परवेज मुशर्रफ को चुनौती देने वाले जस्टिस उमर अता पाकिस्तान के नए चीफ जस्टिस होंगे

न्यायमूर्ति बंदियाल उन न्यायाधीशों में शामिल थे, जिन्होंने वर्ष 2007 में पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ की ओर से देश में आपातकाल की घोषणा के बाद दोबारा शपथ लेने से इनकार कर दिया था.

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न्यायमूर्ति बंदियाल 16 सितंबर, 2023 तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देंगे
इस्लामाबाद:

जस्टिस उमर अता बंदियाल पाकिस्तान के नए मुख्य न्यायाधीश होंगे. न्यायमूर्ति बंदियाल उन न्यायाधीशों में शामिल थे, जिन्होंने वर्ष 2007 में पाकिस्तानी सैन्य शासक जनरल परवेज मुशर्रफ की ओर से देश में आपातकाल की घोषणा के बाद दोबारा शपथ लेने से इनकार कर दिया था. पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने सोमवार को औपचारिक रूप से शीर्ष अदालत के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति बंदियाल को देश का अगला मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया. आगामी 2 फरवरी, 2022 को मुख्य न्यायाधीश गुलजार अहमद की सेवानिवृत्ति के बाद 63 वर्षीय न्यायमूर्ति बंदियाल नई जिम्मेदारी संभालेंगे. इसके पहले न्यामूर्ति अहमद को 21 दिसंबर, 2019 को मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था.

सोमवार को जारी आधिकारिक अधिसूचना में कहा गया, ‘‘संविधान के अनुच्छेद 177 और अनुच्छेद 175 (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों के तहत इस्लामी गणराज्य पाकिस्तान के राष्ट्रपति न्यायमूर्ति उमर अता बंदियाल के पाकिस्तान का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त होने पर खुश हैं. सर्वोच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश बंदियाल की नियुक्ति 2 फरवरी, 2022 से प्रभावी होगी.'' 

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न्यायमूर्ति बंदियाल 16 सितंबर, 2023 तक मुख्य न्यायाधीश के रूप में अपनी सेवा देंगे. वह उन न्यायाधीशों में से एक थे जिन्होंने नवंबर 2007 के अनंतिम संवैधानिक आदेश (पीसीओ) के तहत अपनी शपथ फिर से लेने से इनकार कर दिया था, जब जनरल मुशर्रफ ने 3 नवंबर, 2007 को आपातकाल की घोषणा कर दी थी.

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पाकिस्तान में न्यायपालिका और संवैधानिक शासन बहाल करने के लिए वकीलों और नागरिक समाज द्वारा चलाए गए एक अभूतपूर्व आंदोलन के बाद न्यायमूर्ति बंदियाल को लाहौर उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में बहाल किया गया था.

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पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति बंदियाल को अकेले सर्वोच्च अदालत में लंबित लगभग 51,766 मामलों के अंबार का सामना करना पड़ेगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की न्यायपालिका में (उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों को मिलाकर) लंबित मामलों की कुल संख्या 21 लाख है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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