लंबी लड़ाई के बाद इजरायल को चाहिए गोला-बारूद, दुनिया में मची हथियारों की होड़

हमास और  हिजबुल्लाह पर लगातार किए गए हवाई हमले से इजरायल को वायुसेना में समस्या आ रही है.  वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने युद्ध के दौरान प्रति विमान हजारों उड़ान की है.  इससे उनके नियोजित जीवनकाल से कहीं अधिक उड़ान घंटे जमा हो गए हैं.

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इजरायली टैंक.
नई दिल्ली:

Israel arm purchase and arms race in world: युद्धविराम के बाद इजराइल (Israel) की सबसे बड़ी चुनौती लेबनान (Lebanon) में नहीं बल्कि अमेरिका और जर्मनी (United States and Germany) में है. क्या कारण इस पर बात करेंगे, लेकिन ऐसी स्थिति क्यों बनी पहले यह समझना जरूरी हो जाता है. इजरायल ने गाज़ा (Gaza) में हमास (Hamas) के खिलाफ पिछले एक साल से ज्यादा समय से हमले कर रहा है. फिर पिछले दो महीने से ज्यादा वक्त तक लेबनान पर भी इजरायल ने कई हमले किए ताकि हिजबुल्लाह (Hezbollah) लड़ाकों का सफाया किया जा सके. इस बीच में ईरान (Iran) और इजरायल ने एक दूसरे पर मिसाइल और लड़ाकू विमानों से हमले किए. इतने लंबे समय से गोला-बारूद, मिसाइलों से हमले, टैंकों का इस्तेमाल, लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल और लड़ाकू हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल करने से इजरायल का रक्षा तंत्र कुछ कमजोर होता जा रहा है. ऐसी स्थिति में इजरायल को अब हथियारों जरूरत हो गई है. इन्हीं बातों के लिए इजरायल अपब हथियारों और लड़ाकों टैंकों, मिसाइलों आदि के लिए बड़े निर्माता देशों की ओर देख रहा है. यह आपूर्ति इजरायल को जल्द ही चाहिए. इज़राइल को हथियार प्रणालियों, लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, टैंकों, तोपखाने, मिसाइलों और विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद की बड़े पैमाने पर खरीद के माध्यम से आईडीएफ क्षमताओं को बहाल करने की आवश्यकता है.

येरुसेलम पोस्ट की खबर के अनुसार आईडीएफ में सबसे गंभीर स्थिति हेलीकॉप्टर श्रृंखला में है, विशेषकर अपाचे स्क्वाड्रन में दिक्कत आ रही है. गोला-बारूद को लेकर आईडीएफ लगातार हवा से जमीन पर मार करने वाले बमों की मात्रा पर नजर रख रहा है. यहां पर आईडीएफ को दिक्कत हो सकती है.  

इजरायल की वायुसेना में समस्या

हमास और  हिजबुल्लाह पर लगातार किए गए हवाई हमले से इजरायल को वायुसेना में समस्या आ रही है.  वायु सेना के लड़ाकू विमानों ने युद्ध के दौरान प्रति विमान हजारों उड़ान की है.  इससे उनके नियोजित जीवनकाल से कहीं अधिक उड़ान घंटे जमा हो गए हैं. यही कारण है कि सभी लड़ाकू जेट पुराने हो गए हैं. इसके लिए इज़राइल को नए स्क्वाड्रनों, विशेष रूप से F-15s और F-35s की खरीद में तेजी लाने की जरूरत महसूस हो रही है. 

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अमेरिकी प्रतिबंध का असर

अमेरिकी प्रशासन ने हाल ही में इज़राइल को सहायता पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है. इससे हवा से जमीन पर मार करने वाले भारी बमों और हेलीकॉप्टर से हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों की खरीद में देरी हो गई है. इतना ही नहीं, अमेरिका वायु सेना की रक्षा श्रृंखला में अस्थायी रूप से सहायता के लिए इस्तेमाल किए गए अपाचे हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति को भी रोक दिया. अब अमेरिका में चुनाव और राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी की हार के बाद कुछ बदलाव होना है. इजरायल ने राजनयिक संबंधों के जरिए काफी बातचीत की है. 

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दुनिया में दिख रही हथियारों की होड़

इस समय पूरी दुनिया में हथियारों की होड़ लगती दिख रही है. यूक्रेन में युद्ध और चीन और ताइवान के बीच तनाव के कारण, पूरा यूरोप हथियारों की तलाश में है. एक तरह से दुनिया में कई क्षेत्रों में तनाव के कारण कई देशों में हथियारों की होड़ मची है. कई देश कई प्रकार के हथियार या तो खरीद रहे हैं या फिर उत्पादन में लग गए हैं. 

