फ्रांस में कोरोना के नए वेरिएंट 'IHU'की पहचान, हो सकते हैं 46 म्यूटेशन

आईएचयू मेडिटेरेनी इंफेक्शन’ के शोधकर्ताओं ने 'IHU' के रूप में नामित बी.1.640.2 वेरिंएट को कम से कम 12 मामलों में पाया है. इसे अफ्रीकी देश कैमरून की यात्रा करने वालों से जोड़कर देखा जा रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 25 mins
29 दिसंबर को पोस्ट किए गए पीयर-रिव्यू किए गए अध्ययन से पता चला है कि IHU में 46 म्यूटेशन और 37 डिलिटेशन हैं
नई दिल्ली:

दुनिया भर में ओमिक्रॉन ने कहर बरपाया हुआ है. इस बीच वैज्ञानिकों ने दक्षिणी फ्रांस में COVID-19 के नए स्ट्रेन की पहचान की है. आईएचयू मेडिटेरेनी इंफेक्शन' के शोधकर्ताओं ने 'IHU' के रूप में नामित बी.1.640.2 वेरिंएट को कम से कम 12 मामलों में पाया है. इसे अफ्रीकी देश कैमरून की यात्रा करने वालों से जोड़कर देखा जा रहा है. हालांकि, शोधकर्ताओं का कहना है कि इस संक्रमण का टीकों से मिलने वाली सुरक्षा पर क्या असर है, इस बारे में अनुमान लगाना फिलहाल जल्दबाजी होगी.

दरअसल, 29 दिसंबर को प्रीप्रिंट रिपोजिटरी MedRxiv पर पोस्ट किए गए पीयर-रिव्यू किए गए अध्ययन से पता चला है कि IHU में 46 म्यूटेशन और 37 डिलिटेशन हैं, जिसके परिणामस्वरूप 30 अमीनो एसिड सब्स्टिटूशन और 12 डिलिटेशन हैं. अमीनो एसिड ऐसे molecules होते हैं जो प्रोटीन बनाने के लिए एकजुट होते हैं और दोनों जीवन के निर्माण खंड हैं. N501Y और E484K सहित 14 अमीनो एसिड सब्स्टिटूशन और नौ डिलिटेशन स्पाइक प्रोटीन में स्थित हैं.

30 लाख शादियों पर कोरोना से संकट, यूपी में जाकर शादी का कार्यक्रम करने को मजबूर दिल्ली के लोग

वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले अधिकांश टीके SARS-CoV-2 के स्पाइक प्रोटीन पर लक्षित होते हैं, जिसका उपयोग वायरस कोशिकाओं में प्रवेश करने और संक्रमित करने के लिए करता है. N501Y और E484K म्यूटेशन पहले बीटा, गामा, थीटा और ओमिक्रॉन वेरिएंट में भी पाए गए थे.

Advertisement

अध्ययन के लेखकों ने कहा, "यहां प्राप्त जीनोम की उत्परिवर्तन सेट और फाइलोजेनेटिक स्थिति हमारी पिछली परिभाषा के आधार पर हमने नए वेरिएंट को आईएचयू नाम दिया है. ये डेटा SARS-CoV-2 वेरिएंट के उभरने की अप्रत्याशितता का एक और उदाहरण हैं और ये किसी भी क्षेत्र में सामने आ सकता है.

Advertisement

बता दें कि B.1.640.2 की अभी तक अन्य देशों में पहचान नहीं हो सकी है या ये भी कह सकते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा इस वेरिएंट की अभी पहचान नहीं की गई है. शोधकर्ताओं के अनुसार, सूचकांक (पहला) पर मामला पिछले साल नवंबर के मध्य में एकत्र किए गए एक वयस्क के नासोफेरींजल नमूने पर एक प्रयोगशाला में किए गए RTPCR टेस्ट में सामने आया है. एपिडेमियोलॉजिस्ट एरिक फीगल-डिंग ने ट्विटर पर एक लंबा चौड़ा पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने कहा कि नए वेरिएंट सामने आते रहते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे अधिक खतरनाक होंगे.

Advertisement

Feigl-Ding ने मंगलवार को ट्वीट किया, "जो चीज किसी वेरिएंट को अधिक प्रसिद्ध और खतरनाक बनाती है, वह मूल वायरस के संबंध में होने वाले म्यूटेशन की संख्या के कारण गुणा करने की क्षमता है."

Advertisement

दिल्ली में 5481 नए कोरोना केस मिले, पॉजिटिविटी रेट 8.37 फीसदी तक पहुंची

उन्होंने कहा कि यह तब होता है जब ओमिक्रॉन की तरह यह "चिंता का एक प्रकार" बन जाता है, जो अधिक संक्रामक है और इम्यूनिटी पर अधिक प्रभाव डालता है. यह देखा जाना बाकी है कि यह नया वेरिएंट किस श्रेणी में आएगा. 

बता दें कि कई देश वर्तमान में ओमिक्रॉन वेरिएंट से जूझ रहे हैं. जिसे पहली बार दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में पिछले साल नवंबर में पहचाना गया था. तब से, चिंता का रूप 100 से अधिक देशों में फैल गया है. भारत की बात करें तो देश में अब तक 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ओमिक्रॉन के कुल 1,892 मामले सामने आ चुके हैं.

बड़ी खबर: मुंबई में कोरोना के 8082 नए मामले, 71 मरीजों को ही ऑक्सीजन की जरूरत पड़ी

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Shammi Narang Interview: 23 साल बाद न्यूज पढ़ते दिखे जाने-माने एंकर शम्मी नारंग
Topics mentioned in this article