इजरायल और फिलिस्तीनी संगठन (Israel Palestine Conflict) हमास (Hamas) के बीच जंग के 12 दिन हो चुके हैं. फिलहाल दोनों के बीच शांति प्रक्रिया के कोई संकेत नहीं दिख रहे हैं. इजरायली सेना गाजा पट्टी (Gaza Strip) पर हमास के ठिकानों को तेजी से निशाना बना रही है. वहीं, सीधे हमले के बीच हमास के पास एक सीक्रेट हथियार भी है, जिसका इस्तेमाल हमास के लड़ाके इजरायल के खिलाफ हमला करने या हथियारों की सप्लाई के लिए कर सकते हैं. ये सीक्रेट हथियार है- गाजा पट्टी में बनाई गई सुरंगें. इन सुरंगों का निर्माण हमास ने अलकायदा और ISIS से सीख लेते हुए बनाया है. वियतनाम में इन सुरंगों की वजह से ही अमेरिका 20 साल के युद्ध में भी जीत हासिल नहीं कर पाया. वहीं, अफगानिस्तान में तोरा-बोरा की पहाड़ियों में बनी सुरंगों ने भी अमेरिका को छकाया था. आइए समझते हैं कि हमास के लिए कितनी फायदेमंद हैं ये सुरंगे और इजरायल को इससे क्या सबक लेना चाहिए.
अंडरग्राउंड वॉर या टनल वॉर किसी भी शुरुआती सभ्यता जितनी ही पुरानी है. आधुनिक युद्ध में भी दुश्मनों पर घात लगाने के लिए ऐसी सुरंगों का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जाता है.
रोमन सेनापतियों के खिलाफ 66 से 70 ईस्वी तक महान यहूदी विद्रोह से लेकर वियतनाम युद्ध के दौरान कम्युनिस्ट वियतनाम कांग्रेस से लड़ने के लिए ऐसी सुरंगों का इस्तेमाल करता था. तोरा बोरा की लड़ाई के दौरान अफगानिस्तान में अल कायदा से लड़ने के लिए भी ऐसी सुरंगों का इस्तेमाल हुआ. सदियों से जंग के दौरान ऐसी सुरंगों ने सैनिकों को छिपने या महफूज रहने की जगह दी है.
वियतनाम की सुरंगों पर अमेरिका का अनुभव
20 साल लंबे वियतनाम युद्ध के दौरान वियत कांग्रेस गुरिल्लाओं ने घात लगाकर मजबूत अमेरिकी सेना को नुकसान पहुंचाया. इन गुरिल्ला रणनीति में उन्हें जिस चीज़ से मदद मिली, वह थी सुरंगे. इन सुरंगों ने न सिर्फ वियतनाम के सैनिकों को छिपने में मदद की, बल्कि अमेरिकी नेतृत्व वाली सेनाओं को धोखा देने में भी मदद की. ऐसी भूलभुलैया सुरंगों का निर्माण यूएस की लंबी दूरी की मिसाइलों और हेलीकॉप्टर निगरानी मिशनों से छिपने के लिए किया गया था.
अमेरिका ने 'टनल रैट्स' नाम की एक स्पेशल यूनिट बनाई. इसके स्टाफ को टनल (सुरंगों) के अंदर काम करने की ट्रेनिंग दी गई. 'टनल रैट्स' के स्टाफ वियतनाम कांग्रेस को खोजने, उनसे लड़ने और यहां तक कि जहरीले सांपों से लड़ने के लिए ऐसी सुरंगों में उतरे थे.
तोरा बोरा की पहाड़ियों की संरगे
9/11 के हमले के बाद अमेरिका ने तालिबान शासित अफगानिस्तान में अल-कायदा के ठिकानों के खिलाफ 'ऑपरेशन एंड्योरिंग फ्रीडम' शुरू किया. अमेरिका का मकसद अफगानिस्तान से तालिबान को हटाना और अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पकड़ना था. अमेरिका कुछ ही हफ्तों में अफगानिस्तान से तालिबान को उखाड़ने में कामयाब हो गया, लेकिन ओसामा बिन लादेन को पकड़ नहीं पाया. लादेन सुरंगों के जरिए अफगानिस्तान से पाकिस्तान भाग गया था.