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हथियार बनाने करने वाली कंपनियां नहीं कर पा रहीं उत्पादन

दुनिया में हथियार उत्पादन  करने वाली बड़ी कंपनियों में से एक ने अधिकारी का कहना है कि हम एक वास्तविकता में हैं जहां इस दौड़ का मतलब है कि हथियार कंपनियां ऑर्डर पूरा नहीं कर सकती हैं, और डिलीवरी कतार लंबी होती जा रही है.

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बेंजामिन ने बताया समझौते का कारण

इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने माना है कि युद्धविराम पर निर्णय लेने में दूसरा कारक गोला-बारूद और उपकरणों को फिर से भरने की आवश्यकता है. यह न केवल नए सिरे से गोला-बारूद की आपूर्ति की अनुमति देने के लिए है, बल्कि इसलिए भी है ताकि नई प्रणाली अब खरीदी जा सके, जिसमें नए सहायता कानून खुलने पर चार साल के बजाय लड़ाकू जेट स्क्वाड्रन, ईंधन भरने वाले विमान और परिवहन हेलीकॉप्टरों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके.

लड़ाकू हेलिकॉप्टर की जरूरत

इजरायली वायुसेना में इस वक्त सबसे मुश्किल स्थिति अपाचे हेलिकॉप्टर की है. युद्ध की शुरुआत में उनकी उपलब्धता के स्तर में कमी थी, और व्यापक उड़ान घंटों के कारण, जैसे-जैसे लड़ाई बढ़ती गई, स्थिति और खराब होती चली गई. इज़राइल को तत्काल दोनों स्क्वाड्रनों को नवीनीकृत करने की आवश्यकता है.  

इजरायल की वायु सेना द्वारा वर्तमान में विचार किए जा रहे विकल्पों में से एक कई ब्लैक हॉक परिवहन हेलीकॉप्टर (वायु सेना में "यांशुफ" कहा जाता है) लेना है, जिनका उपयोग परिवहन और हताहत निकासी के लिए किया जाता है, और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों जैसी हथियार प्रणालियों को पुन: मजबूत बनाना है. यह सीमा रक्षा के लिए एक हवाई वाहन के रूप में काम करेगा और अपाचे हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता को थोड़ा कम करेगा.

बाइडेन ने फंसा रखा है पेंच

राष्ट्रपति जो बाइडेन के फैसले के कारण भारी और कम भारी बमों की खेप संयुक्त राज्य अमेरिका में बोइंग गोदामों में फंसी हुई है. यही बात लॉकहीड मार्टिन द्वारा निर्मित 'हेलफायर' मिसाइल पर भी लागू होती है - जब लड़ाई शुरू हुई तो इज़राइल के पास इन हथियारों की कमी थी. एक अमेरिकी एयरलिफ्ट ने इज़राइल में गोदामों को भर दिया, लेकिन जैसे-जैसे लड़ाई जारी रही, स्टॉक में फिर से गिरावट आई. इज़राइल राष्ट्रपति ट्रंप पर भरोसा कर रहा है कि वह तुरंत इज़राइल को शिपमेंट जारी करेंगे.

वायु सेना के सभी लड़ाकू विमानों ने युद्ध के दौरान हजारों घंटों की उड़ान भरी, और उनको मरम्मत के लिए उपकरण की जरूरत है. 

युद्ध के दौरान, संयुक्त राज्य अमेरिका ने वायु सेना के लिए कई प्रयुक्त विमानों की आपूर्ति भी की. देर से ऑर्डर किए गए विमानों की आपूर्ति को आगे बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है क्योंकि वित्त मंत्री बेजेलेल स्मोट्रिच ने अनुमान लगाया था कि क्या इज़राइल को लड़ाकू विमानों की भी आवश्यकता है.

एक सुरक्षा अधिकारी का अनुमान है कि वायु सेना अब तेजी से खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगी जो इज़राइल की वायु शक्ति का निर्माण करेगी, जिसमें लगभग एक सौ एफ -35 विमान, एक सौ उन्नत मॉडल एफ -15 विमान और लगभग पचास एफ -16 विमान शामिल होंगे. वायु सेना ईंधन भरने वाले विमानों के आगमन को पहले से करने का अनुरोध करेगी, इस समझ के साथ कि उन्हें यासुर हेलीकॉप्टर बेड़े को बदलने के लिए आदेशित 12 हेलीकॉप्टरों के अलावा कम से कम छह और भारी परिवहन हेलीकॉप्टर खरीदने होंगे, जो पहले से ही उनकी इच्छित उड़ान घंटों की सीमा को पार कर चुके हैं.

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