमात सामाजिक ताने-बाने को बदलने की कोशिश कर रहे हैं. कट्टरपंथी तत्वों पर बहुत अधिक जोर दिया जा रहा है, जिन्हें अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करने और शरिया कानून लागू करने का प्रयास करने के लिए भी कहा गया है.

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