- नेपाल में नई कुमारी देवी आर्यतारा शाक्य का विधिवत अभिषेक प्राचीन अनुष्ठान के तहत किया गया है
- कुमारी देवी चयन में कुल बारह सख्त मानदंडों को पूरा करना अनिवार्य होता है
- चयन प्रक्रिया में बहादुरी की परीक्षा शामिल होती है जिसमें बच्ची को डर न दिखाना होता है.
भारत के पड़ोस देश नेपाल में मंगलवार, 30 सितंबर को नई कुमारी देवी को पूरे विधि-विधान से चुनकर उन्हें सिंहासन पर बैठाया गया. एक समारोह में प्राचीन अनुष्ठान के अनुसार महज ढाई साल की नन्हीं बच्ची 'आर्यतारा शाक्य' का नेपाल की इस जीवित देवी के रूप में अभिषेक किया गया. दरअसल नेपाल में कुमारी प्रथा कई सदी पुरानी है. कुमारी देवी को लोग काठमांडू की संस्कृति का अहम हिस्सा मानते हैं. एक छोटी, सुंदर और शालीन, ऐसा माना जाता है कि अगर ऐसी कुमारी के दर्शन भी किसी को हो जाएं तो वह भी सौभाग्य लेकर आ सकती है.
इससे पहले तृष्णा शाक्य शाही कुमारी देवी थीं. 27 सितंबर 2017 में उन्हें जब इसके लिए चुना गया था तब उनकी उम्र 3 साल थी.
कैसे चुनी गईं नई कुमारी देवी?
नई कुमारी देवी ने चयन प्रक्रिया पास की है जिसमें बहादुरी का पारंपरिक टेस्ट शामिल था. मंगलवार, 30 सितंबर को उन्हें उनके पिता उठाकर तालेजू भवानी मंदिर ले आए, जहां हजारों लोग उसकी एक झलक पाने के लिए कतार में खड़े थे. पांच वरिष्ठ बौद्ध बजराचार्य, मुख्य शाही पुजारी, तालेजू और एक शाही ज्योतिषी कुमारी के चयन के अनुष्ठान की देखरेख करते हैं.
कुमारी देवी चुनने वाली समिति के मेंबर संगरत्ना शाक्य ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया, "कुल बारह मानदंड हैं जिन्हें औपचारिक रूप से कुमारी का अभिषेक करने के लिए पूरा किया जाना है. उन बारह मानदंडों के बाद हमने शाक्य वंश में बच्चों के नाम मांगे, जिनसे कुमारी बनाई गई है. हमने 12 बहल (क्षेत्रों) को नोटिस भेजा. ऐसा कुमारी बनने के योग्य बच्चियों का नाम जमा करने के लिए किया गया. जमा किए गए नामों में से, हमने उनको छांटा जो मानदंडों को पूरा करती हैं. कुमारी के लिए एक नाम की सिफारिश करना हमारा कर्तव्य है. इस बार हमने तीन नामों को छांटा था और मुख्य चयन समिति को भेजा था. सिफारिश की गई बच्चियों में नई कुमारी- आर्यतारा शाक्य भी शामिल हैं. सभी मानदंडों को पूरा करने और आवश्यक योग्यताएं पूरी करने के बाद उनका अभिषेक किया जा रहा है.''
इसके अलावा बच्ची को साहस की परीक्षा से भी गुजरना होता है, जहां उसे कई बलि चढ़ाए गए भैंसों और नकाबपोश लोगों को खून में नाचते हुए दिखाया जाता है. यदि वह डर का कोई लक्षण दिखाती है, तो उसे देवी तालेजू का अवतार बनने के योग्य नहीं समझा जाता है.