विवादों में रहे एंकर टकर कार्लसन हुए फॉक्‍स न्‍यूज से बाहर, भारत पर भी की थी विवादित टिप्‍पणी

अमेरिकी मीडिया के चर्चित न्‍यूज एंकर टकर कार्लसन का फॉक्‍स न्‍यूज से नाता टूट गया है. वह लगभग एक दशक तक इस चैनल के साथ रहे और वे इसका चेहरा बन गए थे. कार्लसन को 'कॉन्सिपैरिसी थ्योरीज' को विश्वसनीयता देने में महारथ हासिल है, जिसकी वजह से काफी विवादों में रहे हैं.

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नई दिल्‍ली:

अमेरिका के सबसे बड़े न्यूज चैनलों में से एक 'फॉक्स न्यूज' में प्रमुख शो के एंकर टकर कार्लसन इस समय चर्चा में हैं. फॉक्‍स न्‍यूज का पिछले कई सालों से चेहरा रहे टकर कार्लसन ने चैनल से अपना नाता तोड़ लिया है. ये मीडिया इंडस्‍ट्री के लिए बेहद चौंकाने वाली खबर है. दरअसल, किसी ने कल्‍पना भी नहीं की थी कि टकर कार्लसन कभी फॉक्‍स न्‍यूज से अलग हो जाएंगे. शायद यही वजह है कि टकर कार्लसन के फॉक्‍स न्‍यूज से अलग होने के बाद चैनल की पेरेंट कंपनी के शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई, जिससे कंपनी को लगभग 41 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. वैसे, बता दें कि अब तक टकर कार्लसन और फॉक्स न्यूज ने इस इस्तीफे की वजह नहीं बताई है.

टकर कार्लसन का विवादों से रहा है पुराना नाता
फॉक्स न्‍यूज ने पिछले हफ्ते ही मानहानि के मामले में एक वोटिंग मशीन कंपनी को 64 हजार करोड़ रुपये देकर सेटलमेंट किया था. ये मामला भी टकर कार्लसन की एक न्‍यूज से जुड़ा था. ऐसे में शायद ही किसी ने सोचा होगा कि टकर कार्लसन, फॉक्‍स न्‍यूज को छोड़ने का फैसला लेंगे. विवादों से टकर कार्लसन का पुराना नाता रहा है. वह भारत में अंग्रेजों के शासन से लेकर अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुनाव में धांधली तक का आरोप लगा चुके हैं. टकर कार्लसन ने अपनी एक खबर में दावा किया था कि राष्‍ट्रपति चुनाव में वोटिंग मशीन में गड़बड़ी हुई. कहा जाता है कि टकर कार्लसन के इन दावों के ही बाद डोनाल्‍ड ट्रम्प के समर्थकों ने 6 जनवरी 2020 को व्हाइट हाउस पर हमला किया था. 

कार्लसन को 'कॉन्सिपैरिसी थ्योरीज' को विश्वसनीयता देने में महारथ
टकर कार्लसन को षड्यंत्र की कहानियों (कॉन्सिपैरिसी थ्योरीज) को विश्वसनीयता देने में महारथ हासिल है. उन पर अपने ऐसे शो के जरिए समाज के एक तबके के खिलाफ गुस्सा भड़काने के भी आरोप लगते रहे हैं. टकर कार्लसन की इस रणनीति का विरोध या बहिष्‍कार करने के बजाय दूसरे न्यूज चैनल भी आक्रोश भड़काने की रणनीति अपनाने पर मजबूर हो गए थे. दरअसल, एक रिपोर्ट के मुताबिक, टकर कार्लसन के शो को औसतन रोज रात को 30 लाख से ज्‍यादा दर्शक देखते थे. वहीं,  फॉक्स के प्रतिद्वंद्वी न्यूज चैनलों के उस टाइम स्लॉट में औसत दर्शक संख्या 10 लाख से भी कम रहते थे. यही, वजह रही कि टकर कार्लसन की शैली को दूसरे न्‍यूज चैनलों ने भी अपनाया.  

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फॉक्‍स न्‍यूज को मानहानि केस में देने पड़े 64 हजार करोड़ रुपये
फॉक्‍स न्‍यूज को टकर कार्लसन की वजह से पिछले दिनों काफी मुश्किल दौर का सामना करना पड़ा. दरअसल, कार्लसन को डोनाल्‍ड ट्रंप का समर्थक माना जाता रहा है और इस समय अमेरिका में जो बाइडन की सरकार है. अलजजीरा की रिपोर्ट के मुताबिक, फॉक्स न्यूज ने 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के दौरान धोखाधड़ी होने के दावे किए थे, जिनमें वोटिंग मशीन में गड़बड़ी करने के आरोप थे. इस कंपनी ने भी फॉक्‍स न्‍यूज पर मानहानि का मामला दर्ज कर दिया था. इस मामले की सेटेलमेंट के लिए फॉक्‍स न्‍यूज को लगभग 64 हजार करोड़ रुपये देने पड़े. बताया जा रहा है कि ये भी टकर कार्लसन के फॉक्‍स न्‍यूज से अलग होने की वजह बनी.  

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भारत पर अंग्रेजी शासन की प्रशंसा की थी...
टकर कार्लसन ऐसे एंकर रहे हैं, जिनके शो से कब कोई विवाद खड़ा हो जाए, ये कहा नहीं जा सकता था. एक बार उन्‍होंने भारत में अग्रेजों के शासन की प्रशंसा की थी. दरअसल, 2022 में जब ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ का निधन हुआ, तब फॉक्‍स न्‍यूज पर एक डिबेट चल रही थी. इस दौरान टकर कार्लसन ने कहा कि भारत में अंग्रेजों के शासन को जनसंहार से बढ़ कर देखा जाना चाहिए. फिर ताकतवर देश, तो अकसर कमजोर देशों पर राज करते ही रहे हैं. ये चलन अब तक नहीं बदला है. टकर कार्लसन के इस बयान के बाद भारतीयों ने उनका काफी विरोध किया था.  

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