रिपोर्ट कहती है कि 90 के दशक में आतंकी ओसामा बिन लादेन अफगानिस्तान की तोरा-बोरा की पहाड़ियों में छुपकर रहता था. लादेन ने इन ठिकानों को सोवियत युद्ध के दौरान खोजा था. इसके बाद 90 के दशक के शुरू होते ही जैसे सोवियत युद्ध अपने अंत पर पहुंचा, तो लादेन ने तोरा-बोरा की पहाड़ियों को अपना ठिकाना बना लिया. इन पहाड़ियों में लादेन मिट्टी और पत्थर से बने दो कमरों के घर में रहता था. उसके साथ हर वक्त कम से कम 200 गुरिल्ला लड़ाके रहते थे. लादेन का यह गुप्त ठिकाना किसी भी अत्याधुनिक सुख से लैस नहीं था. कम्युनिकेशन सिस्टम और बिजली जैसे जरूरी संसाधनों के अभाव में भी लादेन ने इन्ही पहाड़ियों से अलकायदा को मजबूती दी. लगातार अमेरिकी हवाई हमले और यहां तक कि 15000 किलोग्राम के 'डेज़ी कटर' बम भी लादेन को तोरा बोरा से निकलने में नहीं रोक पाया.
सद्दाम हुसैन की गुप्त सुरंगे
साल 2003 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बुश ने इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन को हटाने के लिए ऑपरेशन चलाया. अमेरिका और इराक के बीच जंग के दौरान ऐसी सुरंगे मीलों तक फैली हुई हैं. ये सुरंगे घरों से लेकर सैन्य ठिकानों और यहां तक कि सद्दाम हुसैन के महल तक फैली हुई थीं. इसका नेटवर्क इतना फैला हुआ और गहरा था कि इसमें सैनिक, गोला-बारूद, सद्दाम हुसैन और यहां तक कि तथाकथित भारी मात्रा में हथियार भी छिपाए जा सकते थे. जंग के बाद अमेरिका को ये हथियार कभी नहीं मिले.
जिस टनल सिस्टम का इस्तेमाल कभी इराकी सेनाएं छिपने या दुश्मनों पर घात लगाने के लिए करती थी, उसका इस्तेमाल पर अब ISIS के आतंकी करते हैं. ISIS आतंकवादियों ने निगरानी ड्रोन, तोपखाने के गोले और अमेरिकी नेतृत्व वाले हवाई हमलों से छिपने के लिए इन सुरंगों का इस्तेमाल किया. इन सुरंगों ने ISIS के खिलाफ इराकी सैनिकों के हमले को पहले से कई ज्यादा मुश्किल बना दिया.
कैसी हैं हमास की सुरंगें?
हमास नेता याह्या सिनवार ने दावा किया था कि गाजा में उनका सुरंग नेटवर्क 500 किमी लंबा है. 2021 में इजरायल रक्षा बलों ने सिर्फ इसका 5 प्रतिशत ही तबाह किया था. 2007 में गाजा पट्टी पर कंट्रोल करने के बाद से हमास ने शहर के अंदर और गाजा-इजरायल सीमा के पार सुरंग नेटवर्क का विस्तार किया था. कई एक्सपर्ट ने चेतावनी दी है कि इजरायल को गाजा पर जमीनी हमले में इन सुरंगों की वजह से दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा.
संभव है कि 7 अक्टूबर को इजरायल पर किए गए हमले में हमास ने ऐसी किसी सुरंग का इस्तेमाल किया, जो जमीन के नीचे-नीचे इजरायल तक जाती हो. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक किबुत्ज के पास एक सुरंग के निकास का पता चला है, जहां दर्जनों इजरायली नागरिकों का कत्ल किया गया.
इसी वजह से इजरायली सेना इन सुरंगों को 'गाजा मेट्रो' भी कहती है. इन सुरंगों के अंदर रोशनी का इंतजाम होता है. हथियारों और गोला-बारूद को छिपाने के लिए पर्याप्त जगह भी रहते हैं. बीते दिनों ऐसी सुरंगों का वीडियो सामने आया था. सुरंगों की दीवारें सीमेंट से बनी हैं.
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