भारत और मालदीव के बीच चल रहे विवाद के बीच, मालदीव में विपक्षी नेता और मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (Maldivian Democratic Party) के नेता फैयाज इस्माइल (Fayyaz Ismail) ने कहा है कि मालदीव की सरकार को भारत के साथ रिश्ते को ठीक करने के लिए और अधिक कड़े कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया की पहुंच के कारण मालदीव के कुछ नेताओं द्वारा पीएम मोदी को लेकर की गयी टिप्पणी भारत तक भी पहुंच गयी और इसका असर मालदीव और भारत के रिश्तों पर पड़ रहा है.
सोशल मीडिया के कारण बातें तेजी से फैलती हैं
फैयाज इस्माइल ने कहा कि मेरा निजी तौर पर मानना है कि सरकार को इस पर कड़ा रुख अपनाना चाहिए. अब, सोशल मीडिया की आसान पहुंच के कारण, कोई भी बातें बहुत जल्दी लोगों तक पहुंच जाती है और इसका गलत असर पड़ता है. दोनों तरफ से लोग इस बहस में कूद जाते हैं. यही कारण है कि सरकार को यह दिखाने की ज़रूरत है कि सरकार की ओर से ऐसा कोई इरादा नहीं था. ये केवल उन लोगों की अलग-अलग व्यक्तिगत राय थीं. जो दुर्भाग्य से प्रमुख पदों पर बैठे थे.
लंबे समय में दोनों देशों के रिश्ते बने हैं
विपक्षी नेता ने कहा कि "भारत और मालदीव के बीच इस रिश्ते को बहुत परिपक्व नेताओं, हमारे देश के पूर्व नेताओं और आपके द्वारा भी लंबे समय से पोषित और बढ़ावा दिया गया है. इसलिए सिर्फ एक या दो ट्वीट के कारण इस पूरे रिश्ते को पटरी से उतारना बहुत दुखद है. मालदीव के नेता ने कहा कि मुख्य समस्या यह है कि यह विवाद सरकारों से परे चला गया है. सरकारों में हमेशा झगड़े होते रहेंगे लेकिन यह मामला आम लोगों तक पहुंच गया है. उन्होंने आगे कहा कि उन्हें इस बात की अधिक चिंता है कि रिश्ते में जो गिरावट आयी है उसे कैसे दूर किया जाए.
भारतीय नेताओं से उम्मीद है कि वो संयम बरतेंगे
उन्होंने एएनआई को बताया कि बिगड़े हुए रिश्ते को ठीक करने के लिए हमारी तरफ से मजबूत कदम उठाने की जरूरत है. फैयाज इस्माइल ने कहा कि हमें भारतीय नेताओं से भी उम्मीद है कि वो इसे फैलने से रोकने में मदद करेंगे. और भारत की तरफ से भी संयम बरता जाएगा. मालदीव को भारत द्वारा प्रदान की गई सहायता और सहायता के संदर्भ में, उन्होंने कहा, "हां, भारत न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक विकास के मामले में भी मालदीव का एक बहुत मजबूत विकास भागीदार रहा है. साथ ही अंतर्राष्ट्रीय स्पेक्ट्रम में मालदीव भारत का एक मजबूत और कट्टर सहयोगी रहा है. इसलिए यह एक ऐसा रिश्ता है जो पारस्परिक है.
दोनों देशों को एक दूसरे की जरूरत
उन्होंने कहा कि हां, कुछ लोग, दोनों देशों के राष्ट्रवादी लोग, कह सकते हैं कि मालदीव अपने दम पर रह सकता है., हम भारत के बिना सबकुछ कर सकते हैं. वहीं भारतीय कह सकते हैं कि आप बहुत छोटा देश हैं. लेकिन नहीं, यह सही दृष्टिकोण सही नहीं है. हम भी यहीं रहेंगे और भारत भी वहीं रहेगा. इसलिए हमें मिलकर काम करने की जरूरत है, जिसमें हमारी सरकारें और हमारे लोग भी शामिल हैं.
राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की चीन यात्रा पर क्या कहा?
इस बीच, मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की हालिया चीन यात्रा पर, जहां वह शी जिनपिंग से मिलेंगे और प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे, मालदीव के विपक्षी नेता ने कहा कि मालदीव में राजनीतिक स्पेक्ट्रम और राजनीतिक दलों में बदलाव के साथ, हमेशा बदलाव होते रहे हैं. इसमें हमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान सरकार के चीन के साथ अधिक अनुकूल या अधिक मजबूत संबंध हैं. मालदीव ने हमेशा इज़राइल को छोड़कर सभी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखा है. उन्होंने कहा कि अब तक मालदीव में सभी दलों ने इंडिया फर्स्ट नीति बनाए रखी है, और यह हमारी सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी विदेश नीति को और अधिक सही करने की जरूरत है.
मालदीव के मंत्रियों के बयान पर भारत में आक्रोश देखने को मिला है
बताते चलें कि मालदीव के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणियों की भारत में आलोचना हुई है. कई मशहूर हस्तियों ने ‘एक्स' पर लोगों से मालदीव जाने के बजाय घरेलू पर्यटन स्थलों पर जाने का आग्रह किया है.सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट भी किए गए जिनमें दावा किया गया कि विवाद के मद्देनजर कुछ भारतीय मालदीव की अपनी निर्धारित यात्रा रद्द कर रहे हैं. भारत में मालदीव के राजदूत को सोमवार को विदेश मंत्रालय में तलब किया गया और मालदीव के कई मंत्रियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई टिप्पणियों पर कड़ी चिंता व्यक्त की गई थी.
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