चीन पर काबू के लिए भारत जरूरी: निक्की हेली ने ट्रंप को दी सलाह, बताया US के लिए क्यों महत्वपूर्ण है इंडिया

हेली ने लिखा है कि अभी के समय में भारत अमेरिका के लिए अहम है क्योंकि वह चीन पर निर्भर सप्लाई चेन को हटाने में मदद कर सकता है. अमेरिका मैन्युफैक्चरिंग को अपने देश में लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन टेक्सटाइल, सस्ते फोन और सोलर पैनल जैसे उत्पादों के लिए भारत ही चीन जैसी क्षमता दे सकता है.

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  • निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर सवाल उठाया है, साथ ही दोनों देशों के रिश्तों पर चिंता जतायी है
  • ट्रंप प्रशासन ने भारत को रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ की धमकी दी, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है
  • हेली ने कहा कि भारत चीन का विरोध करने वाला महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक साझेदार है, न कि कोई दुश्मन या खतरा
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नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत रह चुकीं और दक्षिण कैरोलाइना की पूर्व गवर्नर निक्की हेली ने ट्रंप प्रशासन की भारत को लेकर नीतियों पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने एक लेख लिखकर कहा है कि अमेरिका और भारत के रिश्ते जिस राह पर जा रहे हैं, वह बेहद चिंताजनक है. हेली ने लिखा कि जुलाई 1982 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का व्हाइट हाउस में स्वागत किया था, तब उन्होंने दोनों देशों की दोस्ती की तारीफ करते हुए कहा था कि भले ही हमारे देश कभी-कभी अलग रास्तों पर चलें, हमारी मंजिल एक ही है. लेकिन आज, चार दशक बाद, दोनों देशों के रिश्ते एक मुश्किल मोड़ पर खड़े हैं.

निक्की हेली का ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर उठाया सवाल?

निक्की हेली ने लिखा कि ट्रंप प्रशासन का मकसद चीन से मुकाबला करना और ताकत के दम पर शांति कायम करना है. इन लक्ष्यों को पाने के लिए अमेरिका-भारत रिश्तों को पटरी पर लाना बेहद जरूरी है. लेकिन पिछले कुछ हफ्तों में हालात तेजी से बिगड़े हैं. ट्रंप प्रशासन ने रूस से तेल खरीदने पर भारत को 25% टैरिफ की धमकी दी, जबकि भारतीय सामानों पर पहले ही इतना टैरिफ लगाया जा चुका है. यह सब तब हुआ जब भारत-पाकिस्तान सीजफायर वार्ता में अमेरिका की भूमिका को लेकर भी तनाव बढ़ा हुआ था.

चीन से मुकाबले के लिए भारत की है जरूरत

हेली ने लिखा कि भारत के रूस से तेल खरीदने पर ट्रंप का गुस्सा सही है, क्योंकि यह पैसा व्लादिमीर पुतिन के यूक्रेन पर युद्ध को फंड कर रहा है. साथ ही भारत दुनिया की सबसे संरक्षणवादी अर्थव्यवस्थाओं में से एक रहा है, जहां औसत टैरिफ दर 2023 में अमेरिकी दर से पांच गुना ज्यादा थी. लेकिन भारत को चीन जैसा दुश्मन नहीं, बल्कि एक अहम लोकतांत्रिक साझेदार की तरह देखना चाहिए. चीन को तो रूस से तेल खरीदने पर कोई सजा नहीं मिली, जबकि वह मॉस्को का सबसे बड़ा ग्राहक है. अगर भारत के साथ रिश्ते बिगड़ते हैं, तो एशिया में चीन का मुकाबला करने वाला अकेला देश हाथ से निकल जाएगा, जो अमेरिका के लिए बड़ी रणनीतिक गलती होगी.

हेली ने लिखा है कि अभी के समय में भारत अमेरिका के लिए अहम है क्योंकि वह चीन पर निर्भर सप्लाई चेन को हटाने में मदद कर सकता है. अमेरिका मैन्युफैक्चरिंग को अपने देश में लाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन टेक्सटाइल, सस्ते फोन और सोलर पैनल जैसे उत्पादों के लिए भारत ही चीन जैसी क्षमता दे सकता है.

रक्षा के मोर्चे पर भी भारत की अहमियत बढ़ रही है. अमेरिका, इज़राइल और अन्य सहयोगियों के साथ भारत की बढ़ती साझेदारी उसे मुक्त दुनिया की सुरक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाती है. मध्य पूर्व में भारत का बढ़ता प्रभाव और चीन के व्यापार व ऊर्जा प्रवाह के बीच उसकी भौगोलिक स्थिति उसे रणनीतिक तौर पर और मजबूत बनाती है.

भारत का उदय दुनिया के लिए नहीं है खतरा: निक्की हेली 

भविष्य में भारत की भूमिका और अहम हो जाएगी. 2023 में भारत जनसंख्या में चीन को पीछे छोड़कर दुनिया का सबसे बड़ा देश बन गया है. तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और युवा आबादी के साथ भारत चीन की महत्वाकांक्षाओं के सामने सबसे बड़ी बाधा बनेगा. फर्क यह है कि भारत लोकतांत्रिक है और उसका उदय मुक्त दुनिया के लिए खतरा नहीं है.

हेली ने लिखा कि अमेरिका और भारत को चीन के खिलाफ साझेदारी मजबूत करनी चाहिए और हालिया मतभेदों को गहराने नहीं देना चाहिए. अगर व्यापार विवाद बढ़ा तो चीन इसका फायदा उठाएगा और अमेरिका-भारत को आमने-सामने खड़ा कर देगा. भारत को भी रूस से तेल खरीदने के मुद्दे पर ट्रंप की बात गंभीरता से लेनी चाहिए और अमेरिका के साथ समाधान निकालना चाहिए. 

अमेरिका को भारत के साथ रिश्तों को इज़राइल की तरह प्राथमिकता देनी चाहिए 

अंत में हेली ने लिखा है कि रिश्तों में आई कड़वाहट को दूर करने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच सीधी बातचीत जरूरी है. अमेरिका को भारत के साथ रिश्तों को उतनी ही प्राथमिकता देनी चाहिए जितनी वह चीन या इज़राइल को देता है. दशकों की दोस्ती और साझा लोकतांत्रिक मूल्यों के दम पर अमेरिका-भारत रिश्ते इस मुश्किल दौर को पार कर सकते हैं. कठिन बातचीत असल साझेदारी की निशानी होती है, और अमेरिका को यह नहीं भूलना चाहिए कि चीन का सामना करने के लिए भारत का साथ उसके लिए सबसे जरूरी है.

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