लंदन (London) में दो मई को मेयर का चुनाव (Mayor elections) हो रहा है. लंदन के मेयर का पद काफी अहम है. लंदन में रहने वाले लाखों लोगों के रहन सहन से संबंधित तमाम फैसले मेयर के हाथ में ही होते हैं, इसलिए इस चुनाव की चर्चा दुनिया भर में रहती है. इस बार के चुनाव में कुल 13 उम्मीदवार हैं. लेबर पार्टी की तरफ से जहां सादिक खान एक बार फिर मैदान में हैं वहीं कंजरवेटिव पार्टी की तरफ से सुसान हाल उम्मीदवार बनाई गई हैं. मुख्य मुकाबला इन दोनों के बीच ही बताया जा रहा है. लेकिन इस मेयर चुनाव में भारतीय मूल के एक उम्मीदवार तरुण गुलाटी (Tarun Gulati) भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. तरुण गुलाटी एक इन्वेस्टमेंट बैंकर और बिजनेसमैन हैं.
गौरतलब है कि सादिक खान 2016 से लंदन के मेयर हैं. सादिक खान पाकिस्तान मूल के ब्रिटिश हैं. उनके पिता पहले लखनऊ से पाकिस्तान गए थे और फिर इंग्लैंड. जबकि तरुण गुलाटी के पिता भारत सरकार में उच्च अधिकारी थे. तरुण गुलाटी का जन्म भारत में हुआ. उनकी पढ़ाई लिखाई भी यहीं हुई और 35 साल भारत में बिताने के बाद वे इंग्लैंड गए जहां इंवेस्टमेंट बैंकर और बिजनेसमैन के तौर पर अपनी पहचान बनाई.
पाकिस्तानी मूल के सादिक खान और भारतीय मूल के तरुण गुलाटी की उम्मीदवारी की वजह से लंदन मेयर चुनाव को भारत और पाकिस्तान के बीच मैच के तौर पर भी देखा जा रहा है. हालांकि तरुण गुलाटी को कितने वोट मिलेंगे, यह अलग बात है, लेकिन वे अपने खुद के सबसे सक्षम और अनुभवी उम्मीदवार होने का दावा कर रहे हैं. पिछले साल नवबंर में जब वे दिल्ली आए थे तो एनडीटीवी से खास बातचीत में उन्होंने बताया था कि उनकी योजना क्या है, अगर लंदन के मेयर चुने जाते हैं तो वे किस तरह की नीति अपनाएंगे. इसके लिए उन्होंने सिटी प्लानिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम तक में सुधार की जरूरत बताई. यही उनके एजेंडे पर है.
तरुण गुलाटी अपने भारतीय होने का खूब जिक्र करते हैं और खुद के हिन्दू होने पर गर्व जताते हैं. जाहिर सी बात है कि उनकी नजर भारतीय मूल के लंदन वासियों के वोटों पर है. लंदन में करीब 60 लाख पंजीकृत मतदाता हैं. इनमें भारतीय मूल के लोगों का वोट महज 5 फीसदी है. लेकिन तरुण गुलाटी को लगता है कि भारतीय मूल के साथ-साथ उनको बाकी लंदन वासियों के भी वोट मिलेंगे. वे सादिक खान को कई मोर्चों पर पूरी तरह से फेल बताते हैं. वे कहते हैं कि लंदन में रहना काफी महंगा हो गया है. अपराध दर काफी बढ़ी है. यातायात बड़ी समस्या है और इस वजह से लंदन वासी उनको वोट करेंगे. वे खुद को लंदन में बदलाव के लिए खड़ा उम्मीदवार बताते हैं.
दूसरी तरफ सादिक खान 2016 और 2020 में मेयर चुने जा चुके हैं. वे तीसरी बार लंदन का मेयर चुने जाने की कोशिश में हैं. लंदन में वायु प्रदूषण पर किए गए अपने काम को वे अपनी उपलब्धि के तौर पर देखते हैं. लंदन में नेचर रेस्टोरेशन और 2030 तक नेट जीरो की तरफ ले जाने के प्रयासों की भी चर्चा की जा रही है. पर्यावरण संबंधी नीतियों के आधार पर उनको कंजरवेटिव पार्टी की उम्मीदवार सुसान हाल से काफी आगे बताया जा रहा है. लंदन को साफ सुथरा और हराभरा बनाने का मुद्दा एक बहुत ही अहम चुनावी मुद्दा है. मेयर चुनाव को लेकर कराए गए एक सर्वे में सादिक़ खान को 47 फीसदी लोगों का समर्थन मिला जबकि सुसान हाल को सिर्फ़ 25 फ़ीसदी.
इस साल लंदन में मेयर चुनाव First past the post सिस्टम से कराए जा रहे हैं. इसमें वोटर सिर्फ एक उम्मीदवार को वोट डालते हैं और जिसे सबसे अधिक वोट मिलता है वह जीतता है. पहले सप्लीमेंटरी वोटिंग सिस्टम था जिसमें वोटर अपनी पहली और दूसरी पसंद के तौर पर वोट डालते थे. लेकिन अगर किसी को 51 फ़ीसदी वोट नहीं मिलते थे तो दो सबसे अधिक वोट पाने वाले उम्मीदवारों के बीच मुकाबला होता था. उनमें से जिसे 51 फीसदी वोट मिलते थे वह जीतता था. इस बार First past the post अपनाकर चुनाव प्रक्रिया को आसान कर दिया गया है.