- इंटरपोल और अफ्रीपोल ने अफ्रीका के छह देशों में आतंकवाद फंडिंग रोकने के लिए ऑपरेशन कैटलिस्ट चलाया.
- इस कार्रवाई में 83 गिरफ्तारियां हुईं और 160 संदिग्धों की पहचान कर करीब 260 मिलियन डॉलर की रकम ट्रेस की गई.
- केन्या में क्रिप्टो आधारित मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ और आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.
आतंकवाद की फंडिंग और उससे जुड़ी अवैध गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए इंटरपोल और अफ्रीपोल ने मिलकर अफ्रीका में एक बड़ी कार्रवाई की जिसे ऑपरेशन कैटलिस्ट नाम दिया गया. जुलाई से सितंबर 2025 तक चले इस ऑपरेशन में छह देशों में छापेमारी की गई. इसके दौरान 83 लोगों को गिरफ्तार किया गया और 160 संदिग्धों की पहचान हुई.
मिलियन डॉलर वाला संदिग्ध फंड
इस दो महीने की कार्रवाई में अफ्रीका के छह देशों अंगोला, कैमरून, केन्या, नामीबिया, नाइजीरिया और दक्षिण सूडान की पुलिस एजेंसियों ने 15,000 से ज्यादा लोगों और संस्थाओं की जांच की. जांच में करीब 260 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रकम (फिएट और वर्चुअल करेंसी दोनों में) आतंकवाद से जुड़ी गतिविधियों से संभावित रूप से जुड़ी पाई गई. अब तक 6 लाख डॉलर से ज्यादा करेंसी जब्त की जा चुकी है और बाकी रकम की ट्रेसिंग व रिकवरी जारी है.
गिरफ्तारियां और बड़े खुलासे
पूरे ऑपरेशन में 83 गिरफ्तारियां हुई हैं जिनमें 21 आरोपी आतंकवाद से जुड़े अपराधों में गिरफ्तार हुए हैं. जबकि 28 वित्तीय धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग में, 16 साइबर ठगी में, और 18 वर्चुअल करेंसी के अवैध इस्तेमाल में पकड़े गए.
अलग-अलग देशों में कार्रवाई
अंगोला: यहां 25 लोगों को गिरफ्तार किया गया. पुलिस ने 30 व्यापारिक प्रतिष्ठानों की जांच में 5.88 लाख डॉलर नकद, 100 मोबाइल फोन, और 40 कंप्यूटर जब्त किए. साथ ही 60 बैंक खाते फ्रीज किए गए.
केन्या: यहां एक क्रिप्टो-आधारित मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क का खुलासा हुआ जिसकी रकम करीब 4.3 लाख डॉलर बताई गई. इसके अलावा, दो लोग पूर्वी और उत्तरी अफ्रीका के युवाओं को ऑनलाइन आतंकवादी संगठनों में भर्ती करने के आरोप में पकड़े गए। इस फंडिंग के तार तंजानिया से जुड़े पाए गए.
नाइजीरिया: यहां 11 संदिग्ध आतंकवादियों को पकड़ा गया, जिनमें कई आतंकवादी संगठनों के वरिष्ठ सदस्य शामिल हैं.
क्रिप्टो ठगी और आतंकवाद कनेक्शन
इंटरपोल ने एक बड़ी क्रिप्टोकरेंसी-आधारित पोंजी स्कीम का भी पर्दाफाश किया जो कथित तौर पर ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के नाम पर 17 देशों में फैली थी. इस स्कैम से दुनियाभर के एक लाख से ज्यादा लोग ठगे गए जबकि कुल नुकसान करीब 56 करोड़ डॉलर का हुआ. जांच में पता चला कि कई बड़े क्रिप्टो वॉलेट्स आतंकवाद की फंडिंग से जुड़े हो सकते हैं. इसी ऑपरेशन के तहत इंटरपोल ने एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ रेड नोटिस भी जारी किया, जिसने 5 मिलियन डॉलर की ऑनलाइन क्रिप्टो ठगी की थी और पैसे को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर फिएट करेंसी में बदल दिया था.
अफ्रीकी एजेंसियां हुईं मजबूत
इंटरपोल के सेक्रेटरी जनरल वाल्डेसी उरकिजा ने कहा ,यह पहली बार है जब अफ्रीका के कई देशों की वित्तीय अपराध, साइबरक्राइम और आतंकवाद-रोधी इकाइयों ने मिलकर आतंकवाद की फंडिंग को निशाना बनाया. साझा इंटेलिजेंस और सहयोग से हम ऐसे नेटवर्क्स को तोड़ने में सफल हो रहे हैं. अफ्रीपोल के एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर, अंबेसडर जलाल चेल्बा ने कहा यह ऑपरेशन दिखाता है कि जब अफ्रीका की कानून-प्रवर्तन एजेंसियां एकजुट होती हैं, तो वे किसी भी बड़े खतरे से निपटने में सक्षम हैं.
क्या था इसका मकसद
यह ऑपरेशन ISPA प्रोग्राम के तहत किया गया, जिसे जर्मन फेडरल फॉरेन ऑफिस ने फंड किया है. इसका मकसद अफ्रीपोल की क्षमता बढ़ाना है ताकि वह पूरे अफ्रीका में आतंकवाद, साइबरक्राइम और वित्तीय अपराधों से प्रभावी ढंग से निपट सके. ऑपरेशन कैटलिस्ट ने दिखाया है कि आतंकवाद की फंडिंग सिर्फ बंदूक और बम से नहीं, बल्कि डिजिटल ठगी, फर्जी निवेश योजनाओं और क्रिप्टो के जरिए भी चल रही है. और अब अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां एकजुट होकर इन नए खतरों को जड़ से खत्म करने की दिशा में कदम बढ़ा रही हैं.