ईरान के स्टेट टेलीविज़न - इस्लामिक रिपब्लिक ब्रॉडकास्टिंग ऑरगेनाइज़ेशन (IRIB) के प्रमुख डॉ पेमन जबेली भारत में थे और प्रेस से एक बातचीत में कई सवालों का जवाब दिया.फीफा वर्ल्ड कप में इरान के खिलाड़ियों ने जिस तरह राष्ट्र गान के दौरान चुप्पी साधे रखी तो क्या उन पर कार्यवाई होगी इस सवाल के जवाब में पेमन जबेली ने कहा कि ये कोई मुद्दा ही नहीं है, क्योंकि ईरान के कानून के मुकाबिक राष्ट्रगान के दौरान उसे गाना ज़रूरी नहीं, खड़े होना ही काफी है और वो खिलाड़ियों ने किया. इस पर उठे विवाद के बारे में उन्होंने कहा कि ये पश्चिमी मीडीया का खड़ा किया हुआ विवाद है.
अगस्त 2021 में इरान के सुप्रीम लीडर खमैनी ने खुद जबेली की नियुक्ति स्टेट टीवी के प्रमुख के तौर पर की थी. वो ट्यूनीशिया में ईरान के राजदूत भी रहे हैं. दो महीने से भी ज्यादा से चल रहे हिजाब विरोधी प्रदर्शन के लिए उन्होंने ईरान विरोधी ताकतों और पश्चिमी मीडिया को जिम्मेदार ठहराया. NDTV के सवाल पर कि क्या हिजाब के मामले में महिलाओं की मांग पर विचार होगा, जबेली ने कहा कि हिजाब पहनना संविधान में निर्धारित है. ये इस्लामिक हिजाब की तरह नहीं है. जो नहीं पहनना चाहते वो छोटा सा हिजाब बांध लेते हैं. ज़्यादातर हिजाब पहनना पसंद करते हैं. अगर कोई थोड़ा भी पहन ले तो काफी है, नज़रअंदाज़ कर देते हैं. और ऐसा नहीं है कि महिलाएं हिजाब के कारण कहीं पीछे रह जा रही हैं. 92 फीसद महिलाएं साक्षर हैं, विश्वविद्यालयों में 33 फीसद महिलाएं हैं, स्कूलों में 60 फीसद लड़कियां हैं, दो सौ से ज्यादा फिल्में हैं जिनमें महिलाओं ने काम किया है, उन्हें पुरस्कार मिले हैं, ओलिंपिक में मेडल मिले हैं, संसद में महिलाएं हैं, हज़ार से ज्यादा महिला जज हैं. हमारे सर्वे में 70 फ़ीसद ने कहा कि हिजाब पहनें. कुल मिलाकर हिजाब कोई रुकावट नहीं है - न कभी ये मुद्दा था और न आज है.
ईरान में दो महीने से ज्यादा समय से विरोध प्रदर्शन का दौर जारी है. इसके बारे में सवालों के जवाब देते हुए पेमन जबेली ने कहा कि माहसा अमीनी को मारा नहीं गया था. ब्रेन ट्यूमर के कारण इनकी मौत हुई. 19 डॉक्टरों की टीम ने जांच की औ इस बारे में सारी जानकारी मीजिया में इंटरनेट पर जारी की गई. एक बार फिर उन्होंने पश्चिमी मीडिया को फेक न्यूज़ फैलाकर विरोध को हवा देने का आरोप लगाया . उन्होंने कहा कि कुछ छिपा नहीं. सबका सबूत है . आतंकी गुटों ने विरोध का गलत इस्तेमाल किया- बैंकों को आग लगाया गया. 200 ऐंबुलेंस जलाए गए. 70 के करीब पुलिसवाले ज़ख्मी हुए या मारे गए. पश्चिमी सीमा पर फायरिंग तक की गई. सरकार की तरफ से कानून व्यवस्था बनाए रखने की कोशिश हुई. जो सीरिया में हुआ था वही कोशिश अब इरान में की जा रही है. सच ये है कि बिना हथियार कोई भी रैली निकाल सकते हैं , किसी रैली को रोका नहीं जा सकता है.
हालांकि जबेली ने ये भी कहा कि कहीं भी परफेक्ट हुकूमत नहीं मिलेगी. लोगों में काफी गुस्सा इरान पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भी है. उनका दावा है कि इरान में मीडिया स्वतंत्र है. पिछले दो महीनों से महिलाओं के नेतृत्व में हिजाब के खिलाफ विरोध थमा नहीं है. इसके समर्थ में कई सेलिब्रिटी आगे ईआए हैं, यहां तक कि अपने बाल काट कर इरान की महिलाओं के लिए समर्थन जताया है। कई रिपोर्ट के मुताबिक इन प्रदर्शनों में 300 से ज्यादा लोह मारे गए हैं और 14 हज़ार से ज्यादा गिरफ्तार किए गए हैं.