कैसे एक नाइटक्लब बाउंसर बना कनाडा का प्रधानमंत्री, जानिए जस्टिन ट्रूडो की कहानी

जस्टिन ट्रूडो कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो के बेटे हैं और 2013 में लिबरल पार्टी के नेता बने. 2015 में उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और तब से उन्होंने अपनी पार्टी को तीन चुनावों में नेतृत्व दिया.

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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा देने का बड़ा निर्णय लिया. यह कदम उनकी पार्टी के भीतर बढ़ते दबाव और भारत के खिलाफ उनके बयानों को लेकर उत्पन्न राजनीतिक संकट के बीच उठाया गया. ट्रूडो के इस्तीफे से कनाडा की राजनीतिक स्थिति पर कई सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि वह भारत पर अपने विवादास्पद रुख के कारण आलोचनाओं का शिकार हो गए थे.

जस्टिन ट्रूडो कनाडा के पूर्व प्रधानमंत्री पियर ट्रूडो के बेटे हैं और 2013 में लिबरल पार्टी के नेता बने. 2015 में उन्होंने पहली बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी और तब से उन्होंने अपनी पार्टी को तीन चुनावों में नेतृत्व दिया. हालांकि, ट्रूडो के लिए सत्ता में बने रहना लगातार चुनौतीपूर्ण रहा है. 2015 के चुनाव में उनकी पार्टी को 184 सीटें मिलीं, लेकिन 2019 और 2021 में उनकी पार्टी का प्रदर्शन कमजोर हुआ, सीटों की संख्या क्रमशः 157 और 158 तक गिर गई. वर्तमान में उनकी पार्टी के पास 153 सांसद हैं.

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो का जन्म क्रिसमस की रात को कनाडा के प्रथम परिवार में हुआ था. जब ट्रूडो केवल छह साल के थे, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया और उनकी मां, मार्गरेट, जो अपने पति से 29 साल छोटी थीं और लिबरल सांसद जेम्स सिंक्लेयर की बेटी थीं. इसके बाद, उनका पालन-पोषण अकेले उनके पिता ने किया, जिन्होंने कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में 15 वर्षों तक देश का नेतृत्व किया.

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राजनीतिक करियर से लेकर व्यक्तिगत जीवन तक संघर्ष
कनाडा में ट्रूडो के प्रधानमंत्री बनने के पहले भी उनकी जीवन यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी रही थी. राजनीति में आने से पहले उन्होंने शिक्षक, नाइट क्लब बाउंसर के रूप में भी काम किया था. अनुभव ने उन्हें समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़ने का अवसर दिया.

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हालांकि, उनकी पर्सनल लाइफ में भी समस्याएं आईं. अगस्त 2023 में ट्रूडो और उनकी पत्नी सोफी के बीच तलाक हो गया. दोनों ने 18 साल की शादी के बाद लीगल सेपरेशन एग्रीमेंट पर साइन किए थे. उनके पिता पियर ट्रूडो ने भी 1979 में अपनी पत्नी से अलग होकर 1984 में तलाक लिया था.

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'बेहतर ऑप्शन का हकदार...'
जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि कनाडा अगले इलेक्शन के लिए एक बेहतर ऑप्शन का हकदार है. मैं वो ऑप्शन नहीं हूं. अगर मुझे अपने घर में ही लड़ाई लड़नी पड़े, तो मैं समझता हूं कि 2025 के इलेक्शन के लिए मैं अच्छा ऑप्शन बिल्कुल नहीं हूं. लेकिन फाइटर हूं और मेरी लड़ाई जारी रहेगी.

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अपनी ही पार्टी में घिरे ट्रूडो
जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी में विद्रोह की आवाज तेज हुई है. सियान कैसी और केन मैक्डोनाल्ड समेत पार्टी के कई हाई प्रोफाइल सांसद सार्वजनिक तौर पर जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ अपनी राय दे चुके हैं. इन सांसदों ने अपने प्रधानमंत्री के बयानों और फैसलों को गलत बताया है. उनकी लीडरशिप पर सवाल उठा चुके हैं. पार्टी की ओर से ट्रूडो पर PM पद छोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है. कुछ अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट के मुताबिक, लिबरल पार्टी के कम से कम 20 सांसदों ने जस्टिन ट्रूडो के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफे को लेकर एक पिटीशन पर साइन किए हैं.

भारत के खिलाफ कैंपेनिंग पड़ा भारी?
भारत और कनाडा के बीच राजनीतिक तनाव की शुरुआत सितंबर 2023 में हुई. जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय संलिप्तता के आरोप लगाए. निज्जर को कनाडा में एक सिख मंदिर के बाहर गोली मार दी गई थी. भारत ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कनाडा से सबूत मांगे. लेकिन ट्रूडो सरकार ने बार-बार मांगने के बाद भी कोई सबूत नहीं दिए. इसके बाद से नई दिल्ली और ओटावा के बीच तनाव बढ़ता ही रहा.

अर्थव्यवस्था पर असर: डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां
जस्टिन ट्रूडो की सरकार को आर्थिक मोर्चे पर भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ा. खासकर डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण कनाडा को नई आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है. ट्रंप ने कनाडा से आने वाले उत्पादों पर भारी कर लगाने की योजना बनाई थी, जिससे दोनों देशों के व्यापारिक संबंधों पर नकारात्मक असर पड़ सकता था, क्योंकि कनाडा का 80% निर्यात अमेरिका को होता है, ट्रंप की टैरिफ नीति कनाडा की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकता है. इसके अतिरिक्त, ट्रंप ने कनाडा पर अतिरिक्त दबाव डाला, जिससे व्यापारिक तनाव भी बढ़ सकता है.

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