- नेपाल में युवा पीढ़ी के आंदोलन ने राजनीतिक अस्थिरता पैदा कर पीएम केपी ओली के इस्तीफे का कारण बना है.
- प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास और संसद भवन को आग के हवाले कर देश में हिंसा की भयावह स्थिति उत्पन्न की.
- केपी ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल में नए नेतृत्व की तलाश शुरू हो गई है जिसमें मेयर बालेन शाह लोकप्रिय हैं.
नेपाल हिंसा की आग में बुरी तरह जल रहा है. सत्ता से लेकर संसद तक की नींव बुरी तरह (Nepal Politics) से हिल गई है. क्या सुप्रीम कोर्ट और क्या पीएम आवास, दो दिन हर तरफ बस हिंसा (Nepal Gen Z Protest) की आग देखी गई. Gen Z के आंदोलन से नेपाल बुरी तरह हिल गया है. यहां पर ऐसी राजनीतिक उथल-पुथल पहले शायद ही कभी देखी गई हो. यह बहस सोशल मीडिया से शुरू हुई थी, जो देखते ही देखते सड़कों पर क्रांति में तब्दील हो गई. वहीं हर कोई कई सरकार की ओर देख रहा है, सत्ता आखिर कौन संभालेगा. कई बड़े सवाल है, जिनका जवाब हर कोई जानना चाहता है.
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नेपाल पर चीन की चुप्पी हैरान कर रही
नेपाल में पिछले दो दिन से जो कुछ भी हो रहा है उस पर चीन की चुप्पी हैरान करने वाली है. केपी ओली के चीन के करीबी माने जाते थे. सत्ता संभालते ही सबसे पहले वह बीजिंग पहुंचे थे, जहां उनका शानदार स्वागत सत्कार हुआ था. अब जब उनकी सरकार में इतना बवाल हुआ तो चीन ने चुप्पी साध ली है. नेपाल में 8 सितंबर से शुरू हुए जेन-जी के विरोध प्रदर्शन पर चीन ने कोई भी आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
क्यों जलने लगा नेपाल, Gen Z क्यों भड़के?
नेपाल सरकार ने भड़काऊ कंटेंट रोके जाने का हवाला देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर बैन क्या लगाया युवाओं में गुस्सा भड़क उठा. उनको लगा कि सरकार ने उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर ही बैन लगा दिया है. उनमें सरकार को लेकर बेहस गुस्सा था. इसकी शुरुआत डिजिटली हुई थी लेकिन फिर इसमें भ्रष्टाचार के आरोप भी शामिल हो गए. फिर नेपाल में कुछ ऐसा हुआ जो पूरी दुनिया ने देखा.
ओली के इस्तीफे के बाद राजनीतिक अस्थिरता
नेपाल के युवाओं का रौद्र रूप देख पीएम केपी ओली इस्तीफा देकर गायब हो गए. वह हेलीकॉप्टर से विदेश रवाना हो गए हों, ऐसा भी हो सकता है. नेपाल से केपी ओली के इस्तीफे ने बांग्लादेश में हुई हिंसा और शेख हसीना के वहां से भागने वाली घटना याद दिला दी. ओली की राजनीति नेपाल में अब खत्म सी मानी जा रही है. अगला पीएम कौन बनेगा, बड़ा सवाल अब यह है.
नेपाल की सत्ता अब किसके हाथ?'
केपी ओली के इस्तीफे के बाद अब सबकी निगाहें इसी बात पर टिकी हैं कि नेपाल की सत्ता अब कौन संभालेगा. नए नेतृत्व की तलाश बड़ा मुद्दा है. इस रेस में काठमांडू के मेयर बालेन शाह का नाम सबसे आगे चल रहा है. युवाओं के बीच वह बहुत ही लोकप्रिय हैं. नेपाल में तमाम सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक के पोस्ट बालेन के समर्थन से अटे पड़े हैं, जिसमें लोग मेयर बालेन से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय नेतृत्व संभालने की मांग कर रहे हैं. Gen Z अपनी टाइमलाइन पर “प्रिय बालेन, अभी नहीं तो फिर कभी नहीं लिखकर उन्हें एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने और देश को नई दिशा देने की गुजारिश कर रहे हैं.
क्या है नेपाल के युवाओं की मांग?
दरअसल इन सभी का मानना है कि नेपाल की तीन प्रमुख पारंपरिक पार्टियों के नेताओं ने देश को निराशा के गर्त में धकेला है. इसलिए अब वो समय है कि बालेन जैसे युवा और ईमानदार नेता सामने आएं और देश की तरक्की की राह को खोले.
आग की लपटों में जला नेपाल, सिंह दरबार पर कब्जा
परिवारवाद और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का गुस्सा कुछ यूं फूटा कि उनके सब्र के सारे बांध पूरी तरह से टूट गए और वह सड़कों पर उतर आए. सोमवार और मंगलवार को नेपाल की सड़कों पर जो दिखा, वह इसी का नतीजा था. गु्स्साए प्रदर्शनकारियों ने पीएम केपी ओली के आवास को आग के हवाले कर दिया. उन्होंने संसद भवन तक को नहीं बख्शा, वहां भी आग लगा दी. इस आग से पूर्व पीएम झालानाथ का घर भी नहीं बच सका. बुरी तरह झुलकर उनकी पत्नी की मौत हो गई. ओली के कई मंत्रियों को भीड़ ने घसीट-घसीटकर पीटा. राष्ट्रपति का आवास भी जला दिया गया. नेपाल में विरोध प्रदर्शन तो पहले भी हुए लेकिन ऐसी उथल-पुथल पहले कभी नहीं देखी गई. नेपाल की सत्ता के केंद्र यानी कि काठमांडू के सिंह दरबार पर भी प्रदर्शनकारियों ने कब्जा जमा लिया. बुधवार का सूरज नेपाल के लिए कौन की नई किरण लेकर आएगा, इस पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं.