बीमारी बड़ी भारी.. भारत के बारे में क्या चेतावनी दे रही मोटापे पर लैंसेट की स्टडी?

यदि सरकारों ने कदम नहीं उठाया तो साल 2050 तक दुनिया के सभी वयस्कों में से लगभग 60 प्रतिशत और सभी बच्चों में से एक तिहाई अधिक वजन वाले होंगे या मोटापे से जूझ रहे होंगे- स्टडी

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प्रतिकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

यदि बचपन में मोटापे की महामारी अनियंत्रित रही, तो यह हमारे कई बच्चों को कम उम्र तक ही जीने देगी, यह उनके खराब स्वास्थ्य से होने वाले भावनात्मक और वित्तीय बोझ का कारण बनेगी.”

यह बात महान फिजिशियन और अमेरिका के 17वें सर्जन जनरल, रिचर्ड कार्मोना ने कही थी. मोटापे की महामारी की भयावहता पर उनकी इस बात को एक लेटेस्ट स्टडी ने भी दोहराया है. इस स्टडी के अनुसार यदि सरकारों ने कदम नहीं उठाया तो साल 2050 तक दुनिया के सभी वयस्कों (एडल्ट) में से लगभग 60 प्रतिशत और सभी बच्चों में से एक तिहाई अधिक वजन वाले होंगे या मोटापे से जूझ रहे होंगे. 

लैंसेट मेडिकल जर्नल में छपी इस रिसर्च में 204 देशों के डेटा का उपयोग करके एक गंभीर तस्वीर पेश की गई, जिसे सदी की महान स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बताया गया है. यह स्टडी सिएटल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन द्वारा कोऑर्डिनेटेड ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) कार्यक्रम द्वारा की गई रिसर्च पर है.

स्टडी में क्या पता चला? 10 प्वाइंट

1. दुनिया भर में अधिक वजन वाले या मोटे लोगों की संख्या 1990 में 929 मिलियन से बढ़कर 2021 में 2.6 बिलियन हो गई है.

2. अगले 15 सालों में 3.8 अरब वयस्क अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त होंगे. यानी 2050 में पूरे विश्व के कुल वयस्क आबादी का लगभग 60 प्रतिशत मोटापे से जूझेगा.

3. दुनिया का हेल्थ सिस्टम चरमरा जाएगी. दुनिया के लगभग एक चौथाई मोटापे से ग्रस्त लोगों की उम्र उस समय तक 65 वर्ष से अधिक होने की उम्मीद है.

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4. इस वजह से पहले से ही अत्यधिक बोझ से दबी हेल्थ सिस्टम पर दबाव बढ़ गया है और कम संसाधन वाले देशों में मेडिकल सेवाओं पर कहर बरपा रहा है.

Photo Credit: (ग्राफिक्स- एनडीटीवी इंडिया, सोर्स: IHME, ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज अध्ययन 2021)

5. दुनिया भर में बच्चों और किशोरों में मोटापे में 121 प्रतिशत की वृद्धि देखी जाएगी.

6. 2050 तक सभी मोटे युवाओं में से एक तिहाई इन दो क्षेत्रों में रह रहे होंगे- उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व, और लैटिन अमेरिका और कैरेबियन.

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7. अभी के वक्त में दुनिया के आधे से अधिक अधिक वजन वाले या मोटापे से ग्रस्त वयस्क पहले केवल आठ देशों में रहते हैं और इसमें भारत भी शामिल है. ये देश हैं: चीन, भारत, अमेरिका, ब्राजील, रूस, मैक्सिको, इंडोनेशिया और मिस्र.

8. नाइजीरिया, भारत, पाकिस्तान और चीन जैसे घनी आबादी वाले देशों में मोटापे की रोकथाम को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. वजह है कि यहां मोटापे से ग्रस्त बच्चों और किशोरों की अनुमानित संख्या के विनाशकारी होने का अनुमान है.

9. रिसर्चर्स ने चेतावनी दी है कि हर देश में बच्चों का वजन पिछली पीढ़ियों की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है और मोटापे से ग्रस्त होने की उम्र और कम होते जा रही है. इससे कम उम्र में टाइप 2 मधुमेह (डायबिटीज), हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और कैंसर होने का खतरा बढ़ रहा है.

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10. उदाहरण से देखिए. उच्च आय वाले देशों में, 1960 के दशक में पैदा हुए लगभग 7% पुरुष 25 वर्ष की आयु तक मोटापे से ग्रस्त थे. लेकिन 1990 के दशक में पैदा हुए पुरुषों के लिए यह आंकड़ां बढ़कर 16% हो गया, और 2015 में पैदा हुए पुरुषों के लिए इसके 25% तक पहुंचने का अनुमान है.

मोटापा किसे कहते हैं?
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार मोटापा एक पुरानी जटिल बीमारी है जो अत्यधिक फैट (वसा) जमा होने से परिभाषित होती है. यह स्वास्थ्य को खराब कर सकती है. मोटापे से टाइप 2 डायबिटीज और हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है, यह हड्डियों के स्वास्थ्य और प्रेग्नेंसी को प्रभावित कर सकता है. इससे कुछ कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. मोटापा जीवन जीने की गुणवत्ता को प्रभावित करता है, जैसे सोना या चलना.

WHO के अनुसार अगर किसी व्यस्क में बॉडी मास इंडेक्स (वजन और लंबाई² का अनुपात) 25 या उससे अधिक है, तो उसे बढ़ा वजन (ओवरवेट) माना जाएगा. अगर बॉडी मास इंडेक्स 30 या उससे अधिक है तो उसे मोटापे से ग्रस्त माना जाएगा.

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