वेनेजुएला की डेमोक्रेसी सपोर्टर मारिया कोरीना माचाडो को 10 अक्टूबर को साल 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है. लेकिन इस अवॉर्ड के साथ ही विवाद पैदा हो गया है. उनके आलोचकों ने कहा कि माचाडो ने इजरायल और गाजा पर उसकी तरफ से हुई बमबारी के समर्थन में बयान दिए हैं. साथ ही उन्होंने अपने देश की सरकार को बदलने के लिए विदेशी हस्तक्षेप की भी मांग की थी.
समिति ने बांधे तारीफों के पुल
माचाडो, वेनेजुएला की एक डेमोक्रेसी सपोर्टर एक्टिविस्ट हैं. हाल के कुछ सालों में वह असैन्य ताकत का एक शक्तिशाली प्रतीक बनकर उभरी हैं. नोबेल पुरस्कार समिति ने उन्हें वेनेजुएला में लोकतंत्र को बढ़ावा देने और तानाशाही के खिलाफ संघर्ष करने के उनके योगदान के लिए शांति पुरस्कार से सम्मानित किया है. घोषणा के कुछ ही घंटों में व्हाइट हाउस ने आलोचना करते हुए कहा कि नोबेल समिति ने 'शांति से ज्यादा को तरजीह दी'.
नोबेल पुरस्कार समिति ने मारिया कोरीना माचाडो को 'शांति की चैम्पियन' के रूप में सराहा है. समिति के अनुसार उन्होंने वेनेजुएला में लोकतंत्र की मशाल को लगातार जलाए रखा, भले ही देश में अंधकार बढ़ रहा हो. समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वाटने फ्राइडनेस ने उन्हें वेनेजुएला के राजनीतिक विपक्ष की एक प्रमुख और एकजुट करने वाली शख्सियत बताया, जो कभी बंटा हुआ था.
पुरानी पोस्ट्स बनीं मुसीबत
क्रिटिक्स माचाडो के पुराने पोस्ट्स शेयर कर उन्हें निशाना बना रहे हैं. इनमें उन्होंने इजरायल और बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी का समर्थन किया था. 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले के बाद उन्होंने इजरायल के साथ एकजुटता दिखाई थी लेकिन उन्होंने फिलिस्तीनियों की हत्या के समर्थन में कभी भी साफतौर पर कुछ नहीं कहा. उनके सालों पुराने पोस्ट्स यह पुष्टि करते हैं कि वह नेतन्याहू की सहयोगी रही हैं. आलोचकों की तरफ से आई कुछ पोस्ट्स में माचाडो ने लिखा था, 'वेनेजुएला का संघर्ष इजरायल के संघर्ष जैसा है.' दो साल बाद उन्होंने इजरायल को 'स्वतंत्रता का असली सहयोगी' कहा. माचाडो ने यह तक वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आती हैं वेनेजुएला का दूतावास तेल अवीव से जेरूशलेम शिफ्ट कर देंगी.
विदेशी हस्तक्षेप की मांग
माचाडो को यह भी आलोचना झेलनी पड़ रही है कि उन्होंने वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो के शासन के खिलाफ अपने अभियान में विदेशी हस्तक्षेप की मांग की. साल 2018 में उन्होंने एक चिट्ठी लिखी थी. इसमें उन्होंने अपने देश में शासन परिवर्तन के लिए इजरायल और अर्जेंटीना से समर्थन मांगा था.