'यूरोप की तरह भारत भी अपने हितों का खयाल रख रहा है': DAVOS में रूस से तेल आयात पर बोले पीयूष गोयल

रूस से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में भारत की महत्वपूर्ण वृद्धि की रिपोर्ट पर, पीयूष गोयल ने कहा, "हम रूस से पेट्रोलियम उत्पादों के बहुत बड़े आयातक कभी नहीं रहे हैं."

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दावोस में विश्व आर्थिक मंच में बोलते हुए, मंत्री ने कहा कि प्रत्येक देश को अपने राष्ट्रीय हितों की देखभाल करनी होगी
दावोस:

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने उन सभी बातों को खारिज किया है, जिसमें कहा गया है कि भारत रूस से आयात में उल्लेखनीय वृद्धि कर रहा है. दावोस में विश्व आर्थिक मंच पर बोलते हुए, मंत्री ने कहा कि प्रत्येक देश को अपने राष्ट्रीय हितों की देखभाल करनी होगी. हमारे हित या ज़रूरतें यूरोपीय देशों से अलग नहीं हैं. उन्होंने कहा कि भारत हमेशा अपनी पेट्रोलियम आवश्यकताओं के लिए विविध स्रोतों को देखता है. मौजूदा स्थिति में, जब मुद्रास्फीति एक उच्च स्तर पर है, जिससे दुनिया भर में चिंता है, यूरोपीय संघ और यूरोपीय देशों ने भारत की तुलना में बड़ी मात्रा में खरीद जारी रखी है.

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रूस से पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में भारत की महत्वपूर्ण वृद्धि की रिपोर्ट पर, उन्होंने कहा, "हम रूस से पेट्रोलियम उत्पादों के बहुत बड़े आयातक कभी नहीं रहे हैं." उन्होंने कहा, "कोई भी सुझाव कि भारत रूस से आयात बढ़ा रहा है या स्थिति में योगदान दे रहा है, जांच के लायक नहीं है." मंत्री ने कहा कि भारत रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने वाले मौजूदा ढांचे के भीतर है. भारत, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता और आयातक, अपने तेल का 80 प्रतिशत आयात करता है, लेकिन उन खरीद में से केवल एक मामूली राशि रूस से आती है.  यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर रूसी संस्थाओं पर पश्चिमी प्रतिबंधों के बाद, भारत ने कुछ मिलियन बैरल रूसी कच्चे तेल को रियायती दर पर खरीदा था. भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद की आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया में, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पिछले महीने कहा था कि भारत की एक महीने के लिए रूसी तेल की कुल खरीद यूरोप की तुलना में कम थी.

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने बुधवार को सरकार के गेहूं और चीनी के निर्यात को नियंत्रित करने के कदमों का बचाव करते हुए कहा कि ये उपाय घरेलू जरूरतों को ध्यान में रखकर किया गया है. उन्होंने कहा कि इस कदम का मकसद जमाखोरी को रोकना और सट्टेबाजों पर अंकुश लगाना है, जिन्होंने संभवत: गरीब देशों को ऊंचे दाम पर जिंसों की बिक्री कर फायदा उठाया है. विश्व आर्थिक मंच की बैठक में इस बारे में पूछे जाने पर गोयल ने कहा कि इस मुद्दे पर काफी भ्रम फैलाया जा रहा है. मंत्री ने कहा, ‘‘हमारा ज्यादातर गेहूं गरीब देशों को भेजा जाता है. दुर्भाग्य की बात है कि पिछले साल मौसम की समस्या रही जिससे हमारे गेहूं उत्पादन में बड़ी गिरावट आई और हमें अपने सुरक्षित खाद्यान्न भंडार से इसे निकालना पड़ा है.

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