नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड' ने चीन में तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में स्थित कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का दौरा किया और नेपाल के जरिये भारतीयों सहित तीर्थयात्रियों के लिए यहां तक पहुंचने को और अधिक सुगम बनाने का संकल्प लिया. चीन की आठ दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे प्रचंड ने बुधवार को तिब्बत की राजधानी ल्हासा का दौरा करने के बाद बृहस्पतिवार को हिंदुओं द्वारा पवित्र माने जाने वाले कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील का दौरा किया.
प्रधानमंत्री ने नेपाल की राष्ट्रीय समाचार एजेंसी आरएसएस को बताया कि तीर्थयात्रियों के लिए करनाली प्रांत के हुमला जिले के माध्यम से नेपाली मार्ग से कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील की यात्रा के प्रावधान किए जाएंगे.
‘मायरिपब्लिका' अखबार की खबर में प्रचंड के हवाले से कहा गया कि हुमला जिले के रास्ते कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील तक नेपाल, भारत और अन्य देशों के पर्यटकों सहित आगंतुकों और तीर्थयात्रियों की यात्रा की अनुमति देने के लिए सैद्धांतिक रूप से चीनी सरकार के साथ एक समझौता किया गया है.
खबर के मुताबिक, मानसरोवर झील हुमला जिले के मुख्यालय सिमिकोट से लगभग 160 किलोमीटर दूर है. प्रधानमंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को चीन के सिचुआन प्रांत के सचिव के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. चीनी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व वांग शिनहुई ने किया, जो सिचुआन प्रांत पीपुल्स कांग्रेस की स्थायी समिति के अध्यक्ष भी हैं.
वार्ता के दौरान प्रचंड ने चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, प्रधानमंत्री ली कियांग के साथ अपनी हालिया बैठकों और चीन में अन्य उच्च स्तरीय चर्चाओं को याद किया.
प्रचंड ने शनिवार को हांगझू में एशियाई खेलों के इतर राष्ट्रपति शी से मुलाकात की और बीजिंग की यात्रा की, जहां उन्होंने सोमवार को चीनी प्रधानमंत्री ली के साथ व्यापक बातचीत की.
उनकी उपस्थिति में चीन और नेपाल ने व्यापार और सड़क संपर्क सहित विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए सात समझौता ज्ञापनों सहित 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए.
न्यूयॉर्क से 23 सितंबर को सीधे चीन पहुंचे प्रचंड ने ल्हासा में प्राचीन पोटाला महल और जोखांग मंदिर का दौरा किया. उनके शनिवार को नेपाल लौटने का कार्यक्रम है.