NASA ने खोजा एक 'अनोखा द्वीप'...केवल 7 दिन में 6 गुणा बड़ा हुआ आकार

NASA ने बताया है कि "यह द्वीप समुद्र में डूबे ज्वालामुखी के कारण बना है और ऐसे द्वीप कम समय के लिए ही अस्तित्व में आते हैं. हालांकि कई बार वो कई सालों तक बने रहते हैं."

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प्रशांत सागर में ज्वालामुखी (Volcano) फटने के कुछ घंटों बाद एक छोटा द्वीप (New Island) नज़र आया है

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) को ऑस्ट्रेलिया के निकट दक्षिणपश्चिमी प्रशांत सागर में ज्वालामुखी (Volcano) फटने के कुछ घंटों बाद एक छोटा द्वीप नज़र आया है. इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय टोंगा द्वीप में होम रीफ ज्वालामुखी (Home Reef volcano) ने लावा, राख और धुंआ उगलना शुरू किया था. इससे आस पास के पानी का रंग बदल गया था.  लेकिन NASA की धरती पर नज़र रखने वाली कार्यशाला ने बताया है कि  इस ज्वालामुखी में हुए विस्फोट के 11 घंटों बाद ही पानी की सतह पर एक नया द्वीप नज़र आया. इस निगरानी कार्यशाला ने सैटेलाइट के ज़रिए इस द्वीप की तस्वीरें भी खींची हैं.  

NASA की प्रेस रिलीज़ के अनुसार, नया बना द्वीप जल्द ही आकार में बड़ा हुआ. 13 सितंबर को शोधकर्ताओं ने टोंगा के जियोलॉजिकल सर्विस के साथ मिल कर इस द्वीप का इलाका 4000 स्क्वायर मीटर यानि लगभग 1 एकड़ बताया था और इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 10 मीटर यानि करीब 33 फीट बताई गई थी. हालांकि 20 सितंबर को शोधकर्ताओं ने जानकारी दी है कि इस द्वीप का आकार बढ़कार 24000 स्क्वायर मीटर या कहें कि लगभग 6 एकड़ का हो गया है.  

अमेरिकी स्पेस एजेंसी का कहना है कि यह नया द्वीप सेंट्रल टोंगा आइलैंड्स में होम रीफ सीमाउंट के उपर बना है. लेकिन साथ ही यह भी कहा गया कि यह छोटा द्वीप शायद हमेशा यहां नहीं रहेगा.  

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NASA ने बताया है कि "यह द्वीप समुद्र में डूबे ज्वालामुखी के कारण बना है और ऐसे द्वीप कम समय के लिए ही अस्तित्व में आते हैं. हालांकि कई बार वो कई सालों तक बने रहते हैं."

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आगे नासा की ओर से जानकारी दी गई है कि पास ही में लाटेइकी ज्वालामुखी(nearby Late'iki Volcano ) के 12 दिन तक फटने के कारण 2020 में एक द्वीप बना था लेकिन फिर यह दो महीने में ही बह गया. जबकि 1995 में इसी ज्वालामुखी के कारण बना एक द्वीप 25 साल तक रहा था.  
 

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