अमेरिकी सेना के नेटवर्क में घुसा चीन का वायरस, जंग के समय ऑपरेशन को कर सकता है कंट्रोल

व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को इस मामले में एक बयान जारी किया था. हालांकि, उसमें चीन का जिक्र नहीं था. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एडम होज ने कहा था- 'सरकार बिना रुके अमेरिका के अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर रेल, वॉटर सिस्टम, एविएशन को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.'

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चीनी वायरस के जरिए अमेरिकी सेना की तैनाती, सप्लाई में देरी हो सकती है.
नई दिल्ली:

अमेरिका और चीन के बीच तल्खियां लगातार बढ़ती जा रही हैं. इस बीच अमेरिका को अपनी सेना के टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम में चीनी वायरस होने की खुफिया जानकारी मिली है. इसके बाद से अमेरिका अपनी सेना के नेटवर्क में चीन के वायरस को ढूंढ रही है. जो बाइडेन सरकार को डर है कि चीन ने अमेरिका की सेना के पावर ग्रिड, कम्युनिकेशन सिस्टम और वाटर सप्लाई नेटवर्क में एक कम्प्यूटर कोड (वायरस) फिट कर दिया है. ये वायरस जंग के दौरान उनके ऑपरेशन को ठप या कंट्रोल कर सकता है.

न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडन सरकार को डर है कि चीन का ये कोड न सिर्फ अमेरिका, बल्कि दुनियाभर में मौजूद उनके मिलिट्री बेस के नेटवर्क में हो सकता है. अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, असल में ये एक मालवेयर कंप्यूटर वायरस है, जो मिलिट्री, इंटेलिजेंस और नेशनल सिक्योरिटी के सिस्टम में फिट कर दिया गया है. एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि मिलिट्री के नेटवर्क में चीन का कोड होना किसी 'टाइम बम' के जैसा है. उनका कहना है कि इससे न सिर्फ सेना के ऑपरेशन पर असर पड़ेगा, बल्कि उन घरों और व्यापार पर भी होगा जो सेना के इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़े हैं.

अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक, इस चीनी वायरस के जरिए अमेरिकी सेना की तैनाती, सप्लाई में देरी हो सकती है. क्योंकि ये कम्युनिकेशन लाइन पर असर डाल सकते हैं, जिसके कारण समय पर अहम जानकारियां नहीं मिल पाएंगी. साथ ही बिजली-पानी की सप्लाई भी रुक सकती है.

व्हाइट हाउस ने शुक्रवार को इस मामले में एक बयान जारी किया था. हालांकि, उसमें चीन का जिक्र नहीं था. नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के प्रवक्ता एडम होज ने कहा था- 'सरकार बिना रुके अमेरिका के अहम इन्फ्रास्ट्रक्चर रेल, वॉटर सिस्टम, एविएशन को बचाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है.'

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अमेरिका के टेलीकम्युनिकेशन सिस्टम में इस तरह का कोई वायरस है, इसका साफ अंदाजा इस साल मई में हुआ. मई में माइक्रोसॉफ्ट ने पैसिफिक आइलैंड के गुआम में स्थित विशाल अमेरिकी एयरबेस के 'टेली कम्युनिकेशन सिस्टम' में संदिग्ध वायरस पाया. जांच में पता चला कि ये वायरस काफी वक्त से सिस्टम में है और ज्यादा फैला हुआ है. हालांकि, इस वायरस को छिपाने में सारे सिस्टम किस हद तक कॉमप्रोमाइज़ हुए हैं, ये साफ नहीं हो पाया है. अमेरिकी मीडिया के मुताबिक, इस पूरे मामले पर अहम बैठकें हो रही हैं. अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों, कुछ गवर्नर और सुविधाओं से जुड़ी कंपनियों को ज़रूरी जानकारी दी जा रही है. 

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जासूसी के आरोपों को लेकर पहले से ही अमेरिका और चीन के रिश्तों में काफी तनाव है. इससे पहले अमेरिका का एयरस्पेस में चीनी गुब्बारे देखे गए थे, जिसे अमेरिकी आर्मी ने मार गिराया था. लेकिन जानकार मानते हैं कि इस बार मामला अलग है. ये मामला खुफिया जानकारी जुटाने का नहीं, बल्कि आर्मी एक्टिविटी में दखलंदाज़ी का है और ये खतरनाक माना जा रहा है. 

इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि क्या मामला ताइवान पर हमले की तैयारी का है. अगर ऐसा है तो निश्चित तौर पर अमेरिकी सैन्य कार्रवाई और मदद में देरी चीन के हक में जाएगी. पिछले कुछ वक्त में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ये कई बार बोल चुके हैं कि जरूरत पड़ने पर अमेरिका ताइवान की सैन्य मदद करेगा. इन सब जानकारी के बाद भी ये साफ नहीं है कि आखिर ये वायरस कितना घातक हो सकता है.

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