करीब दो महीने पहले भारत में आधिकारिक तौर पर मंकीपॉक्स (Monkeypox) का पहला मामला सामने आया. ब्लूमबर्ग के अनुसार, मुंबई के डॉक्टर ईश्वर गिलाडा ने अपने दो मरीजों से टेस्ट कराने की अपील की थी, दोनों- एक गे और एक बाइसैक्शुअल पुरुष ने मना कर दिया, हालांकि उनके सैक्शुअल पार्टनर्स को मंकीपॉक्स हो गया था. डॉ गिलाडा ने 1986 में भारत में एड्स का पहला क्लीनिक खोला था, उन्होंने समझा कि आगे क्या चुनौतियां आ सकती हैं. दुनिया के उन हिस्सों में जहां LGBTQ लोगों को लांछन और पक्षपात का सामना करना पड़ता है. मरीज उन बीमारियों की टेस्टिंग या इलाज नहीं कराना चाहते जो गे या बाइसेक्शुअल होने के साथ जुड़ी हैं. वो भारत का पहला मंकीपॉक्स का मामला नहीं बनना चाहते थे. गिलाडा ने कहा, वो अंडरग्राउंड हो गए.
मई के बाद से मंकीपॉक्स से 28,000 लोग प्रभावित हुए हैं और जबकि यह हर प्रकार के करीबी कॉन्टैक्ट से फैल सकता है. अमेरिका में जहां बीमारी की जानकारी उपलब्ध है, वहां 94% मामले पुरुषों के पुरुषों संग अंतरंग संबंध बनाने से हुए हैं. लक्षण आने से तीन हफ्ते पहले ये संबंध बनाए गए. सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल एंड प्रिवेंशन ने शुक्रवार को यह जानकारी दी. global.health के अनुसार भारत में मंकीपॉक्स का आधिकारिक आंकड़ा 9 है.
सामाजिक लांछन
विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल ट्रेड्रोस एधनोम घेब्रिएसिस (Tedros Adhanom Ghebreyesus ) ने चेतावनी दी है कि ऐसे देशों मे जहां समलैंगिकता और जान को खतरे में डालने वाले पक्षपात का डर हो, कई लोग मदद के लिए आगे नहीं आते. इसके कारण संक्रण को ट्रैक करना और रोकना बहुत कठिन हो जाता है."
भारत में, सामाजिक बदनामी का मामला एक प्रमुख सामाजिक रुकावट है. भारत में साल 2018 में समलैंगिकता को अपराध मुक्त घोषित किया था. उसी साल कलकत्ता मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने कलकत्ता में 290 छात्रों का एक सर्वे किया था कि समलैंगिकता को लेकर लोगों का रुख सकारात्मक था. 16% लोगों को लगता था कि समलैंगिकता कोई बीमारी है, और 27% ने इसे दूसरों से लिए गए व्यवहार की तरह देखा."