पहलगाम में हुए आतंकी हमले के ठीक पांच दिन बाद पाकिस्तान ने एक बड़ी क्रिप्टो डील साइन की. और हैरान करने वाली बात ये है कि इस डील का कनेक्शन सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परिवार से है. आखिर ये डील है क्या? ट्रंप का इसमें क्या रोल है? और क्या ये सब महज इत्तेफाक है? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं.
मामला क्या है
सबसे पहले समझते हैं कि पूरा मामला क्या है. 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक खौफनाक आतंकी हमला हुआ. इस हमले में 26 बेगुनाह लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर हिंदू पर्यटक थे, जो कश्मीर घूमने गए हुए थे. भारत ने साफ कहा कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान से आए आतंकियों का हाथ था. इसके जवाब में भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' लॉन्च किया, जिसमें पाकिस्तान और POK में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान को बैकफुट पर ला दिया, लेकिन अब आता है असली ट्विस्ट! हमले के ठीक पांच दिन बाद, यानी 26 अप्रैल, 2025 को पाकिस्तान ने एक क्रिप्टो कंपनी के साथ बड़ा समझौता किया. इस कंपनी का नाम है वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल, यानी WLF और इसमें ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है. ऐसे में सवाल ये है कि इतनी जल्दी ये डील क्यों हुई? और ट्रंप का इसमें क्या कनेक्शन है?
- डील की तारीख : 26 अप्रैल, 2025
- कंपनी : वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल (WLF)
- ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी
ये क्रिप्टो डील है क्या?
अब इस डील को और करीब से समझते हैं. पाकिस्तान ने WLF के साथ एक 'लेटर ऑफ इंटेंट' साइन किया. इसका मतलब है कि वो पाकिस्तान में क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी, और डीसेंट्रलाइज्ड फाइनेंस को बढ़ावा देना चाहते हैं. पाकिस्तान का दावा है कि वो साउथ एशिया का 'क्रिप्टो हब' बनना चाहता है. इस डील के लिए WLF की एक हाई-प्रोफाइल टीम इस्लामाबाद गई, जिसमें ट्रंप के करीबी दोस्त स्टीव विटकॉफ के बेटे जैकरी विटकॉफ भी शामिल थे. इस टीम की मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर से हुई. और ये सब तब हुआ, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर था.
ट्रंप का कनेक्शन और सवाल
अब बात करते हैं ट्रंप के रोल की. WLF में ट्रंप परिवार की 60% हिस्सेदारी है और उनके करीबी लोग इस डील में शामिल हैं. WLF ने अक्टूबर 2024 में अपने WLFI टोकन बेचकर 300 मिलियन डॉलर जुटाए थे. इतना ही नहीं कंपनी ने अबू धाबी की एक सरकारी फर्म के साथ 2 बिलियन डॉलर की डील भी की थी. अब वो पाकिस्तान में अपने कारोबार का विस्तार करना चाहती है, लेकिन सवाल ये है कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद ये डील क्यों? क्या ये महज इत्तेफाक है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप ने अपने बिजनेस इंटरेस्ट्स को बढ़ाने के लिए भारत-पाक तनाव में मध्यस्थता की कोशिश की. ट्रंप ने दावा किया कि उनकी मध्यस्थता से भारत-पाक के बीच सीजफायर हुआ,लेकिन भारत ने साफ कहा कि ये समझौता दोनों देशों के बीच डीजीएमओ स्तर पर हुआ, जिसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी. तो क्या ट्रंप अपने परिवार के फायदे के लिए पाकिस्तान को बैकडोर सपोर्ट कर रहे हैं. भारत ने अभी इस डील पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन ये सवाल हर किसी के मन में है.