पाकिस्तान : धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के आरोप में युवक की पत्थरों से कुचलकर हत्या, पेड़ पर लटकाया

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पुलिस की एक टीम घटना से पहले ही गांव पहुंच गई थी, लेकिन भीड़ ने पीड़ित को थाना प्रभारी की हिरासत से छुड़ाकर पेड़ से बांध दिया, जिसके बाद उसकी पत्थर मार-मारकर हत्या कर दी गई.

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लाहौर/इस्लामाबाद:

पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के एक सुदूर गांव में भीड़ ने एक धार्मिक पुस्तक की कथित बेअदबी के आरोप में एक विक्षिप्त अधेड़ व्यक्ति की पत्थर मार-मारकर हत्या कर दी और उसका शव पेड़ से लटका दिया. प्रत्यक्षदर्शियों ने रविवार को यह जानकारी दी. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि घटना शनिवार शाम लाहौर से 275 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जंगल डेरा गांव में हुई, जहां स्थानीय लोग अपनी मगरिब की नमाज के बाद इस घोषणा के मद्देनजर इकट्ठा हुए थे कि एक व्यक्ति ने पवित्र कुरान के पन्ने फाड़कर उन्हें आग लगा दी है. प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, पुलिस की एक टीम घटना से पहले ही गांव पहुंच गई थी, लेकिन भीड़ ने पीड़ित को थाना प्रभारी की हिरासत से छुड़ाकर पेड़ से बांध दिया, जिसके बाद उसकी पत्थर मार-मारकर हत्या कर दी गई.

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उन्होंने बताया कि पीड़ित ने बेकसूर होने का दावा किया था, लेकिन गुस्साई भीड़ ने उसकी एक न सुनी और तब तक पत्थर बरसाए, जब तक उसकी मौत नहीं हो गई. पुलिस अधिकारी मुहम्मद अमीन ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि जंगल डेरावाला गांव की मस्जिद शाहमुकीम मुआजा में 300 से अधिक लोग जमा हुए थे, जहां उन्होंने एक अधेड़ व्यक्ति को पत्थर से मारने से पहले उसे रस्सी से बांध दिया था. बाद में उन्होंने उसके शव को एक पेड़ से लटका दिया.

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अमीन ने कहा कि शव को पेड़ से नीचे उतारने की कोशिश कर रहे दो पुलिसकर्मी उस समय घायल हो गए, जब भीड़ ने उन पर पथराव शुरू कर दिया.

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उन्होंने कहा, ‘पुलिस ने घायल व्यक्ति को हिरासत में लेने की कोशिश की, लेकिन भीड़ हमारी संख्या से कहीं अधिक थी और उन्होंने उसे मार डाला. भीड़ ने धार्मिक नारे लगाए और पीड़ित के शव को पेड़ से नीचे उतारने की कोशिश कर रहे दो पुलिसकर्मियों पर हमला कर दिया. जब अतिरिक्त पुलिस बल गांव पहुंचे, तब उन्होंने शव को मुर्दाघर में स्थानांतरित किया.'

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‘बीबीसी उर्दू' के मुताबिक, मृतक की पहचान बारा चक गांव निवासी मुश्ताक अहमद के रूप में हुई है. ग्रामीणों की मानें तो वह मानसिक रूप से विक्षिप्त था.

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धार्मिक सद्भाव पर पाक प्रधानमंत्री के विशेष प्रतिनिधि हाफिज मोहम्मद ताहिर अशरफी ने घटना की निंदा की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. उन्होंने कहा कि पीड़ित दिमागी रूप से स्वस्थ नहीं था और लगभग 15 वर्षों से मानसिक बीमारी से जूझ रहा था. यह दर्दनाक घटना ईशनिंदा के आरोपों को लेकर पाक पंजाब में एक कट्टरपंथी इस्लामी पार्टी के नाराज समर्थकों द्वारा सियालकोट की एक कपड़ा फैक्टरी में काम करने वाले श्रीलंकाई कर्मचारी को मारकर जला देने के लगभग दो महीने बाद सामने आई है.

पाक पंजाब के पुलिस महानिरीक्षक राव सरदार अली खान ने मुख्यमंत्री उस्मान बुजदार को रविवार की घटना की प्रारंभिक रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट के अनुसार, 33 संदिग्धों और 300 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है और मामले में जघन्य अपराध व आतंकवाद से संबंधित धाराएं भी शामिल की गई हैं.

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मुख्यमंत्री ने न्याय की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने का निर्देश जारी करते हुए कहा कि किसी को भी कानून को हाथ में लेने की इजाजत नहीं दी जाएगी. पंजाब पुलिस के मुताबिक, 300 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिनमें से 15 प्रमुख संदिग्धों सहित 85 को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है और बाकी दोषियों को पकड़ने के लिए छापेमारी जारी है.

अधिकारियों ने बताया कि पुलिस अधिक संदिग्धों की पहचान के लिए उपलब्ध फुटेज का फॉरेंसिक विश्लेषण करेगी. उधर, पाक प्रधानमंत्री इमरान खान ने रविवार को इस घटना पर दुख जताया और कहा कि भीड़ हत्या में शामिल दोषियों के साथ-साथ ‘अपने कर्तव्यों के निर्वहन में नाकाम' पुलिसकर्मियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी.

इमरान ने ट्वीट किया, ‘कानून को अपने हाथ में लेने वाले किसी भी व्यक्ति के प्रति हमारी ‘जीरो टॉलरेंस' की नीति है और भीड़ हत्या से पूरी सख्ती से निपटा जाएगा.'

पाक प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने पंजाब प्रांत के पुलिस प्रमुख से भीड़ हत्या के दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट मांगी है. पाकिस्तान की मानवाधिकार मंत्री शिरीन माजरी ने घटना की निंदा की और कहा कि ‘इसके दोषियों को बख्शा नहीं जाना चाहिए.'

उन्होंने कहा, ‘पंजाब सरकार को इस घटना को देखने वाली पुलिस और दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए. कानून मौजूद हैं. पुलिस को इन कानूनों को लागू करना चाहिए और भीड़ को अपने हिसाब से चलने की इजाजत नहीं देनी चाहिए.'

पाकिस्तान में इस्लाम का अपमान करने के खिलाफ बेहद सख्त कानून मौजूद है, जिनके तहत दोषी को मौत की सजा तक देने का प्रावधान है. नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि इन कानूनों का इस्तेमाल अक्सर बदला लेने के लिए किया जाता है.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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